प्रधान, पति, जेठ और सचिव ने मिलकर सरकार को लगाया लाखों का चूना
- Posted By: Tejyug News LIVE
- राज्य
- Updated: 1 February, 2025 18:28
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प्रधान, पति, जेठ और सचिव ने मिलकर सरकार को लगाया लाखों का चूना
इधर डीएम ने नोटिस दे रहें हैं, उधर प्रधान और सचिव ने मिलकर खजाना खाली कर दिया
-नोटिस मिलने के बाद बरदिया लोहार की प्रधान अंजली और ग्राम विकास अधिकारी विनय कुमार शुक्ल ने मिलकर लगभग 20 लाख प्रधान ने जीएसटी की चोरी करने में बदनाम फर्म आरके इंटरप्राइजेज को फर्जी भुगतान कर दिया
-लोकायुक्त के द्वारा प्रधान और सचिव के खिलाफ 43.55 लाख का दोषी पाए जाने के बाद भी डीपीआरओ ने अभी तक मुकदमा दर्ज नहीं कराया
-डीपीआरओ पर लगा भारी रकम लेकर कार्रवाई ना करने का शिकायतकर्त्ता सूरज सिंह ने लगाया आरोप
-महिला प्रधान और सचिव ने मिलकर ने अपने जेठ उदय प्रताप सिंह को मालामाल कर दिया, फर्जी तरीके से जेठ के फर्म पाविका इंटरप्राइजेज को किया 44 लाख से अधिक का भुगतान, जीएसटी की भी चोरी करवाया
-दुबौलिया के ग्राम बरदिया लोहार की प्रधान ने अपने नीजि खाते में लगभग दस लाख का मजदूरी का किया भुगतान
बस्ती। यूंही नहीं शिकायतकर्त्ता डीपीआरओ पर भ्रष्टाचार करने और भ्रष्टाचारियों को बढ़ावा देने का आरोप लगा रहे है। वैसे भी इन्हें सिंगल विंडो सिस्टम वाला डीपीआरओ कहा जाता है। यानि एक ही खिड़की पर लेन-देन का कारोबार होता है। यह पहले ऐसे डीपीआरओ होगें जो सारा का सारा बखरा खुद ले लेतें है। इसी लिए इन्होंने अपने चेंबर और बाबूओ वाले कमरे में सीसीटीवी कैमरा नहीं लगवाया, ताकि किसी को पता ना चल सके कि किससे क्या-क्या लेन देन हुआ। जब कि औचित्हीन कमरों में कैमरा लगावाया गया, ताकि पता चल सके कि कौन क्या कर रहा हैं, किससे बात कर रहा हैं, और कौन लोग उनके पास आए और गए, जबकि सबसे अधिक आवष्यकता डीपीआरओ के चेंबर और बाबूओं वाले कमरे में है। इन्हें अच्छा नहीं लगता कि कोई इनके बखरे में हक जताए, इसी लिए इन्होंने सभी को किनारे कर दिया। बखरा के आगे यह लोकायुक्त और डीएम के आदेश को भी साइड में करने से नहीं डरते। अब जरा अंदाजा लगाइए, कि लोकायुक्त ने दुबौलिया के ग्राम पंचायत बरदिया लोहार की प्रधान अंजली और ग्राम विकास अधिकारी विनय कुमार शुक्ल को लगभग 44 लाख रुपये के सरकारी धन के गबन का दोषी माना, और डीएम ने प्रधान का पावर सीज करते हुए सचिव को निलंबित कर दिया, लेकिन डीपीआरओ ने एफआईआर दर्ज नहीं करवाया। अगर डीपीआरओ एफआईआर दर्ज करवा देते तो आज महिला प्रधान, जेठ और सचिव जेल में नजर आते है।
जब प्रधान, जेठ और सचिव का पर्दाफाश हो गया तो इन लोगों ने मिलकर आनन-फानन में दुबौलिया के एक नामी फर्म आरके इंटरप्राइजेज के प्रोपराइटर राजकुमार सादव की मिली से उसके फर्म में बचाखुचा 20 लाख फर्जी भुगतान कर दिया। पाविका इंटरप्राइजेज की तरह आरके इंटरप्राइजेज भी कागजों में चल रहा हैं, जीएसटी की चोरी करने में इन्हें मास्टर माइंड कहा जाता हैं, यह अब तक दुबौलिया के प्रधानों और सचिवों से मिलकर अपने फर्म में पांच करोड़ से अधिक का भुगतान लिया होगा, जीएसटी एक रुपया भी जमा नहीं किया, यह फर्म दुबौलिया के भ्रष्ट प्रधानों और सचिवों की पहली पसंद है। तीन-चार फीसद यह मुनाफा लेकर बाकी पैसा