योगी के ठाकुर सचिव करवा रहे डाक्टर की जमीन पर कब्जा

योगी के ठाकुर सचिव करवा रहे डाक्टर की जमीन पर कब्जा

योगी के ठाकुर सचिव करवा रहे डाक्टर की जमीन पर कब्जा

-सवा दो लाख के इकरारनामें पर करना चाहते हैं, सवा दो करोड़ की जमीन पर कब्जा

-पूरा प्रशासन सचिव साहब के ईशारे पर नाच रहा, जैसे ही सचिव का फोन आता, तहसील वाले लावलशकर लेकर मौके पर चले जाते

-जिस डाक्टर एमके सिन्हा और मो. जुनैद अहमद ने सालों पहले जमीन बैनामा कराया, उसी जमीन को अपना बताकर होटल मालिक अरविंद सिंह के भाई बृजेश सिंह बलपूर्वक कब्जा करना चाहते


-अपनी ही संपत्ति को बचाने के लिए डाक्टर एमके सिन्हा और जुनैद कमिष्नर, डीएम, एसडीएम से फरियादें कर रहे, हर कोई यहकर पल्ला झाड़ दे रहे हैं, कि सचिव का आदेश

-जमीन के मालिक उपर चले गए, लेकिन फंसा गए कई लोगों को, किसी को बैनामा किया तो किसी के साथ एग्रीमेंट किया

-मुख्यमंत्री के सचिव जिस तरह प्रशासन पर दबाव बनाकर डाक्टर की जमीन पर कब्जा करवा चाहते हैं, उसे योगीजी के संज्ञान में लाया जाएगाःराजेंद्रनाथ तिवारी

बस्ती। सुनकर हैरानी तो अवष्य हो रही होगी, लेकिन यह सच है, कि योगी के एक ठाकुर सचिव अपने पद का दुरुपयोग खुलकर रहे हैं, प्रशासन पर डाक्टर एमके सिन्हा और मो. जुनैद नामक कारोबारी के करोड़ों रुपये के बैनामाशुदा जमीन पर कब्जा करवाने के लिए दबाव बना रहे है। प्रसशासन भी सचिव के ईशारे पर नाच रहा है। लखनउ से जैसे ही अधिकारियों के पास फोन आता, कमिष्नर से लेकर डीएम और एसडीएम सदर से लेकर तहसीलदार सक्रिय हो जाते है। लावलष्कर लेकर कभी तहसीलदार तो कभी नायब तहसीलदार लेखपालों की टीम लेकर नियम विरुद्व नाप जोखाई के लिए पहुंच जाते हैं। विरोध के चलते बार-बार तहसील की टीम को वापस आना पड़ता, लेखपाल लोग परेशान हो गए हैं, और कह रहे हैं, कि हम लोग कैसे किसी गलत आदमी की मदद कर सकते हैं। कहते हैं, कि पूरा प्रशासन जानता है, कि जमीन डाक्टर एमके सिन्हा और जुनैद की है, फिर भी आदेश पर आदेश दिए जा रहे है। एसडीएम साहब भी इस मामले में जिसकी जमीन है, उसकी नहीं सुनते, बल्कि जिसकी जमीन नहीं हैं, उसकी सुनते हैं, और गलत सही आदेश कर देते हैं, पुलिस भी यही बात कहती है।

प्रशासनिक कार्य में किसी भी सचिव का इस तरह का हस्तक्षेप करने के मतलब योगीजी को बदनाम करने जैसा है। तभी तो भाजपा प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य राजेंद्रनाथ तिवारी ने कहा कि वह इस बात की जानकारी सीएम तक पहुंचाएगें। अधिवक्ताओं की नियुक्ति के मामले में भी सचिव पर अगुंलिया उठ चुकी है। सोमवार को क्लीनिक छोड़कर डाक्टर एमके सिन्हा कमिशनर और डीएम से मिले और तथ्यों से अवगत कराया। सचिव के सामने अधिकारियों की मजबूरी देख सभी हैरान है। जिस तरह इस मामले में अधिकारियों की असहजता देखी गई, वह हैरान करने वाली है। इस मामले में जिस तरह सचिव महोदय की दखलंदाजी देखी जा रही हैं, उससे पीड़ितों को न्याय मिलना कठिन हो गया, कहा भी जाता है, कि अगर कमिशनर, डीएम और एसडीएम कमजोर हो जाएगें तब जिले में आराजकता का माहौल उत्पन्न हो जाएगा, भूमाफियों का राज हो जाएगा, किसी की जमीन ही सुरक्षित नहीं रह पाएगी।

