नाबालिग दलित लड़कियों से पिटे पुलिस कर्मी
- Posted By: Tejyug News LIVE
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- Updated: 21 June, 2025 20:27
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नाबालिग दलित लड़कियों से पिटे पुलिस कर्मी
-कौटिल्य फाउंडेशन भारत के अध्यक्ष राजेंद्रनाथ तिवारी ने मुंडेरवा थाने के उन पुलिस कर्मियों को डीएम से सम्मानित करने की मांग की, जिन्हें दो नाबालिग दलित लड़कियों ने मारापीटा, वाहन क्षतिग्रस्त कर दिया, हेलमेट तोड़ दिया, वर्दी फाड़ दिया, जान बचाने के लिए भागना पड़ा
-पुलिस वालों को कहना हैं, कि अगर वह जान बचाकर एक घर में छुप कर शरण न लिए होते तो दलित परिवार उन लोगों को जान से मार दिए होते
-यह सारी बाते सिपाही सुधीर कुमार यादव के द्वारा लिखाए गए एफआईआर में कहा गया
-यह वही पुलिस वाले हैं, जिन्होंने कहा था, कि अगर सपा की सरकार होती तो लड़कियों का चौराहे पर बलात्कार करवाता, वीडियो बनाकर, वायरल करता
-अगर मुंडेरवा थाने के दो पुलिस वालों को एक दलित परिवार के डर से जान बचाने के लिए छिपना पड़ता है, तो दोनों पुलिस वालों को विभाग की ओर से सम्मानित करना चाहिए
-पुलिस के डर से दलित परिवार मारा-मारा फिर रहा हैं, पुलिस बराबर पकड़ने के लिए दबिश दे रही
-जिला न्यायालय की ओर से दोनों लड़कियों और उसकी मां को एंटीसेपेटरी बेल दे दिया, अभी दो भाई और एक अन्य पुलिस के डर से कहीं छिपे हुएं
बस्ती। अगर समाज के सबसे दबे कुचले वर्ग की दो नाबालिग लड़कियां दो-दो वर्दी धारी पुलिस वालों को मारती पीटती हैं, वाहन क्षतिग्रस्त कर देती हैं, गाड़ी में रखे डंडें से सिर पर वार करती, सिर तो नहीं फूटता, अलबत्ता हेलमेट अवष्य गिर जाता है, लड़कियां वर्दी तक फाड़ देती हैं, लड़कियों के डर से अपनी जान बचाने के लिए पुलिस वाले को किसी के घर में शरण लेना पड़ता हैं, तो समाज इसे किसकी बहादुरी और कमजोरी समझे और माने। यह किसी फिल्म की कहानी नहीं बल्कि मुंडेरवा थाने के सिपाही सुधीर कुमार यादव के द्वारा लिखाए गए एफआईआर में कहा गया। बड़ा सवाल उठ रहा है, कि क्या बस्ती की पुलिस इतनी कमजोर हो चुकी हैं, कि उसे अपनी जान बचाने के लिए किसी के घर में शरण लेना पडे़। यह भी सवाल उठ रहा है, जो पुलिस अपनी रक्षा नहीं सकती, वह आम नागरिकों की रक्षा कैसे करेगी? डकैतों, लूटेरों और अपराधियों का सामना कैसे करेगीें? पुलिस के द्वारा एफआईआर लिखवाना यह साबित करता हैं, कि कहीं न कहीं पुलिस एकमा की घटना के मामले में दलित परिवार से खुन्नस निकालना चाहती है। सात गंभीर धाराओं में मां, दो पुत्री, दो पुत्र और एक अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज करना और बार-बार घर पर दबिश देना यह साबित करता है, कि कहीं न कहीं पुलिस के अहम को भी ठेस लगी होगी। पुलिस वाले यह बर्दास्त नहीं कर पाए होगें कि कोई दलित लड़की उनसे यह पूछे कि बिना महिला पुलिस के घर में कैसे घुस आए? समाज किसे सम्मानित करे, उन पुलिस वालों की जो स्वयं अपनी रक्षा नहीं कर सकते या फिर उन दलित लड़कियों की करें, जिसने यह पूछने की हिम्मत की, कि बिना महिला पुलिस के घर में कैसे घुस आए। इस छोटे से सवाल ने पुरे परिवार को पुलिस का मुजरिम बना दिया। कहीं ऐसा न हो कि कल को पुलिस वाले ही मुजरिम बन जाएं। अगर किसी लड़की ने यह सवाल कर ही दिया तो कौन सा गुनाह कर दिया, यह अधिकार तो उसे मिला हुआ है। सवाल यह भी उठ रहा है, कि क्यों 112 की पुलिस बिना महिला पुलिस के दलित परिवार के घर में घुसी? क्या यह अपराध की श्रेणी में नहीं आता? पुलिस ने अपनी रिपोर्ट थाने जाते ही क्यों लिखा और दलित परिवार का मुकदमा क्यों नहीं लिख रही? यह सारी बातें किसी की कही हुई नहीं बल्कि सिपाही सुधीर कुमार यादव के द्वारा मुंडेरवा थाने में लिखाई गई रिपोर्ट का सच है। अगर लिखाई गई रिपोर्ट सही है, तो पुलिस विभाग को तीनों पुलिस वालों को त्वरित यह कहते हुए बर्खास्त कर देना चाहिए, कि आप जैसे कमजोर और डरपोक पुलिस वालों को विभाग की कोई आवष्यकता नही, और अगर कहीं वाकई दलित परिवार की लड़कियों ने अपराध किया है, तो उन्हें कानून के तहत सजा मिलनी चाहिए। क्यों कि कानून वालों पर हाथ उठाना और कानून को हाथ में लेने का किसी भी वर्ग के लोगों का अधिकार नहीं है। कानून इसे अपराध मानता है। बहरहाल, कौटिल्य फाउंडेषन भारत के अध्यक्ष राजेंद्रनाथ तिवारी ने मुंडेरवा थाने के उन पुलिस कर्मियों को डीएम से सम्मानित करने की मांग की हैं, जिन्हें दलित की नाबालिग दो लड़कियों ने मारा-पीटा। इसी बैनर तले रविद्रं गौतम ने दलित महिला आयोग और मानवाधिकार को पत्र लिखकर उनसे जांच करने की मांग की है। इस मामले में दलितों की राजनीति करने वाले नेताओं को भी आगे आना चाहिए। इन लोगों की भी जिम्मेदारी बनती है, कि वह अपने वर्ग के लोगों के हितों की रक्षा करें। यह वही पुलिस वाले हैं, जिन्होंने लड़कियों और उसकी मां से कहा था, कि अगर सपा की सरकार होती तो लड़कियों का चौराहे पर बलात्कार करवाता, वीडियो बनाकर, वायरल करता। वैसे जिला न्यायालय की ओर से दोनों लड़कियों और उसकी मां को एंटीसेपेटरी बेल मिल गया है।
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