दानवीर नहीं फ्राड निकले महथा के प्रधान शाह उस्मान!

दानवीर नहीं फ्राड निकले महथा के प्रधान शाह उस्मान!

दानवीर नहीं फ्राड निकले महथा के प्रधान शाह उस्मान!


बस्ती। दो दिन पहले विकास खंड बनकटी के ग्राम पंचायत महथा के प्रधान शाह हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रतीक के रुप में उभरकर खूब वाहवाही बटोरी। यह भी कहा गया कि  इनका पूरा परिवार गंगा जमुनी तहजीब के लिए जाना जाता है। लेकिन दो दिन नहीं बीता था, कि प्रधानजी का सच दुनिया के सामने आ गया। अब लोग इन्हें दानवीर नहीं बल्कि धोखेबाज प्रधान कह रहे है। क्यों कि इन्होंने दो विधायकों और हजारों जनता को धोखा दिया। जिस 15 बिस्वा जमीन को अपना बताकर वहां पर बारात घर बनाने के लिए विधायकों की मौजूदगी में जमीन को दान करने का एलान किया, असल में वह जमीन प्रधान की नहीं, बल्कि खतौनी में चारागाह के रुप में दर्ज हैं, और चारागाह की जमीन की नवैयत नहीं बदली जा सकती। वर्तमान प्रधान खुद सरकारी जमीन पर सालों से कब्जा करके उसपर खेतीबारी कर रहे है। जिन चारागाह के एक बीघा जमीन पर प्रधानजी खेतीबारी कर रहे हैं, उसी जमीन को इन्होंने बारात घर बनाने के लिए अपनी जमीन बताकर दान कर दिया। बताया जाता है, कि गांव वाले प्रधानजी पर जमीन को खाली करने के लिए बराबर दबाव बना रहे थे, चूंकि प्रधानी का चुनाव करीब आ गया है, इस लिए प्रधानजी से सोचा होगा कि अगर वह जमीन को विधायकों के सामने दान कर देखे तो उनका जीतना पक्का माना जाएगा। इसी साजिष के तहत इन्होंने विधायक दूधराम और महेंद्रनाथ यादव को कार्यक्रम में बुलाया। देखा जाए तो गांव वालों ने ही प्रधानजी की पोल खोल दी, जैसे ही जमीन दान करने की खबर छपी इनके विरोधी सक्रिय हो गए। मीडिया तक सबूत पहुंचाने लगे। प्रधानजी के विरोधियों का कहना है, कि चुनाव को ध्यान में रखकर जमीन दान देने की बात कही गई। कहते हैं, कि आज के दौर में जहां एक विस्वा जमीन के लिए भाई-भाई आपस में लड़ रहे है। वहीं अगर कोई प्रधान 15 बिस्वा जमीन दान करता तो सवाल खड़ा होगा ही। दो ही दिन में प्रधानजी हीरो से विलेन बन गए। ऐसे में इनका जीतना कठिन लगता है। गांव वाले कहते हैं, कि कोई प्रधान चुनाव जीतने के लिए ऐसा भी कर सकता है, कभी सोचा नहीं जा सकता। इन्होंने गांव वालों को तो धोखा दिया ही दोनों विधायकों को भी धोखा दिया।

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