पिंकी से शादी करने जा रहा हूं, किसी प्रेमी को एतराज तो नहीं!

पिंकी से शादी करने जा रहा हूं, किसी प्रेमी को एतराज तो नहीं!

पिंकी से शादी करने जा रहा हूं, किसी प्रेमी को एतराज तो नहीं!

-अब तो शादी करने से पहले लोग न्यूज पेपर में सूचना निकलवा रहें, कह रहे हैं, कि हम फलां तारीख को शादी करने जा रहे हैं, अगर कोई प्रेमी/प्रेमिका हो तो आपत्ति दर्ज कराए, शादी की सुपारी न दें

-स्पष्ट लिख रहे हैं, कि मैं फलां लड़की से शादी करने जा रहा हूं, किसी प्रेमी को कोई आपत्ति हो तो निम्न पते पर सात दिन में अपनी आपत्ति दर्ज करा सकता

-हाल की दो तीन घटनाओं ने उन लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया, जो शादी करने जा रहे हैं, शादी से पहले ही उन्हें अपनी जान की चिंता सताने लगी

बस्ती। क्या किसी ने कभी सपने में भी यह सोचा होगा कि एक दिन उसे शादी करने से पहले इस बात का विज्ञापन निकालना पड़ेगा कि मैं फलां तारीख को फलां लड़की से शादी करने जा रहा हूं, अगर किसी प्रेमी को कोई एतराज हो तो सात दिन या एक माह में अपनी आपत्ति लिखे गए पते पर दर्ज करा सकता है। आपत्ति पर गंभीरता से विचार होगा, और शादी करने से इंकार कर दिया जाएगा। मगर, शादी के बाद हमारी जान की सुपारी न दंे, क्यों कि मैं जीना चाहता हूं, माता-पिता की सेवा करना चाहता हूं। विवादित शादी करके मैं अपने माता-पिता को तकलीफ नहीं देना चाहता और न मैं उन्हें बुढ़ापे में अकेला छोड़ना चाहता हूं। एक लायक बेटे का फर्ज अदा करना चाहता हूं।

इसी तरह का एक विज्ञापन राहुल पुत्र लक्ष्मीचंद्र राजवानी निवासी 80-90 अशोक नगर इंदौर ने दिया। जिसमें लिखा है, कि मैं पिंकी ठाकुर पुत्री किशनचंद्र ठाकुर निवासी इंद्रलोक कालोनी इंदौर से शादी करने जा रहा हूं। हमाई सगाई हो चुकी है। हम विवाह सूत्र में बंधने जा रहे है। इस संबध में अगर किसी व्यक्ति को कोई आपत्ति हो तो लिखे गए पते में सात दिन में लिखित में सूचित करे। इस छोटे से विज्ञापन ने समाज को झकझोर कर रख दिया हैं, लोग लोग सोचने पर मजबूर हो रहें कि हम सभी को भी शादी से पहले इसी तरह का विज्ञापन निकलवाना चााहिए। जिस तरह कहा गया कि शादी के बाद हमारी जान की सुपारी न दें। हालांकि इसकी शुरुआत अब हो चुकी है, और यह थमने वाला नहीं है। अब तो शादी का विज्ञापन कम और शादी से पहले वाला विज्ञापन अधिक निकलेगा। आने वाले दिनों में इसी तरह का विज्ञापन लड़की पक्ष की ओर से भी निकाला जा सकता है, क्यों कि सिर्फ पत्नियां ही नहीं अपने पति की सुपारी दे रही है, पति भी दे रहे है। कहने का मतलब अब शादियां बहुत ही देखभाल कर होने लगेगी। लड़के और लड़कियों के बारे में उतनी छानबीन होगी जितना शादी तलाशने में नहीं हुआ होगा। लड़की देखते समय अब कोई लड़का यह नहीं पूछेगा कि खाना बनाना आता है, कि नहीं? कौन-कौन सी हावी है। अब तो लड़के यह पूछने लगें कि कोई प्रेमी तो नहीं है। हो तो बता दो शादी से मना कर दूंगा। जब भी कोई इस तरह की घटना होती है, तो बेटा और बेटी खोने वाले माता-पिता यही कहते हैं, कि अगर किसी और से शादी करनी थी, तो फिर मेरे बेटे या फिर मेरी बेटी से क्यों किया?

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