सांसदजी का राज्य पिछड़ा, जिला पिछड़ा, खुद भी पिछडे़!
- Posted By: Tejyug News LIVE
- राज्य
- Updated: 22 July, 2025 20:56
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सांसदजी का राज्य पिछड़ा, जिला पिछड़ा, खुद भी पिछडे़!
-दशकों तक सत्ता में रहकर बस्ती को पिछड़ा बनने में सबसे बड़ा योगदान देने वाले व्यक्ति ही, आज वही इस जिले को पिछड़ा कहें तो शर्म भी शर्मिंदा हो जाएःसुनील सिंह
-अभी आने वाले कई लोकसभा और विधानसभा चुनावों के बाद भी बस्ती की दुर्दशा ज्यों की त्यों बनी रहेगीःइंजी. प्रिंस श्रीवास्तव
-दो-तीन दशक से कप्तानगंज का प्रतिनिधित्व कर रहें हैं, एक पैसे का काम नहीं किया और क्यों करेगें विकास, जब जाति के नाम पर जीत हो रही, विकास के नसाम पर जीत होती तो न जाने कितने विकास पुरुष कहलातेःभूपेंद्र पांडेय माधव
-तब मुख्यमंत्री बनेगें तो विकास करेंगे, प्रदेश की जतना से अपील हैं, कि 2027 में योगीजी को मठ में बैठाएं और राम प्रसाद चौधरी को सीएम बनाए, जिससे पूर्वांचल का विकास होःअभय पांडेय
जिला पिछड़ा अवष्य है, लेकिन नेताजी लोग अगछ़े हैं, मैं तो इनके बारे में तारीफ सुनकर खुश हो लेता हूंःेकबीर यादव
-जिले की बात अभी साइड करिए, शुरुआत कप्तानगंज से करता हूं, जहां से पिता और पुत्र की पहचान बनी, पिता कई बार विधायक और मंत्री रहे, बेटा भी अपना खाता विधायकी से खोला, मां दुर्गा मंदिर से गौर बभनान गोंडा बार्डर से सटा हुआ हैं, विकास की गंगा बह रही, वही बगल के हर्रैया में पूर्व मंत्रीजी के द्वारा पूरे जिले में विकास के साथ अलग पहचान मिलीःपांडेय आशीष मचईया
-जिन्हें मौका मिला उन्होंने अपना विकास किया, बाकी जनता आज भी बेवकूफ बनी है, तब इन्हें जाति नहीं दिखार्द देती, यरकार जनता की सुविधा के लिए बनाई जाती, लेकिन यहां पर तो नेताओं की सुविधा के लिए सरकार चल रही, उतनी सुविधा अगर जनता को दे दी जाए तो देखते कौन पिछड़ा रहेगाःसुशील पांडेय
-जिला पिछड़ा रहेगा तभी तो माननीयों का सपरिवार आगे बढ़ेगें, पिछड़ा बनने और बनाने की होड़ चल रही, विकास किया लेकिन अपना किया, अभी तक अपना विकास करने में लगे थेःरवि तिवारी, उमेश तिवारी, अजीत मिश्र, सुखदेव उपाध्याय
-आप क्या चाहते हैं, कि सांसदजी सदन में जाकर यह कह दें कि मेरा जिला तगड़ा है, और इसमें विकास के लिए कोई बजट नहीं चाहिए, क्या पूर्व सांसद या किसी नेता ने अपने जिले के लिए सदन में ऐसा कहा होगा कि उसका जिला बहुत तगड़ा है, उसे बजट की कोई जरु3रत नहींःअखिलेश शुक्ल मंटू
-पिछले दो साल से लिजे में विकास की अनवरत गंगा बह रही, हो सकता कि कार्यकाल पूरा होने तक हम लोग जापान के टोक्यो षहर की बाराबरी कर लें
बस्ती। पत्रकार अनूप मिश्र ने फेसबुक पर सांसद रामप्रसाद चौधरी के बारे में पोस्ट किया कि यह हर बार सदन में कहते हैं, कि हम जिस जिले से आता हूं वह पिछड़ा जिला है। लिखा कि हम सांसदजी से पूछना चाहते हैं, कि अगर बस्ती जिला पिछड़ा औा उपेक्षित हैं, तो यह किसकी जिम्मेदारी है। 19997 में आप मायावती सरकार में राज्यमंत्री रहे, इसी साल कल्याण सिंह सरकार में मंत्री रहें, 2007 में मायावती सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे, इसके आलावा आप पांच बार विधायक रहे, दो बार लोकसभा का सदस्य रहे, एक बार खलीलाबाद से, अगर एक लंबे समय तक जिले के लोगों की आवाज उठाने के लिए आपको नेतृत्व करने का मौका मिला तो आपको भी जबावदेही तय करनी चाहिए, कि यह जिला अभी तक पिछड़ा एवं उपेक्षित क्यों हैं? पोस्ट करते ही इतने कमेंट आने लगे कि समझ में नहीं आ रहा है, कि कहीं चौधरी साहब ने जिले को पिछड़ा कहकर गलती तो नहीं कर दी, क्यों कि सबसे अधिक सवाल लोगों ने इन्हीं पर ही दागा। अगर सारे कमेंट को लिख दिया जाए तो पूरा अखबार भर जाएगा, इस लिए चुनिंदा कमेंट को ही लिखा जा रहा है। कमेुंट से आप को लग जाएगा कि जिल6े की जनता सांसद और उनके पुत्र विधायक के बारे में क्या राय रखती है। कुल मिलाकर जिले के पिछड़ा होने का ठीकरा सांसद पर ही फोड़ा गया, क्यों कि पिछड़ापन दूर करने और जिले का विकास करने में सबसे अधिक मौका इन्हीं को ही मिला।
