CMO साहब एक नजर इधर भी देख लीजिए।

CMO साहब एक नजर इधर भी देख लीजिए।

गढ़मुक्तेश्वर न्यूज़

CMO साहब एक नजर इधर भी देख लीजिए।

गढ़मुक्तेश्वर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में ब्लॉक पब्लिक हेल्थ यूनिट (बी.पी.एच.यू)(सी.एस.सी) सेंटर है! जिसमे  एंट्री से लेकर पूरे शरीर की खून  की जांच की ऑटोमेटिक मशीन फूल बॉडी चैकअप लैब मे है, व टी बी जैसी घातक बीमारी की जांच की जाती है! खून की जांच के  उपकरण बिजली से चलते ! इस लेब मे 7 कर्मचारी कार्य करते है। जिसमें एक महिला भी है। लाईट चले जाने से सभी कर्मचारी  फिरी हो जाते हैं गर्मी के कारण गत्ते या न्यूज़ पेपर से हवा करते नजर आते हैं।

शनिवार को cmo सुनील त्यागी ने गढ़मुक्तेश्वर  सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का  औचक निरीक्षण किया। निरक्षण में गंदगी को लेकर दिशा निर्देश व अधिकारियों को फटकार भी लगाई ऐसा न्यूज़ पेपर में छपा है कि cmo साहब सबसे पहले ओपीडी वार्ड,प्रसव कक्ष, का जयाजा लिया गया पर जिसमे काफी गंदगी पायी गई थी। लेकिन cmo साहब ने मूल समस्या  पर ध्यान नहीं दिया।  औपचारिकता पूरी करके चले गए। cmo साहब  मूल समस्या क्या हैं! ये जान लीजिये। प्रसव करने वाली डॉक्टर हो या नर्स  गर्भवती महिला के साथ इतनी लापरवाही करती है!  कि उन्हें सरकारी अस्पताल छोड़कर प्राइवेट अस्पताल में जाना पड़ता है। प्राइवेट अस्पताल में  जाते ही थोड़ी देर  में बच्चा सही सलामत जन्म ले लेता हैं। आखिर ऐसा क्यों,  कहीं इन नर्शो का प्राइवेट अस्पतालों से कोई लिंक तो नहीं। 

सवाल यह भी हैं! कि आखिर  सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में बच्चा सही सलामत पैदा क्यों नहीं होता है। क्यों टाइम पर टाइम देते रहते हैं। जैसे अदालतों में तारीख पर तारीख मिलती हैं। क्यों उन्हें प्राइवेट अस्पताल में जाना पड़ता है। ये एक बड़ा सवाल हैं।    

 गढ़मुक्तेश्वर के  सामुहिक स्वास्थ्य केंद्र में बिजली भाग जाने के बाद  खून की जांच के मरीजों को घंटो, घंटो इंतजार करना पड़ रहा है!  रिपोर्ट के चक्कर में उनके मरीज की भले ही जान क्यों ना चली जाए इसमें गढ़मुक्तेश्वर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अधिकारियों पर कोई फर्क नहीं पड़ता डॉक्टर और अन्य चिकित्सा कर्मचारियों की कमी के कारण मरीजों को घंटों इंतजार करना पड़ता है! या फिर खून टेस्ट वह इलाज के लिए कहीं और जाना पड़ता है आवश्यक दवाइयां उपकरणों बुनियादी सुविधाओं की कमी के कारण मरीज को उचित इलाज नहीं मिल पाता है! चिकित्सा कर्मचारियों द्वारा मरीजों के साथ असंवेदनशील व्यवहार, जिससे मरीजों को मानसिक और शारीरिक दोनों तरह से परेशानी होती है। इन लापरवाहियों के कारण मरीजों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है, समय पर इलाज न मिलने के कारण मरीजों की बीमारी बढ़ सकती है। 

उपचार की कमी या गलत इलाज के कारण मरीजों का स्वास्थ्य और खराब हो सकता है। 

मरीजों को इलाज के लिए निजी अस्पतालों में जाना पड़ता है, जिससे उन पर आर्थिक बोझ बढ़ता है।

इन सब का जिम्मेदार कौन।

 इसकी जानकारी सीएससी प्रभारी शशि भूषण से ली गई तो उन्होंने बताया की सरकार द्वारा बजट ना आने  के कारण इनवर्टर या जनरेटर नहीं लगाया जा रहा है, जैसे ही बजट आएगा पूर्ण तरीके से लाइट की व्यवस्था कर दी जाएगी।

लेकिन कब इसका उनके पास कोई जबाब नहीं हैं।

 मनजीत सिंह की रिपोर्ट

Comments

Leave A Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *