विधायकजी किसानों को बेवकूफ समझने की गलती मत करिए!
- Posted By: Tejyug News LIVE
- राज्य
- Updated: 28 August, 2025 19:32
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विधायकजी किसानों को बेवकूफ समझने की गलती मत करिए!
-पहले संसद में सपा सांसद रामप्रसाद चौधरी ने जिले में खाद की कालाबाजारी की बात न उठाकर किल्लत बताया और अब सपा विधायक राजेंद्र प्रसाद चौधरी ने वही किया जो सांसदजी ने किया
-विधायकजी पत्र लेकर कृषि निदेशक के पास पहुंचे और जिले में खाद की किल्लत बताते हुए खाद उपलब्ध कराने का अनुरोध
-अब यह तो किसान बेवकूफ हैं, या फिर विधायकजी किसानों से दूर, अब सपा के सांसद और विधायक को कौन समझाने जाए कि किसान खाद की कालाबाजारी से परेशान हैं, न कि खाद की कमी से
-बार-बार कहा जा रहा है, कि जिले को पिछले साल की अपेक्षा 55 फीसद खाद अधिक उपलब्ध कराई जा चुकी हैं, एक-एक समितियों ने 966 फीसद अधिक खाद बेचा, जांच टीम भी आई
-ऐसा लगता है, कि सपा के सांसद और विधायक खाद की कालाबाजारियों को बचाने में लगे हैं, वरना इन्हें खाद की किल्लत बताकर क्लीन चिट नहीं देते, जिलेभर का किसान यूरिया की कालाबाजारी को लेकर परेषान हैं, अब सपा के लोगों को किसानों की समस्या का ज्ञान ही नहीं
-जो सांसद और विधायक किसान का बेटा बताते नहीं थकते, अगर वही लोग किसानों का दर्द नहीं समझेगें तो समझेगा कौन, बुढ़ा किसान एक बोरी के लिए रो रहा, बरसात में लाइन लगाए हुए सड़क जाम कर रहा, और माननीयों को न जाने क्यों यह सब दिखाई ही नहीं देता
-इनके मुखिया चिल्ला रहे हैं, कि खाद की कालाबाजारी हो रही है, खुद भी यह खाद की कालाबाजारी को लेकर ज्ञापन दे चुके हैं, फिर भी इन्हें खाद किल्लत नजर आती?
बस्ती। आखिर जिले के सांसद और विधायक को हो क्या गया है? क्यों नहीं इन्हें खाद की कालाबाजारी दिखाई देती? क्यों यह लोग यूरिया की चोरी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पत्र नहीं लिखते? क्यों यह लोग खाद की किल्लत बताकर जिले के लिए खाद की मांग कर रहें हैं, जब कि इन्हें अच्छी तरह मालूम हैं, कि जिले में पहले ही पिछले साल की अपेक्षा 56 फीसद अधिक खाद आ चुकी है, एक-एक समितियों ने पिछले साल की अपेक्षा इस साल 966 फीसद अधिक यूरिया बेचा, जिसकी जांच के लिए लखनउ से टीम भी आई, लेकिन वह भी मैनेज होकर चली गई। उसके बाद भी सपा के सांसद और विधायक खाद की किल्लत बताकर खाद की मांग कर रहे है। पहले संसद में सपा सांसद रामप्रसाद चौधरी ने जिले में खाद की कालाबाजारी की बात न उठाकर किल्लत बताया और अब सपा विधायक राजेंद्र प्रसाद चौधरी ने वही किया जो सांसदजी ने किया। विधायकजी पत्र लेकर कृषि निदेषक के पास पहुंचे और जिले में खाद की किल्लत बताते हुए खाद उपलब्ध कराने का अनुरोध किया। अब या तो किसान बेवकूफ हैं, या फिर विधायकजी किसानों से दूर, अब सपा के सांसद और विधायक को कौन समझाने जाए कि किसान खाद की कालाबाजारी से परेशान हैं, न कि खाद की कमी से। मीडिया बार-बार कह रही है, कि जिले को पिछले साल की अपेक्षा 55 फीसद खाद अधिक उपलब्ध कराई जा चुकी हैं, एक-एक समितियों ने पिछले साल की अपेक्षा इस साल अब तक 966 फीसद अधिक खाद बेचा। ऐसा लगता है, कि सपा के सांसद और विधायक खाद की कालाबाजारियों को बचाने में लगें हैं, वरना यह खाद की किल्लत बताकर क्लीन चिट नहीं देते, जिलेभर का किसान यूरिया की कालाबाजारी को लेकर परेशान हैं, लेकिन सपा के लोगों को किसानों की समस्या का ज्ञान तक नहीं। जो सांसद और विधायक किसान का बेटा बताते नहीं थकते, अगर वही लोग किसानों का दर्द नहीं समझेगें तो समझेगा कौन, बुढ़ा किसान एक बोरी के लिए रो रहा, बरसात में लाइन लगा रहा सड़क जाम कर रहें, और माननीयों को न जाने क्यों यह सब दिखाई ही नहीं देता? इनके मुखिया चिल्ला रहे हैं, कि खाद की कालाबाजारी हो रही है, खुद भी यह खाद की कालाबाजारी को लेकर ज्ञापन दे चुके हैं, फिर भी इन्हें खाद की किल्लत नजर आ रही? भाकियू भानु गुट के मंडल प्रवक्ता चंद्रेश प्रताप सिंह निरंतर खाद की कालाबाजारी को लेकर जिले के अधिकारियों और माननीयों को जगाने का काम कर रहे हैं, लेकिन न माननीय जाग रहे हैं, और न अधिकारी ही सक्रिय हो रहें। किसानों का कहना है, कि अगर जिले का किसान एक बोरी यूरिया को लेकर रो रहा है, तो इसकी सारी जिम्मेदारी उन माननीयों की है, जिनके वोट पर यह लोग राज कर रहे है। कहते हैं, कि अधिकारी तो चोरी करेगा ही लेकिन माननीय क्या कर रहे हैं? चोरों को सजा दिलाने के बजाए उनका बचाव कर रहे है। सांसदजी और विधायकजी वीसी में कृषि मंत्री ने डीएम से पूछा था, कि डीएम साहब जब जिले को आवष्यकता से अधिक खाद दी गई तो क्यों नहीं किसानों को खाद मिल रहा है? आखिर नौ लाख बोरी यूरिया गई कहां? सांसदजी और विधायकजी किसानों को बेवकूफ बनाना बंद करिए, आप जो कर रहें वही करिए, निधि बेचिए ठेका पटटी लीजिए। यह भी नहीं कि आप दोनों सत्ता पक्ष के हो, इस लिए भ्रष्टाचार का मुद्वा नहीं उठा सकते है। आप दोनों तो विपक्ष के नेता हो, तो फिर भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज क्यों नहीं उठाते? क्यों नहीं पूर्व विधायक संजय प्रताप जायसवाल की तरह मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर खाद की कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग करतें। सांसदजी और विधायकजी को यह मालूम होना चाहिए कि 80 फीसदी यूरिया की खपत कहां हो रही हो, समिति के सचिव और रिटेलर्स अधिकांष यूरिया पंप को 500 में बेच रहे हैं। एक बोरी यूरिया में एक हजार लीटर ईधन बनता है, और एक लीटर 50 रुपये में बेची जा रही है। जबकि यूरिया का व्यवसायिक रेट एक बोरी का 17 सौ रुपया है। 500 रुपये में यूरिया खरीदकर पंप वाला 50 हजार कमाता है। इसी लिए अधिकांश यूरिया की खपत यूरिया पंपों पर हो रही है, इसकी जानकारी डीएम को भी मीडिया की ओर से दी गई, जांच भी हुई, लेकिन एआर और जिला कृषि अधिकारी लाख-लाख लेकर छोड़ दिए। अगर आप लोग भी यूरिया की कालाबाजारी रोकना चाहते हैं, तो प्रषासन पर यूरिया पंप पर छापा मारने का दबाव बनाईए। लेकिन किसान को बेवकूफ मत बनाइए। लेकिन आप लोगों को तो फोटो खिचवाने और संसद में दिए उठाए गए सवालों का वीडियो और फोटो को सोशल मीडिया पर वायरल करने का शौक है।

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