शिक्षा माफिया बने छात्रवृत्ति माफिया, हर साल करोड़ों लूट रहे!

शिक्षा माफिया बने छात्रवृत्ति माफिया, हर साल करोड़ों लूट रहे!

शिक्षा माफिया बने छात्रवृत्ति माफिया, हर साल करोड़ों लूट रहे!

बस्ती।

-कैसे एक भूमि पर दस स्कूलों की मान्यता मिली? कैसे एक ही भूमि पर मिल गया, बीएड, बीटीसी, डिग्री कालेज, इंटरकालेज और नर्सिगं कालेज संचालित हो रहें

-नियमानुसार एक भूमि पर एक ही विधालय की मान्यता मिल सकती, लेकिन जिले में दस-दस विधालयों की मान्यता शिक्षा और छात्रवृत्ति माफिया लेकर बैठे, पूरे जिले में इनका जाल बिछा हुआ

-यह लोग छात्रवृत्ति हड़पने के नाम पर दाखिला लेते, उन्हें अपनें कालेज में एक्जाम दिलाते, और नकल करवाकर पास भी कराते

-बस इन छात्रवृत्ति माफियों की एक ही शर्त रहती हैं, कि वह सारी सुविधा देने को तैयार हैं, स्कूल भी आने की आवष्यकता नहीं, बस उन्हें छात्रवृत्ति चाहिए

-शायद ही किसी कालेज में कक्षाएं संचालित होती होगी, अगर इसकी जांच हो जाए तो बड़े-बड़े शिक्षा माफिया इसकी चपेट में आ सकते

-सबसे अधिक इसकी चपेट में फुटैहिया से लेकर हर्रैया तक, पचपेड़िया रोड, महसों से बनकटी, फुटैहिया से नगर बाजार होते हुए गायघाट तक फर्जीवाड़ा ही फर्जीवाड़ा दिखाई देखा

-शहर के अनेक ऐसे विधालय हैं, जो प्रशासन को गुमराह करके एक ही भूमि पर बने भवन पर कई विधालयों का मान्यता ले रखा

बस्ती। जिले में लगभग 90 फीसद विधालय भवनों का निर्माण एक ही भूमि पर हुआ, इस भूमि पर इन्होंने एक नहीं दो नहीं तीन नहीं चार नहीं बल्कि आठ से दस विधालयों की मान्यता ले रखी है। जबकि नियमानुसार एक ही भूमि पर एक ही विधालय की मान्यता मिलने का है।  चूंकि यह लोग शिक्षा माफिया के नाम पर काफी पैसा कमा चुके हैं, और इन लोगों की राजनीति पहुंच भी है, इस लिए यह नियम विरुद्व एक ही भवन और एक ही भूमि पर दस-दस संस्थाएं संचालित कर रहे है। इसके पीछे इन लोगों का मकसद करोड़ों रुपये की छात्रवृत्ति को हड़पना रहता है। सूत्रों का दावा हैं, कि अगर इसकी कायदे से जांच हो जाए तो 90-95 फीसद संस्थाओं में कक्षा संचालित होते नहीं मिलेगा। छात्रवृत्ति के बदले यह लोग छात्र/छात्राओं को स्कूल ना आने की सुविधा से लेकर परीक्षा में अच्छे मार्क से पास कराने की गारंटी भी लेते हैं, बस यह छात्रवृत्ति माफिया छात्रों से इतना कहते हैं, कि जो छात्रवृत्ति मिलेगी, उसे संस्था को वापस करना होगा। जाहिर सी बात हैं, जिन छात्र/छात्राओं को इतनी सारी सुविधा घर बैठे मिलेगी, तो वह खुशी-खुशी मिले छात्रवृति को कालेज को वापस कर देता है। अगर किसी को घर बैठे बीएड, बीटीसी, डिग्री कालेज, इंटरकालेज और नर्सिगं की डिग्री मिल जा रही हैं, तो उसमें उनका नुकसान क्या हैं? भले ही उन्हें पढ़ने और पढ़ाने का कोई ज्ञान ना हो, लेकिन अच्छे मार्क वाली डिग्री तो उन्हें मिल ही रही हैं, और इसी डिग्री के सहारे नौकरी भी हासिल कर लेता है।

