झंडा बदलने वाले नेता क्या जाने तिरगें की कीमत?
- Posted By: Tejyug News LIVE
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- Updated: 20 May, 2025 20:09
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झंडा बदलने वाले नेता क्या जाने तिरगें की कीमत?
-ऐसे लोगों के लिए झंडा तो एक कपड़े का टुकड़ा, जब चाहा नाक पोछ लिया और जब चाहा जूते के उपर रख दिया
-जिनकी फिदरत ही झंडा बदलने की रही, उसके लिए तिरगें का मान और अपमान कैसा?
-तिरंगें का अपमान करने वाले भाजपा के नेताओं को यह सोचना होगा कि जिस तिरंगे का वह अपमान कर रहे हैं, वह तिरंगा भारत की पहचान
-अगर किसी को तिरंगा कच्छा दिखता, दिखाई दे, अगर लोग पैरों पर तिरंगह चप्पल पहने घूम रहे हैं, या फिर टायलेट की पीठ पर तिरंगा बना हो, तो आप लोगों को कैसा लगेगा, पढ़कर गुस्सा आने लगा होगा
-52 साल से आरएसएस के मुख्यालय पर तिरंगा नहीं लहराया, क्या यह तिरंगे की उपेक्षा नहीं?
-देखा जाए तो सबसे अधिक अपमान भाजपा के विधायक एवं पूर्व मंत्री सहित आरएसएस ने किया
-तिरगें के अपमान को लेकर आईपीसी के तहत इसे राष्टीय सम्मान का अपमान निवारण अधिनियम, 1971 और भारतीय ध्वज संहिता 2002 के तहत कार्रवाई हो सकती है
बस्ती। सिंदूर आपरेशन की सफलता के बाद भाजपा पूरे देश में तिरंगा यात्रा का कार्यक्रम आयोजित करवा रही है। जिस तरह कहीं पूर्व मंत्री तो कहीं विधायक तिरगें का अपमान करते नजर आ रहे हैं, उससे लगता ही नहीं भाजपाईयों में तिरंगें को लेकर गंभीर है। तिरगें को लेकर बस्ती में पूर्व मंत्री और भाजपा के नेता राजकिशोर सिंह का एक फोटो वायरल हुआ, जिसमें यह हाथ में लिए तिरंगें को उपर नहीं बल्कि नीचे किए हैं, जो जूते को छू रहा है। इसी तरह जयपुर भाजपा के विधायक हैं, बाल मुकंदाचार्य, यह तिरंगा यात्रा के दौरान तिरगें से अपनी नाक पोछते नजर आ रहें है। फोटो और वीडियो खूब वायरल हो रहा है। बहुत कम लोगों को मालूम होगा, कि आरएसएस के मुख्यालय पर 1950 से लेेकर 2002 यानि 52 साल तक तिरंगा ही नहीं फहराया गया, जब एक पत्रकार ने मोहन भागवत से इस बारे में पूछा तो वह कहने लगें कि यह सवाल हमसे मत करिए।
भारत में तिरगें झंडें का अपमान एक गंभीर अपराध माना जाता हैं, क्यों कि यह राष्टीय सम्मान और एकता का प्रतीक है, प्रदर्शन, जूलुस या किसी अन्य स्थित में तिरगें के अपमान को लेकर आईपीसी के तहत राष्टीय सम्मान का अपमान निवारण अधिनियम, 1971 और भारतीय ध्वज संहिता 2002 के तहत कार्रवाई हो सकती है। जयपुर और बस्ती के प्रषासन को इसे संज्ञान में लेकर उपरोक्त धाराओं में मुकदमा दर्ज कराना चाहिए। कहा भी जाता है, कि जिस व्यक्ति की फिदरत ही झंडा बदलने की रही हो, उसके लिए तिरगें का मान और अपमान कैसा? जो लोग तिरंगे का अपमान करते हैं, उन्हें झंडा तो एक कपड़े के टुकड़े जैसा होता हैं, जब चाहा नाक पोछ लिया और जब चाहा जूते के उपर रख दिया। तिरंगें का अपमान करने वाले नेताओं को यह सोचना होगा कि जिस तिरंगे का वह अपमान कर रहे हैं, वह तिरंगा भारत का गौरव और पहचान है। एक स्कूली बच्चा भी 15 अगस्त को रैली के दौरान तिरगें का अपमान नहीं करता, भूल से अगर हाथ गिर भी गया तो पहले उसे वह उठाता है, और माथे पर लगाता हैं, फिर उसके बाद वह भारत माता की जय हो का नारा लगाता। जब एक कक्षा चार-पांच में पढ़ने वाला बच्चा तिरगें के महत्व को समझकर उसका सम्मान कर सकता है, तो फिर नेता क्यों नहीं कर सकते? वह भी भाजपा के।
अगर किसी को तिरंगा कच्छा दिखता, दिखाई दे, अगर लोग पैरों पर तिरंगे चप्पल पहने घूम रहे हैं, या फिर टायलेट की पीठ पर तिरंगा बना हो, तो आप लोगों को कैसा लगेगा, गुस्सा तो खूब आएगा, और भारत के लोगों में तो तिरगें झंडे को लेकर राष्टीय पहचान से ज्यादा आदर और सम्मान की भावना कूट-कूटकर भरी हुई है। इसी लिए कहा जाता है, जो नेता तिरंगे का अपमान करता है, वह नेता कहलाने लायक नहीं होता, पार्टी को भी इस तरह के लोगों से किनारा कर लेना चाहिए। अगर भाजपा का विधायक या पूर्व मंत्री तिरगें का अपमान करतें हैं, तो इसका मतलब यह हुआ कि उसके भीतर राष्टीय भावना का अभाव है।
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