है कोई, सुनील जैसा सरकारी डाक्टर जो एक साथ तीन ब्रांड पीता हो?

है कोई, सुनील जैसा सरकारी डाक्टर जो एक साथ तीन ब्रांड पीता हो?

है कोई, सुनील जैसा सरकारी डाक्टर जो एक साथ तीन ब्रांड पीता हो?

-डा. सीएमओ साहब बताइए आपने डा. सुनील को उनके नीजि कहे जाने वाले पैथालाजी चलानेे के लिए क्यों वापस साउंघाट सीएचसी भेजा, इन्होंने कितना चढ़ा दिया कि इनके लिए नियम कानून तोड़ दिया

-दो माह पहले गंभीर शिकायत पर इनका तबादला सांउघाट से कुदरहा के लिए हुआ, फिर न जाने क्या हुआ, पुनः इन्हें साउघाट वापस भेज दिया, जबकि नियमानुसार तीन से छह माह बाद ही किसी को वापस भेजा जा सकता

-ईमानदार कहे जाने सीएमओ ने इन्हें वापस साउंघाट मरीजों की सेवा करने के लिए नहीं भेजा बल्कि भ्रष्टाचार करने के लिए भेजा

-चूंकि कुदरहा में इनकी उपरी कमाई इतनी नहीं होती थी, जिसमें यह तीन ब्रांड की मंहगी शराब एक साथ पी सके

बस्ती। आज हम आपको एक ऐसे सरकारी डाक्टर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो एक साथ अंग्रेजी की तीन मंहगी ब्रांड की षराब पीता है। इनका नाम है, डाक्टर सुनील, दो माह पहले इनका तबादला सांउघाट सीएचसी से कुदरहा सीएचसी हुआ था। सीएमओ साहब को न जाने इनमें कौन सी अच्छाई या खूबी नजर आई कि इनके लिए सारे नियम कानून को तोड़ते हुए दो माह में ही वापस सांउघाट भेज दिया। इन्हें मंहगी अंग्रेजी षराब का शोकीन कहा जाता है। इनके रंगीन मिजाज होने का पता उस वायरल फोटो से होता है, जिसमें यह एक साथ अमेरिकन ब्रांड, ब्लेंडर ब्रांड और सिग्नेचर ब्राड का शराब पी रहे है। इनके टेबुल पर एक साथ तीनों ब्रांड की बोतल सजी हुई है। मटन बिरयानी के साथ यह अकेले सरकारी डाक्टर होने का एहसास करा रहे है। वैसे मेज पर कुल तीन गिलास रखा हुआ है, इससे पता चलता है, कि डाक्टर साहब के साथ दो और व्यक्ति रहे होगें, और इन्हीं में से किसी ने डाक्टर का फोटो खींचा होगा। डाक्टर साहब को मंहगी शराबों का शोकीन तो बताया ही जा रहा हैं, साथ ही मरीजों का शोषण करने और नीजि कहे जाने वाले पैथालाजी चलाने वाला भी बताया जाता है। मंहगी शराब के शोक को पूरा करने के लिए यह बाहर की दवाएं भी लिखते है। ताकि कमीशन मिल सके। जबकि दवांए अस्पताल में उपलब्ध भी रहती है। यह मरीजों से कहते हैं, कि अस्पताल की मशीन खराब हैं, इस लिए यह अपने पैथालाजी से जांच कराने का दबाव बनाते है। बताते हैं, कि इन्होंने सात साल में साउंघाट में मरीजों का दिल नहीं जीता, बल्कि उनका खून चूसा, उनका उत्पीड़न किया। जिसका पुरस्कार सीएमओ साहब ने इन्हें मरीजों का खून चूसने के लिए साउंघाट दुबारा भेज कर दिया।

लोहरौली साउंघाट निवासी श्रवण कुमार चौधरी ने 12 सितंबर 24 डीएम को एक पत्र लिख। जिसमें सीएचसी पर तैनात डाक्टर सुनील के बारे में बताया गया, कि यह लगातार पिछले छह सालों से तैनात हैं, यह मनमानी करते, मरीजों को बाहर की दवाएं और जांच के लिखते हैं, ताकि कमीशन मिल सके। अस्पताल की मशीन को खराब और बाहर की मशीन को अच्छा बताकर खून की जांच के लिए प्रेरित करते। बाहर के पैथालाजी पर न तो कोई जांच करने की मशीन और न कोई इस्टूमेंट पंजीकरण और डिग्री भी नहीं रहता। फिर भी डाक्टर जांच के लिए उसी के पास भेजते, बताया जाता है, इन्होंने गोंडा के एक लड़के को लड़का हुआ है, जो उल्टासीधा रिपोर्ट देता। बिना जांच के ही टाइप करके रिपोर्ट दे दी जाती। डाक्टर कहते हैं, कि जब तक वहां से जांच नहीं करवाओगें तब तक दवा नहीं लिखूंगा। अधिक कमीशन के लिए एक हजार और 15 सौ से कम दवा लिखते ही नहीं। कहा गया कि शिकायतें बहुत की गई, लेकिन जांच नहीं हुई। अगर कोई सरकारी डाक्टर मरीजों के साथ ऐसा व्यवहार करता है, और उस डाक्टर की शिकायत करने के बाद भी कार्रवाई नहीं होती तो डाक्टर का मन बढ़ेगा, वह चाहें एक साथ तीन ब्रांड की पिए या फिर पांच ब्रांड की उसकी मर्जी। समाज इस तरह के डाक्टरों को खूनचुसवा कहता है।

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