पिठिया लस्करी के शिकायतकर्त्ता को जान का खतरा

पिठिया लस्करी के शिकायतकर्त्ता को जान का खतरा

पिठिया लस्करी के शिकायतकर्त्ता को जान का खतरा

-एसपी को पत्रलिखकर जानमाल की सुरक्षा की लगाई गुहार, कहा कि जब से हमने शिकायत किया तभी से प्रधान और सचिव उनकी हत्या करने के फिराक में रहते

बस्ती। पिठिया लस्करी के शिकायतकर्त्ता संतोष कुमार यादव को प्रधान और सचिव से जान को खतरा है। इसी लिए इन्होंने एसपी को पत्र लिखकर उनसे अपने और परिवार के जानमाल की सुरक्षा की गुहार लगाया है। शिकायतकर्त्ता ने दोनों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की है। लिखा कि अगर इन्हें और इनके बच्चों को खत्म कर दिया जाए तो सारी कहानी समाप्त हो जाएगी। स्पष्ट लिखा है, कि अगर उसे या फिर उसके परिवार के साथ कोई अप्रिय घटना होती है, तो इसके लिए प्रधान राम उजागिर और सचिव विनय कुमार शुक्ल को पूरी तरह जिम्मेदसार माना जाए। अगर योगी के राज में किसी शिकायतकर्त्ता के हत्या की साजिश इस लिए रची जा रही है, कि उसने प्रधान और सचिव के भ्रष्टाचार की शिकायत लोकायुक्त में किया, तो फिर जीरो टालरेंस जैसी नीति और शिकायकर्त्ताओं की सुरक्षा का क्या होगा? अगर इसी तरह हत्या करने जैसी साजिश रची जाएगी तो कोई आम आदमी किसी की शिकायत ही नहीं कर पाएगा। तो फिर हर जगह जंगल राज कायम हो जाएगा। तो फिर कौन योगी और मोदी को वोट देगा और कौन इन दोनों की जयजयकार करेगा? अगर किसी शिकायतकर्ता का परिवार डर के साए में जीना पड़े तो फिर शासन और प्रशासन के होने का क्या मतलब? भ्रष्टाचार ने प्रधानों और सचिवों को इतना अंधा और लालची बना दिया है, कि वह अपराध करने तक को तैयार हो जा रहे है। जिले में 1185 प्रधान हैं, शायद ही कोई ऐसा प्रधान और उस गांव का सचिव होगा जिस पर भ्रष्टाचार का आरोप न लगा हो, अगर पिठिया लस्कारी के प्रधान और सचिव की तरह हर कोई कानून को अपने हाथ में लेने लगेगा तो किसी शिकायतकर्त्ता का परिवार ही जीवित नहीं रहेगा। इसी लिए मीडिया उन प्रधानों और सचिवों को आगाह करती है, कि किसी की जाने लेने से अच्छा जांच का सामना करें, क्यों कि अपराध करके आज तक कोई बच नहीं पाया हैं, हर किसी को उसकी किए की सजा अवष्य मिली है। इस लिए खुद चैन की नींद सोइए और दूसरों को भी चैन की नींद सोने दीजिए। इसी में पूरे समाज की भलाई है।

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