पंचायत चुनाव में नेताओं की दुकान बंद कराने जा रहे ओमप्रकाश राजभर!
- Posted By: Tejyug News LIVE
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- Updated: 3 June, 2025 21:33
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पंचायत चुनाव में नेताओं की दुकान बंद कराने जा रहे ओमप्रकाश राजभर!
-प्रमुखों और जिला पंचायत अध्यक्ष का सीधे चुनाव करवाकर इतिहास रचेगें, अगर यह केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजने में सफल हुए तो पंचायत चुनाव में नई गाथा लिखी जाएगी
-यह न सिर्फ योगीजी से मिल चुके हैं, बल्कि अमित शाह से भी चर्चा कर चुके
-यह अकेले हैं, जो चाहते हैं, कि 26 का चुनाव में प्रमुखों और जिला पंचायत अध्यक्षों के हार और जीत का फैसला सीधे जनता करे, न कि नेता
-इन्हें भाजपा के नेताओं से तो नहीं लेकिन सहयोगी दलों के नेताओं से अवष्य इस मामले में समर्थन की उम्मीद कर रहे-अ
गर प्रस्ताव लागू होता है, तो ग्राम पंचायतों में लोकतांित्रक प्रक्रिया अधिक पारदर्शीऔर सीधे जनता से जुड जाएगी
बस्ती। प्रमुखों और जिला पंचायत अध्यक्षों का सीधे चुनाव करवाने का निर्णय लेना किसी भी सत्ताधारी नेताओं के लिए आसान नहीं होता। क्यों कि सत्ताधारी के लोग चाहते हैं, कि अधिक सीटों पर उनके लोग ही काबिज हो, और यह तभी होगा, जब सीधे चुनाव नहीं होगा। भाजपा के लोग अच्छी तरह जानते हैं, कि अगर सीधे चुनाव हो गया तो उनके लोग 20 फीसद पदों पर ही काबिज हो पाएगें। क्यों कि भाजपा के असली और नकली प्रमुखों और जिला पंचायत अध्यक्षों ने इतना लूटपाट मचा रखा है, कि जनता उन्हें वोट नहीं देगी। सबसे बड़ा कारण अगर सीधे चुनाव हो गया तो भाजपा नेताओं की दुकाने बंद हो जाएगंी। फिर न तो सौदेबाजी होगी और ब्लॉक एवं जिला पंचायत अध्यक्ष की बोली ही लगाई जाएगी। भाजपा के न जाने कितने लोगों का यह अंतिम चुनाव होगा, इन लोगों को जितना लूटना था, लूट लिया, जितना विकास का नुकसान करना था, कर दिया, जितनी तिजोरी भरनी थी, भर लिया, लेकिन अब नहीं। भाजपा के लोगों ने विकास के नाम पर प्रदेष को खोखला कर दिया। वर्तमान मेें जितने भी बस्ती के प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष हैं, अगर यह लोग चुनाव लड़ गए, तो किसी को दो हजार तो किसी को पांच हजार वोट मिलेगा, इन लोगों को अपने ही गांव के लोग वोट नहीं देगें। जिन लोगों ने अपने बेटे और भाई को प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष बनाने का सपना पाल रखा हैं, उनका सपना, सपना ही रह जाएगा। तब इनका करोड़ों भी काम नहीं आएगा। ओमप्रकाश राजभर का मानना हैं, कि सीधे चुनाव होने से उन लोगों को भी चुनाव लड़ने का मौका मिलेगा, जिनकी कूबत कुर्सी खरीदने की नहीं थी। बहरहाल, प्रदेश की जनता चाहती है, कि ओमप्रकाश राजभर अपने मकसद में कामयाब हो, अगर यह कामयाब हो गए तो इनका नाम इतिहास में लिखा जाएगा। जब से श्रीराजभर, मुख्य मंत्री और गृह मंत्री से इस मामले में मिले हैं, तभी से उन लोगों में खलबली मची है, जिन्हें अपनी दुकान बंद होने का डर सता रहा, किसी और जिले की जनता खुश हो या न खुश हो लेकिन बस्ती की जनता श्रीराजभर के प्रयास का पूरा समर्थन करती है। यहां के लोग जिला पंचायत अध्यक्ष और प्रमुखों के आंतक से इतना त्रस्त हो चुके हैं, कि बदलाव चाहते है। पंचायत चुनाव 26 का प्रभाव 27 के चुनाव पर स्पष्ट रुप से पड़ेगा।
