सीएमओ कार्यालय में 5.81 करोड़ के घोटाले का हुआ खुलासा

सीएमओ कार्यालय में 5.81 करोड़ के घोटाले का हुआ खुलासा

सीएमओ कार्यालय में 5.81 करोड़ के घोटाले का हुआ खुलासा

-डा. राजीव निगम, डा. एके गुप्त और संदीप राय की तिकड़ी ने गोरखपुर के बदनाम बाबा टेडर्स को छपाई का पांच करोड़ 81 लाख का ठेका देने की रची साजिश

-भाजपा नेता एवं जिला सहकारी बैंक के चेयरमैन राजेंद्रनाथ तिवारी ने भारत सरकार के स्वास्थ्य सचिव और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखकर जांच कराने की मांग की

-इससे पहले के सीएमओ आरएस दूबे और एनएचएम के आरसीएच डा. एके गुप्त सवा करोड़ के घोटाले को अंजाम दे चुके

-जब टेंडर एक साल का होता है, और भारत सरकार पीअईपी भी एक साल की देती है, तो कैसे दो साल का अनुबंध हुआ

-अपने चहेते गोरखपुर के बाबा टेडर्स को छपाई का का ठेका देने के लिए सारे नियम कानून को ताक पर रख दिया

-अधिक कमीशन के चक्कर में एक साल के बजाए दो साल का टेंडर कर दिया, रेट कैसे सीएमओ ने एक साथ निर्धारित कर लिया, जब कि कोई जीओ भी नहीं, जब प्रोग्राम का अलग-अलग पैसा आता है, तो कैसे एक साथ निर्णय ले लिया

बस्ती। जो भी सीएमओ जिले में आता है, वह अपने आप को सबसे बड़ा ईमानदार साबित करने का प्रयास करता है, आते ही सबको ईमानदारी का पाठ-पढ़ाने लगते है। लेकिन जैसे ही कुछ दिन बीतता है, और चारों तरफ हरियाली ही हरियाली दिखाई देती है, तो सारी ईमानदारी धरी की धरी रह जाती है। सबसे बड़ा ईमानदार के बजाए सबसे बड़ा बेईमान साबित होने लगते है। कहना गलत नहीं होगा कि यह लोग राजधानी से ही बेईमानी का पाठ सीखकर आते है। बेईमानी का सबसे अधिक पाठ विभागीय मंत्री ही सीखाते हैं, जाहिर सी बात हैं, जब सीएमओ 25 लाख देकर जिले में आएगें तो वह ईमानदार कहां से होगें। यह लोग जैसे ही लखनऊ से बस्ती के लिए कार से निकलते हैं, इनके साथ बेईमानों की टोली भी हो लेती है। यह लोग अपने साथ ईमानदारी का नहीं बल्कि बेईमान ठेकेदारों को साथ में लेकर बस्ती आते है। यही ठेकेदार जिले को लूटते हैं, और सीएमओ को उनके 25 लाख की भरपाई करते है। बेईमानों की टोली बस्ती में भी स्वागत करने के लिए फूल और माला लेकर घघवापुल पर इंतजार करती है। बस्ती वाली टीम में सबसे बड़े बेईमान का नाम आरसीएच डा. एके गुप्त का पहले स्थान पर आता है, इसके बाद डा. एसबी सिंह और डा. एके चौधरी का नाम आता है। इस टीम का काम खुद कमाना और सीएमओ को कमवाना रहता है, इस टीम पर इस बात का कोई फर्क नहीं पड़ता कि नर्सिंग होम में कोई मरीज मर रहा है, या किसी अल्टासाउंड सेंटर पर लिंग परीक्षण और भ्रूण हत्याएं होती है। जिस डा. एके गुप्त का खुद का अल्टासाउंड चल रहा हो, उसे कैसे ईमानदार कहा जा सकता है। जिले के गरीब मरीजों की मौत को प्राइवेट अस्पतालों के हवाले करने वाले जब एमओआईसी कप्तानगंज को न्याय नहीं दिला पाए तो यह क्या किसी गरीब को न्याय दिला पाएगें। कहना गलत नहीं होगा कि पैसे के आगे इनकी आत्मा पूरी तरह मर चुकी है। पूरी तरह संवेदनहीन हो चुके है। बहरहाल, हम बात कर रहे थे, ईमानदार सीएमओ की।

जब डा. राजीव निगम बस्ती के सीएमओ बनकर आए तो लोगों ने इन्हें बहुत बड़ा ईमानदार के रुप में इनके बेईमानों की टोली ने शुरु कर दिया। इनकी बेईमानी उस समय सामने आनी शुरु हो गई, जब प्राइवेट अस्पतालों में गरीब मरीजों की मौत होने लगी, कार्रवाई करने के बजाए यह और इनकी टीम सौदा करने लगी। अब आप इसी से अंदाजा लगा लीजिए कि जो व्यक्ति किसी गरीब और अपने एमओआईसी के बच्चे की मौत का सौदा करता हो, वह कैसा ईमानदार हो सकता है। पिछले वाले सीएमओ के साथ आरसीएच डा. एके गुप्त ने जिस तरह करोड़ों के घोटाले की साजिश रची थी, वही साजिश गुप्तजी ने इस सीएमओ के साथ रची। एनएचएम का पांच करोड़ 81 लाख के छपाई का टेंडर गोरखपुर के बाबा टेडर्स को देने की साजिश रची है, जिसका खुलासा हो गया। सवाल उठ रहा है, कि जब भारत सरकार एक साल के लिए ही पीआईपी देती है, तो कैसे सीएमओ और गुप्तजी ने मिलकर दो साल कर दिया। इसका सीधा सा मतलब हैं, कि सीएमओ और गुप्तजी एक साल का नहीं बल्कि दो साल का कमीशन एक साथ लेना चाहते है। इससे पहले भी बाबा टेडर्स पर बिना छपाई के लाखों रुपये का भुगतान करने का आरोप लगता रहा है। पूरे प्रदेश में सबसे अधिक कमीशन देने का रिकार्ड बाबा के नाम ही है। इसी लिए सीएमओ और आरसीएच एवं एनएचएम के लिपिक संदीप राय इसी फर्म को ही ऐनकेन प्रकरण ठेका देने का प्रयास करते है। अधिक कमीशन के चक्कर में एक साल के बजाए दो साल का टेंडर कर दिया, रेट कैसे सीएमओ ने एक साथ निर्धारित कर लिया, जब कि कोई जीओ भी नहीं, जब प्रोग्राम का अलग-अलग पैसा आता है, तो कैसे एक साथ निर्णय ले लिया है। भाजपा नेता एवं जिला सहकारी बैंक के चेयरमैन राजेंद्रनाथ तिवारी ने भारत सरकार के स्वास्थ्य सचिव और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखकर जांच कराने की मांग की है। दावा ेिकया जा रहा है, कि अगर इसकी भी जांच पहले जैसी हो गई तो इस बार सीएमओ के साथ गुप्तजी भी चपेट में आ सकते है।

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