भाजपा के सुनील सिंह कहते हैं, कि दषकों तक सत्ता में रहकर बस्ती को पिछड़ा बनने में सबसे बड़ा योगदान देने वाले व्यक्ति ही, आज वही इस जिले को पिछड़ा कहें तो शर्म भी शर्मिंदा हो जाए। इंजी. प्रिंस श्रीवास्तव कहते हैं, कि अभी आने वाले कई लोकसभा और विधानसभा चुनावों के बाद भी बस्ती की दुर्दशा ज्यों की त्यों बनी रहेगी।
भूपेंद्र पांडेय माधव कहते हैं, कि दो-तीन दशक से कप्तानगंज का प्रतिनिधित्व कर रहें हैं, एक पैसे का काम नहीं किया और क्यों करेगें विकास, जब जाति के नाम पर जीत हो रही, विकास के नाम पर जीत होती तो न जाने कितने विकास पुरुष कहलाते। अभय पांडेय कहते हैं, कि तब मुख्यमंत्री बनेगें तो विकास करेंगे, प्रदेश की जतना से अपील हैं, कि 2027 में योगीजी को मठ में बैठाएं और राम प्रसाद चौधरी को सीएम बनाए, जिससे पूर्वांचल का विकास हो। कबीर यादव लिखते हैं, कि जिला पिछड़ा अवष्य है, लेकिन नेताजी लोग अगड़े हैं, मैं तो इनके बारे में तारीफ सुनकर खुश हो लेता हूं। पांडेय आशीष मचईया कहते हैं, कि जिले की बात अभी साइड करिए, शुरुआत कप्तानगंज से करता हूं, जहां से पिता और पुत्र की पहचान बनी, पिता कई बार विधायक और मंत्री रहे, बेटा भी अपना खाता विधायकी से खोला, मां दुर्गा मंदिर से गौर बभनान गोंडा बार्डर से सटा हुआ हैं, विकास की गंगा बह रही, वही बगल के हर्रैया में पूर्व मंत्रीजी के द्वारा पूरे जिले में विकास के साथ अलग पहचान मिली। सुशील पांडेय कहते हैं, कि जिन्हें मौका मिला उन्होंने अपना विकास किया, बाकी जनता आज भी बेवकूफ बनी है, तब इन्हें जाति नहीं दिखार्द देती, सरकार जनता की सुविधा के लिए बनाई जाती, लेकिन यहां पर तो नेताओं की सुविधा के लिए सरकार चल रही, उतनी सुविधा अगर जनता को दे दी जाए तो देखते कौन पिछड़ा रहेगा। रवि तिवारी, उमेश तिवारी, अजीत मिश्र, सुखदेव उपाध्याय कहते हैं, कि जिला पिछड़ा रहेगा तभी तो माननीयों का सपरिवार आगे बढ़ेगें, पिछड़ा बनने और बनाने की होड़ चल रही, विकास किया लेकिन अपना किया, अभी तक अपना विकास करने में लगे थे। अखिलेश शुक्ल मंटू कहते हैं, कि आप क्या चाहते हैं, कि सांसदजी सदन में जाकर यह कह दें कि मेरा जिला तगड़ा है, और इसमें विकास के लिए कोई बजट नहीं चाहिए, क्या पूर्व सांसद या किसी नेता ने अपने जिले के लिए सदन में ऐसा कहा होगा कि उसका जिला बहुत तगड़ा है, उसे बजट की कोई जरुरत नहीं। अमित द्विवेदी ने बहुत अच्छी बात लिखी है, कहा कि पिछले दो साल से जिले में विकास की अनवरत गंगा बह रही, हो सकता कि कार्यकाल पूरा होने तक हम लोग जापान के टोक्यो शहर की बराबरी कर लें। सवाल उठ रहा है, कि जब नेता और उनका परिवार तरक्की कर सकता और तो फिर जिला क्यों नहीं अगड़े में शामिल हो रहा है। जितना निधि अन्यजिले के सांसद और विधायकों को मिलती है, उतना निधि बस्ती के जनप्रतिनिधियों को भी मिलती है, तो फिर जिला क्यों विकास में पीछे रह जा रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण निधियों को बेचना जनता मान रही है। जिस दिन निधि बिकनी बंद हो जाएगी उस दिन हमारा जिला भी अगड़ी में शामिल हो जाएगा।
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