सपा सरकार होती तो चौराहे पर बलात्कार करवाता, वीडियो वायरल करता!
- Posted By: Tejyug News LIVE
- राज्य
- Updated: 17 June, 2025 22:34
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सपा सरकार होती तो चौराहे पर बलात्कार करवाता, वीडियो वायरल करता!
-दो दलित नाबालिग लड़कियों ने 112 के दो सिपाही पर लगाया गंभीर आरोप, जातिसूचक शब्द कहने
-दलित ल़ड़कियों का कसूर इतना भर था, कि उन दोनों ने यह पूछ लिया कि बिना महिला पुलिस के आप लोग घर के बंदर कैंसे आ गए
-लड़कियों का कहना भर था, कि लगे दोनों मारने जिसके चलते दोनों का कपड़ा फट गया
-लड़कियों की मांग बीच में आई तो उसे भी मारापीटा और गाली दिया, जब इस पर भी मन नहीं भरा तो मुंडेरवा थाने की पुलिस को बुला लिया
-पुलिस ने आते ही अपना रुप दिखाना शुरु कर दिया, पहले महिला से मोंबाइल मांगा, उसे तोड़ दिया और नेकर चले, मोबाइल इस लिए तोड़ा कि उसने मारने पीटने का वीडियो बना लिया था
-दलितों पर मुकदमा दर्ज कराने के लिए जानबूझकर सिपाहियों ने अपने बिल्ले को नोंचकर फंेक दिया, ताकि केस बन सके
-लड़कियों की मां माया देवी ने एसपी से गुहार लगाते हुए तीन सिपाहियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग की
बस्ती। बार-बार सवाल उठ रहा हैं, कि क्या बस्ती की पुलिस कभी सुधरेगी या नहीं? क्या कभी इन लोगों को यह एहसास होगा कि हमने गलत किया? हम्हें यह नहीं करना चाहिए था, वह नहीं करना चाहिए था? इससे बड़ा सवाल यह उठ रहा है, कि आखिर पुलिस दलित वर्ग को ही क्यों इतना कमजोर समझती है, कि जब चाहें उनके घर में बिना महिला पुलिस के घुस जाए और जब चाहें उन्हें जाति सूचक शब्दों का इस्तेमाल करके महिलाओं और नाबालिग लड़कियों को मारने पीटने लगे। कोई पुलिस वाला कहता है, कि अगर सपा की सरकार होती तो दोनों नाबालिग लड़कियों को चौराहे पर बलात्कार करवाता और वीडियो बनाकर वायरल कर देता, कोई सिपाही कहता हैं, कि मैं भला हूं सारी चमरई भुला दूंगा। इन दोनों नाबालिग दलित लड़कियों का दोष इतना भर था, कि दोनों ने यह पूछ लिया कि बिना महिला पुलिस के आप लोग घर के अंदर कैंसे घुस गए? इतना कहना ही नहीं था, कि पुलिस वाले अपने आपे से बाहर हो गए, और जो करना था, अपने पुराने अंदाज में किया, मां बचाने आई उसे भी मारापीटा, जाति सूचक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए जितनी भी गंदी से गंदी गाली हो सकती है, सब दिया। दो बच्चियों को बाल पकड़कर पटक दिया, जिससे उनके कपड़े फट गए। मार के निशान अभी भी मौजूद है। दोनों लड़कियों के साथ अष्लील हरकत करते हुए कहा कि चमार की जाति अगर कुछ करोगें तो जेल भेजवा देंगें, हत्या करने की नीयत से उसके भाई को मुंह पर इतनी जोर से मारा कि उसके नाक से खून बहने लगा, और वह वहीं पर बेहोश हो गया। भीड़ जुटने पर दोनों सिपाही ने थाने से पुलिस बुला लिया। प्रधान आए तब जाकर सबकी जान बची। मौके पर दरोगा आए और घटना की रिकाडिंग देखने के बहाने माता से मोबाइल ले लिया। पहले तो पटक कर मोबाइल को तोड़ दिया और फिर उसे साथ में लेकर चले गए। यानि मारा-पीटा और सबूत को भी साथ में लेकर चले गए। दोनों लड़कियों का फटा कपड़ा अभी भी सुरक्षित है। दरोगा ने जाते-जाते कहा कि आज अगर सपा की सरकार की होती तो दोनों लड़कियों का चौराहें पर बलात्कार करवाता, वीडियो बनाता और उसे वायरल कर देता। भाई का भी खूनालूद कपड़ा अभी तक सुरक्षित है। मामला सिर्फ भाई के मोबाइल बनाने को लेकर था। जो लोग भाजपा को बुराभला कह रहे हैं, अगर वह लोग दारोगा की बात सुनेगें तो क्या वह लोग चाहेगें कि किसी लड़की का चौराहे पर बलात्कार हो। यहां पर भाजपा को क्लीन चिट नहीं दिया जा रहा हैं, क्यों कि इस घटना के लिए भाजपा की सरकार भी दोषी है, क्यों कि उन्हीं के ही राज में दलित लड़कियों के साथ नांइसाफी हो रही है। अब सवाल यह है, कि जनता किसे चुने, जब सब एक ही रास्ते पर चल रहे है। यह सही है, कि भाजपा राज में अधिकारी बेलगाम हो चुके है। अनुशासन नाम की कोई चीज अधिकारियों में रह ही नहीं गई है। जिसका खामियाजा निर्बल लोगों को भुगतना पड़ रहा है। यहां पर दलित की भी बात नहीं है। बात यह है, कि आखिर पुलिस की कार्य प्रणाली कब सुधरेगी? कब इन्हें जनता अपना दोस्त समझेगी? मामला एक दिन पहले मुंडेरवा थाने के ग्राम एकमा का है।
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