पंचायती राज मंत्री ने इस नई व्यवस्था को जमीन पर उतारने की कवायद शुरु कर दी है। इसे लेकर यह योगीजी से विस्तार से चर्चा कर चुके है। सरकार पंचायती व्यवस्था में बड़े बदलाव की तैयारी पर विचार कर रही है। सरकार का लक्ष्य हैं, जिस तरह सांसद और विधायक चुने जाते हैं, ठीक उसी तरह प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष भी चुने जाए। वर्तमान प्रणाली में इन पदों का चुनाव पंचायत सदस्यों के जरिए होता है। जिसमें भ्रष्टाचार और सत्ता केद्रीकरण जैसे आरोप लगते रहे। श्रीराजभर ने इस क्रातिकारी विचार को अमली जामा पहनाने के लिए पूरी तरह कमर कस ली है। सीएम से मुलाकात के दौरान इन्होंने कहा भी अब समय आ गया हैं, कि जनता को सीधे इन पदों पर अपने प्रतिनिधि चुनने का अधिकार दिया जाए। यह कितनी बिडंबना है, कि जनता सांसद और विधायक तो चुन सकती है, लेकिन प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष नहीं चुन सकती, नेताओं ने अपने नीजि लाभ के लिए जनता के अधिकारों को छीन रखा था। श्रीराजभर ने सीएम को सुझाव दिया िकवह अपने अधिकारियों को प्रस्ताव तैयार करने का निर्देश दे। ताकि केंद्र सरकार को मंजूरी के लिए भेजा जा सका। इसका उद्वेष्य ग्राम स्तर पर लोकतंत्र को और अधिक जींवत पारदर्शी और सहभागी बनाना है। सरकार इस एतिहासिक बदलाव को अंतिम रुप दे भी चुकी है। ऐसा श्रीराजभर का कहना है। जल्इ ही इसे औपचारिक रुप से केंद्र सरकार को भेजा जाएगा। केंद्र से मंजूरी मिलने की पूरी संभावना अमित शाह से मिलने के बाद जताई गई है। शाह ने स्पष्ट कहा है, कि प्रदेश से प्रस्ताव मिलने के बाद केंद्र सरकार इस पर गंभीरता से विचार करेगी। इससे ग्राम स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत करने का नया अध्याय शुरु होगा। जनता को सीधे अपने नेताओं को चुनने का अधिकार मिलेगा, जिससे लोकतंत्र की जड़ और गहरी होगी। भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा। खरीद फरोख्त बंद होगा। स्थानीय स्तर पर सशक्त नेताओं का उदय होगा। सत्ता कुछ लोगों तक सीमित नहीं रहेगी। बल्कि वास्तविक प्रतिनिधि चुने जाएगें। यह प्रस्ताव लोकतत्र को मजबूत करने की दिशा में अवष्य एक बड़ा कदम हैं, लेकिन इसके सामने कुछ व्यवहारिक चुनौतियां भी है। चुनाव खर्चे बढ़ेगें, राजनैतिक दलों की दखलंदाजी बढ़ेगी, ग्रामीण स्तर चुनावी धुवी्रकरण की संभावनाएं बनी रहेगी। राज्य सरकार की ओर से जो संकेत मिल रहे हैं, उससे पता चलता है, सरकार गंभीर है। अब निगाहें केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया पर टीकी है। अगर केंद्र की ओर से हरी झंडी मिलती है, तो यी न सिर्फ उ.प्र. बल्कि देश की पंचायती प्रणाली में बदलाव होगा।
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