पटटा हुआ था, मत्स्य पालन का, हो रहा मिटटी का अवैध खनन

पटटा हुआ था, मत्स्य पालन का, हो रहा मिटटी का अवैध खनन

पटटा हुआ था, मत्स्य पालन का, हो रहा मिटटी का अवैध खनन

-जब थाना और चौकी के नाक के नीचे मिटटी का खनन होगा तो रोकेगा कौन?

-पुलिस और खनन विभाग पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता कि बालू और मिटटी का अवैध खनन सरकारी तालाब से हो रहा है, या फिर नदी के किनारे

-जब तक पुलिस मिटटी और बालू खनन माफियों की दोस्त रहेगी, तब तक कारोबार नहीं रुक सकता

बस्ती। कहा भी जाता है, कि मिटटी और बालू का कारोबार ही एक मात्र ऐसा कारोबार हैं, जिसमें कारोबारियों का एक रुपया भी नहीं लगता, और कमाई लाखों और करोड़ों में होती है। कहा जाता है, कि जब तक पुलिस और खनन विभाग के अधिकारी मिटटी और बालू माफियाओं के दोस्त रहेगें तब तक यह अवैध कारोबार चलता रहेगा। यही एक मात्र ऐसा कारोबार है, जो सबसे रात के अंधेरें में होता है, मिटटी और बालू की लदी गाड़ियां थाने और पुलिस चौकी के सामने से गुजर जाती है, लेकिन कोई यह तक नहीं पूछता कि भईया कागज तो दिखा दो। अगर कोई कागज मांगता हैं, तो उसे कागज नहीं बल्कि नोट दिखाया जाता है। यह अवैध कारोबार जितना मिटटी और बालू माफियों के लिए आसान है, उतना अधिकारियों के लिए जान का जोखिम जैसा है। यही एक मात्र कारोबार हैं, जिसके कारोबारी पुलिस और खनन विभाग के कर्मियों पर गाड़ी तक चढ़ा देते है। इसी लिए आज तक आप लोगों आप लोगों ने यह नहीं सुना होगा, कि रात को पुलिस या खनन विभाग के अधिकारियों अवैध खनन वाले स्थानों पर छापेमारी भी की है। इस बालू के कारोबार ने ना जाने कितने बालू माफिया नेता बन गए, करोड़ों के मालिक हो गए, चुनाव तक लड़ने लगे। यह कहना गलत होगा कि पुलिस और खनन विभाग के लोग बालू माफियों के आगे नतमस्तक हो गएं है, यह लोग आर्थिक और राजनीति रुप से इतने मजबूत होते हैं, कि कोई इन्हें छू तक नहीं सकता, कार्रवाई करना या फिर जेसीबी जब्त करना तो बहुत दूर की बात है। जिले के आला अधिकारी परसरामपुर थाना क्षेत्र के घघौवा चौकी क्षेत्र में हो रहे बालू के अवैध खनन को लेकर पूरी तरह मौन है। अवैध खनन चाहे बालू का हो या फिर मिटटी का, दोनों मामलों में सबसे अधिक भूमिका पुलिस ही नजर आती है। कहना गलत नहीं होगा कि इसी भूमिका के चलते राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है। बालू माफिया हो या फिर मिटटी माफिया, इन सभी पर राजनेताओं का हाथ रहता है। थाना परसरामपुर ग्राम रिधौरा पांस्ट षंकरपुर निवासी केषराम ने डीएम को लिखे पत्र में कहा है, कि गाटा संख्या 165 जिसका क्षेत्रफल 0.651 हैं, जिसका मत्स्य पालन के लिए पटटा हर्रैया एसडीएम ने नौमीलाल पुत्र जसई निवासी रिधौरा को दस साल के लिए 28 अगस्त 24 को किया। मगर पटटाधारक के द्वारा डंपर लगाकर उक्त तालाब से मिटटी का खनन कर अवैध कारोबार कर रहा है। तालाब को सुंदर बनाने के नाम पर मिटटी का खनन और परिवहन करके पैसा कमा रहा है। पत्र में इसकी जांच किसी ईमानदार अधिकारी से कराने की मांग की है।

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