किसी भी व्यक्ति को अगर सवा दो लाख खर्च करके सवा दो करोड़ की जमीन मिल जाएगी, तो वह इसे पाने के लिए जमीन आसमान एक कर देगा। खूनखराबा करते तक के लिए तैयार हो जाएगा। कुछ इसी तरह का प्रयास विक्रमजोत के होटल मालिक अरविंद सिंह के भाई बृजेश सिंह कर रहे है। यह सोचने वाली बात है, कि अगर विक्रमजोत का व्यक्ति वह भी करोड़पति षहर में आकर सवा दो लाख में करोड़ों की जमीन का सौदा करके एग्रीमेंट करवाता है, तो सोचनीय वाली बात है। ध्यान देने वाली बात यह है, कि बैनामा नहीं बल्कि एग्रीमेंट करवाता है, इसी एग्रीमेंट के आधार पर 15-20 साल पहले कराए गए बैनामा की जमीन के कुछ हिस्से को अपना बताने का दावा कर रहें है। इसके लिए अपने पहुंच का इस्तेमाल कर रहें हैं, योगी के एक ठाकुर सचिव का सहारा ले रहें हैं, शायद सचिव साहब को भी अंधेरे में रखकर करोड़ों की जमीन पर कब्जा करना चाहते हैं। कहना गलत नहीं होगा कि सचिव साहब से जितना हो सका उन्होंने प्रयास कर लिया, फोन के जरिए अधिकारियों से कब्जा दिलवाने का प्रयास भी किया। अब सवाल उठ रहा है, कि आखिर जमीन किसकी मानी जाए उन डाक्टर साहब और जुनैद की मानी जाए जिन्होनें सालों पहले बैनामा कराया, मानचित्र पास करवाया, या फिर उस व्यक्ति की मानी जाए, जिसने मात्र सवा दो लाख का एग्रीमेंट हाल ही में करवाया। सवाल यह भी उठ रहा है, कि बैनामा क्यों नहीं बृजेश सिंह ने करवाया, क्यों एग्रीमेंट करवाया? जाहिर सी बात है, नजर तो करोड़ों की जमीन पर रही होगी। सबसे अधिक हैरान करने वाली बात यह है, कि जिस गाटा संख्या जमीन का एग्रीमेंट हुआ, वह जमीन मौके पर ही नहीं हैं, डाक्टर कह भी रहे हैं, अगर वह जमीन मेरे में हैं, तो वह छोड़ने के लिए तैयार है। बताते हैं, कि वह जमीन रास्ते में चली गई। यहां पर एक और सवाल खड़ा हो रहा है, कि क्या बृजेश सिंह ने बिना जमीन देखे ही एग्रीमेंट करवा लिया? क्या ऐसा भी कोई करता है, कि जमीन का पता नहीं और करवा लिया एग्रीमेंट। कहने का मतलब तोलानीजी तो अपने उपर चले गए, लेकिन कईयों को फंसा गए। यह भी ध्यान देने वाली बात है, कि एग्रीमेंट स्व. मोतीलाल तोलानीजी ने नहीं बल्कि उनके बेटे संजय तोलानी ने किया। तहसील वालों का कहना है, कि बृजेश सिंह चाहें जितना सिफारिश करवा ले, लेकिन जो सही है, वही होगा। मुख्यमंत्री भी चाहेगें तो उनकी एग्रीमेंट वाली जमीन नहीं मिल सकती, क्यों कि वह रास्ते में चली गई। पैसे के लेनदेन होने से भी इंकार नहीं किया जा सकता। सौदा तो 50 से 60 लाख तक में एक पक्ष के द्वारा लड़ाई झगड़े से निजात पाने के लिए कर लिया था, हुआ कि नहीं यह पता नहीं चला।

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