बस लात-घूंसा, जूता-चप्पल नहीं चला बाकी सारे कर्म कांड हो गए!
- Posted By: Tejyug News LIVE
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- Updated: 7 May, 2025 19:23
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बस लात-घूंसा, जूता-चप्पल नहीं चला बाकी सारे कर्म कांड हो गए!
-भाजपा के नेताओं ने दुनिया को बता दिया कि वह सुधरने वाले नहीं
-भाजपा नेताओं के चलते दिन प्रति दिन भाजपा की छवि धूमिल होती जा रही
-किसी को भी इस बात की चिंता नहीं वह दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी और अनुशासित पार्टी के सिपाही
-हर जगह इनकी गुटबाजी दिखाई देती है, एक दूसरे को नीचा दिखाने के फिराक में रहते
-यह लोग हर जगह अपना आपा खो दे रहें, बयानबाजी से लेकर धमकी देने तक में इन्हें सपाईयों से कम नहीं आंका जा रहा
-अब तो यह लोग गुंडो जैसा बर्ताव करने लगे, मानो नेता का चांेगा उतार दिया हो, ऐसे लोगों को इस्तीफा देकर गुंडई करना चाहिए, ताकि आमदनी हो सके
-भाजपाई इतने निम्न स्तर पर चले जाएगें, किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था, भाजपा के नेताओं को चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए
-वक्फ कानून पर जागरूकता अभियान लड़ाई का अखाड़ा, बनते-बनते रह गया, बीजेपी हाथापाई तक की नौबत आ गई
बस्ती। बस्ती के भाजपाई धीरे-धीरे अनुषासन की सारी हदें पार करते जा रहे है। अनुशासनहीन होते जा रहे है। अब तो यह लोग गुंडई पर उतर आए है। इनकी हरकतों को देखकर नहीं लगता कि यह दुनिया की सबसे बड़ी और अनुशासित पार्टी के सिपाही है। पार्टी को यह बताने का प्रयास कर रहे हैं, कि आप चाहें जितना प्रयास कर लो लेकिन हम सुधरने वाले नहीं है। हर जगह इनकी गुटबाजी दिखाई देती है, एक दूसरे को नीचा दिखाने के फिराक में रहतें, यह लोग हर जगह अपना आपा खोते जा रहें, अमर्यादित बयानबाजी भी कर रहे है। बयानबाजी से लेकर धमकी देने तक में यह पीछे नहीं हट रहे हैं, यह लोग सपाईयों की तरह व्यवहार करने लगे है। अब तो यह लोग गुंडो जैसा बर्ताव करने लगे, मानो इन लोगों ने नेता का चांेगा उतार दिया हो, ऐसे लोगों को इस्तीफा देकर गुंडई करनी चाहिए, ताकि अच्छी खासी आमदनी हो सके। भाजपाई इतने निम्न स्तर पर चले जा रहे हैं, कि किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था, ऐसे भाजपा के नेताओं को चुल्लू भर पानी में डूब मरने की सलाह दी जा रही। वक्फ कानून पर जागरूकता अभियान लड़ाई का अखाड़ा, बनते-बनते रह गया, हाथापाई तक की नौबत आ गई, बस लात-घूंसा, जूता चप्पल नहीं चला बाकी सबकुछ हो गया। षब्दों का बाण भी खूब चला, और यह सब कुछ क्षेत्रीय अध्यक्ष सहजानंद राय की मौजूदगी में हुआ, असहाय नजर आए। जिलाध्यक्ष विवेकानंद मिश्र भी असहाय दिखे। यहां पर भी गुटबाजी खूब दिखी। पहली बार भाजपा के किसी कार्यक्रम में आए मुस्लिम समाज के लोग यह देख दंग रह गए कि नेता किस तरह आपस में लड़ रहें है। इस मामले में इनका अनुभव कड़वा रहा।