जिले में छात्रवृत्ति के नाम पर हर साल करोड़ों रुपया का घोटाला शैक्षिक संस्थाएं कर रही हैं, और प्रशासन की नजर तक उनपर नहीं जाती, इस लिए नहीं जाती, क्यों कि इन लोगों के पास मनी और पावर दोनों होता है। इस लिए इन्हें आसानी से एक ही भूमि पर नियम विरुद्व कई संस्थाओं का मान्यता भी मिल जाता है। अब तो आप लोग समझ ही गए होगें, कि क्यों यह लोग तरक्की करते जा रहे हैं, एक ही साल में दूसरा भवन बनकर तैयार हो जा रहा, दूसरे साल में दूसरा, तीसरे साल में तीसरा और चौथे साल में चौथा भवन एक भी भूमि पर खड़ा हो जा रहा है। कहना गलत नहीं होगा, कि जितनी तरक्की रियल स्टेट वालों ने नहीं कर रहें हैं, उससे कई गुना अधिक षिक्षा माफिया से छात्रवृत्ति माफिया बने करते जा रहे है। अनेक ऐसे शिक्षा माफिया सामने आए हैं, जिनके पास ना तो कोई भूमि हैं, और ना ही कोई शैक्षिक संस्थान फिर भी यह करोड़ों कमा रहे है। आप सोच रहे होगें कि यह कैसे संभव है। चलिए हम आपको असंभव को संभव बनाने की तरकीब बताते है। यह लोग किसी विधालय भवन में चले जाते हैं, और वह संस्थान के मालिक से यह सौदा करते हैं, कि आपको सिर्फ भवन का फोटो देना हैं, और उस भवन के सामने वह फोटो भी खिचवाता हैं, और इसके एवज में वह हर साल लाखों रुपया देने को तैयार हो जाता है। कहने का मतलब भवन का फोटो दिखाकर वह मान्यता लेलेता है, और उसके बाद छात्रवृत्ति के नाम पर घोटाला करता है। नियमानुसार मान्यता देने से पहले जांच के लिए टीम को आना चाहिए, लेकिन यह लोग सब मैनेज कर लेते हैं, और घर बैठे टीम से रिपोर्ट लगवा देते है।

बताते चले कि सीआरओ की अध्यक्षता में तीन सदस्यों की एक टीम बनी हुई हैं, जो यह देखती हैं, कि जिस भूमि पर मान्यता लिया जा रहा हैं, उस भूमि पर इससे पहले तो कहीं मान्यता तो नहीं दी गई। अब जरा अंदाजा लगाइए कि अगर यह टीम अपना काम ईमानदारी से करती तो क्या एक ही भूमि पर दस-दस संस्थाओं को मान्यता मिलता? और क्या भवन पर भवन खड़ा होता। वैसे देखा जाए तो सबसे अधिक छात्रवृत्ति का घोटाला फुटैहिया से लेकर हर्रैया तक, पचपेड़िया रोड, महसों से बनकटी, फुटैहिया से नगर बाजार होते हुए गायघाट तक के दर्जनों संस्थानों में हो रहा है। शहर के इंटर के अनेक ऐसे विधालय हैं, जो प्रषासन को गुमराह करके एक ही भूमि पर कई-कई विधालयों का मान्यता ले रखा है। दावा किया जा रहा हैं, कि अगर प्रशासन इसकी जांच करवा ले तो बहुत बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा हो सकता हैं, और बड़े-बड़े शिक्षा माफियों के चेहरों पर नकाब उठ सकता है। यह भी दावा किया जा रहा हैं, प्रशासन सिर्फ संस्थानों का डेली का डीसीआर ही मंगवाकर जांच कर ले तो बड़ा खुलासा हो सकता है।

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