संशोधित वक्फ कानून पर मुसलमानों को जागरूक करने के लिए राष्ट्र व्यापी अभियान के तहत बस्ती में भी मुस्लिम समुदाय का सम्मेलन आयोजित हुआ। भाजपा नेताओं को उन्हें इस कानून की जानकारी देने की जिम्मेदारी दी गई है। नेता अपनी जिम्मेदारी तो नहीं निभा पाए अलबत्ता मुस्लिम समाज के सामने किरकीरी अवष्य कराया। उस समय अप्रत्याशित हंगामा हो गया, जब पार्टी के ही दो वरिष्ठ नेता आपस में भिड़ गए। नेताओं के बीच मंच पर बैठने और नाम न पुकारे जाने को लेकर विवाद इतना बढ़ गया कि हाथापाई की नौबत आ गई। पार्टी का उद्देश्य था कि इस कार्यक्रम के माध्यम से सरकार की बात मुसलमानों तक पहुंचे, और उन्हें वक्फ कानून के लाभों से अवगत कराया जा सके। सरकार की बात पहुंची या नहीं पहुंची यह तो मालूम नहीं लेकिन हंगामा अवष्य हो गया। कार्यक्रम में बीजेपी के क्षेत्रीय अध्यक्ष सहजानंद राय, जिलाध्यक्ष विवेकानंद मिश्रा और गौ सेवा आयोग के उपाध्यक्ष और पूर्व जिला अध्यक्ष महेश शुक्ला सहित कई वरिष्ठ नेता उपस्थित थे। कार्यक्रम की शुरुआत में जब मंच पर नेताओं को आमंत्रित किया गया, तो महेश शुक्ला का नाम नहीं लिया गया और न ही उन्हें मंच पर बैठने के लिए आमंत्रित किया गया। इससे महेश शुक्ला का नाराज होना लाजिमी जायज रहा। उन्होंने मंच पर ही अपनी नाराजगी व्यक्त करनी शुरू कर दी। महेश शुक्ला के विरोध के बाद, मंच पर उपस्थित अन्य नेताओं के साथ उनकी तीखी बहस हुई। देखते ही देखते बहस इतनी बढ़ गई कि हाथापाई की नौबत आ गई। उपस्थित लोगों के अनुसार, महेश शुक्ला ने अपने समर्थकों के साथ मिलकर हंगामा शुरू कर दिया, जिससे कार्यक्रम में अफरा-तफरी मच गई। स्थिति को बिगड़ता देख, क्षेत्रीय अध्यक्ष सहजानंद राय ने हस्तक्षेप किया और दोनों पक्षों को शांत करने की कोशिश की। उन्होंने नेताओं को समझा बुझाकर मामला शांत कराया, जिसके बाद कार्यक्रम दोबारा शुरू हो सका। इस घटना ने एक बार फिर भाजपा के अंदरूनी कलह की याद ताजा हो गई। यह घटना चर्चा का विषय बन गई है। लोग इस घटना को पार्टी के भीतर गुटबाजी और आपसी खींचतान का परिणाम बता रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस तरह के कार्यक्रमों में नेताओं का आपसी झगड़ा पार्टी की छवि को खराब करता है और जनता में गलत संदेश जाता है। यह घटना भाजपा के अंदरूनी मतभेदों को भी उजागर करती है।
भाजपाईयों में बढ़ रही अनुशासनहीनता को प्रांतीय नेतृत्व जिम्मेदार!
जिले में बढ़ रही अनुशासनहीनता के लिए पार्टी के लोग प्रांतीस नेतृत्व को जिम्मेदार ठहरा रहे है। कह रहें हैं, कि अगर पर विधानसभा और लोकसभा चुनाव के बाद भितघातियों के खिलाफ कार्रवाई कर देती तो आज जो वक्फ सम्मेलन में हुआ वह कभी नहीं होता। अब सवाल उठ रहा हैं, क्या प्रांतीय नेतृत्व के पास इतनी भी क्षमता नहीं रही कि वह पार्टी का नुकसान करने वालों के खिलाफ कार्रवाई कर सके, उन्हें पार्टी से निकल दे। पार्टी की इसी कमजोरी का लाभ उठा कर अनुशासनहीनता कर रहे है। अब जरा अंदाजा लगाइए कि भितरघातियों के कारण पहले भाजपा के चार विधायक हारे उसके बाद एक सांसद को खोना पड़ा, उसके बाद भी पार्टी ने आज तक एक भी भितरघाती के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं किया, नोटिस तक जारी नहीं किया। जब किसी के भीतर से डर समाप्त हो जाता है, तो वह व्यक्ति या नेता मनमानी करने लगता है। पार्टी को ही कटघरे में खड़ा करने लगता है। वर्तमान में हालत यह है, कि सीनियर और जूनियर की दूरी भी समाप्त हो गई, अब तो खुले आम जूनियर अपने सीनियर नेता को बुरा भला कहता है। कुर्सी पर बैठने तक नहीं कहता, कुर्सी छोड़ने की तो बात ही मत करिए। बहरहाल, जब प्रांतीय नेताओं ने जिले से भाजपा को समाप्त करने का मन बना ही लिया तो सीनियर और जूनियर का क्या मतलब? अगर इसी तरह भाजपाई अनुशासनहीनता दिखाने लगे तो आने वाले दिनों में वक्फ सम्मेलन से भी बड़ी घटना घट सकती है। फिर जूता-चप्पल और लात-घूंसा भी चल सकता है।
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