यह ईमानदारी से निकालकर प्रधानों और सचिवों को दे देते। प्रधान और सचिव ने जब यह देखा कि प्रधान के जेठ की फर्म पाविका इंटरप्राइजेज लोकायुक्त में फंस गई तो इन लोगों ने लक्ष्मनपुर हर्रैया की फर्म जो दुबौलिया में कागजों में चलती है, के फर्म में लगभग 20 लाख भेज दिया। जबकि डीपीआरओ चाहते तो खाते पर रोक लगा सकते थे, अगर रोक लगा देते तो 20 लाख का गबन नहीं होता। शिकायतकर्त्ता का आरोप हैं, कि चूंकि डीपीआरओ एक दो माह में रिटायर होने वाले हैं, इस लिए यह अधिक से अधिक बखरा बटोरना चाहते है। अगर ऐसा नहीं होता तो यह प्रधान और सचिव के खिलाफ कब का एफआईआर दर्ज करवा देते।
इसे लेकर शिकायकर्त्ता सूरज सिंह शपथ पत्र के साथ डीएम से मिलते हैं, और उनसे प्रधान और सचिव से सरकारी धन की रिकवरी और एफआईआर दर्ज करवाने की अपील करते हैं, कहते हैं, कि डीपीआरओ खुद दोनों से मिले हुएं है। बता दें कि दुबौलिया के रमना तौफीर निवासी सूरज सिंह पुत्र रमाशंकर सिंह ने बरदिया लोहार की प्रधान अंजली और ग्राम विकास अधिकारी विनय कुमार शुक्ल के भ्रष्टाचार के खिलाफ साक्ष्य के साथ लोकायुक्त के यहां सात अक्टूबर 24 को षिकायत दर्ज करवाया। जांच के लिए डीएम को भेजा, डीएम ने डीआरडीए के पीडी, डीसी मनरेगा और उपायुक्त वाणिज्यकर की टीम से जांच करवाया। जांच रिपोर्ट में स्पष्ट लिखा गया हैं,कि प्रधान और सचिव ने मिलकर प्रधान के बड़े भाई यानि जेठ उदय प्रताप सिंह के नाम से पंजीकृत फर्म पाविका इंटरप्राइजेज के पक्ष में नियम विरुद्व 33 लाख 62 हजार 667 रुपया का भुगतान फर्जी तरीके से किया। टैक्स भी जमा नहीं किया, इतना ही नहीं प्रधान ने सचिव के साथ मिलकर अपने नीजि खाते में नियम विरुद्व मजदूरी का नौ लाख 93 हजार 111 रुपया भेजवा दिया। उसके बाद डीएम ने प्रधान का पावर सीज कर दिया और सचिव को निलंबित कर दिया। अलबत्ता प्रधान और सचिव से मिलकर फिर से एक अन्य कागजों में चल रहे नामी फर्म आरके इंटरप्रइजेज के खाते में आनन फानन में लगभग 20 लाख का भुगतान अनियमित रुप से कर दिया। यह भुगतान 16 नवंबर 24 से 27 नवंबर 24 तक 11 दिन में राज्य वित्त आयोग एवं पंचम से किया गया। इसी की कार्रवाई को लेकर षियतकर्त्ता दे दिन पहले डीएम से षपथ-पत्र के साथ मिले, और दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की मांग की। प्रधान ने अपने जेठ को लाभ पहुंचाने के लिए गांव वालों के साथ धोखा किया। गांव वालों के विकास का पैसा खुद के खाते में मंगाया ही साथ ही जेठ के फर्म को लगभग 44 लाख का फायदा भी पहुंचाया। जाहिर सी बात हैं, इतना बड़ा फर्जीवाड़ अकेले महिला प्रधान ने तो किया नहीं होगा, या तो उनके नकली प्रधान पति या फिर जेठ ने किया या फिर करवाया होगा। जीएसटी की चोरी से पता चलता हैं, कि पत्नी, पति और जेठ सरकार के भी दुष्मन है। षिकायत में अन्त्येष्टि स्थल के निर्माण में भी प्रधान और सचिव पर लगभग तीन लाख का फर्जी किया गया, लोकायुक्त ने इसके लिए भी प्रधान और सचिव को दोषी माना है। जाहिर सी बात हैं, सरकारी धन का गबन संगठित गिरोह की तरह किया गया, जिसमें प्रधान का परिवार, सचिव और फर्म शामिल है। ऐसा बहुत कम देखने को मिलता हैं, जब प्रधान ने अपने परिवार को लाभ पहुंचानें के लिए गांव वालों के साथ विष्वासघात किया। इन सबसे बड़ा दोषी उस डीपीआरओ को माना जा रहा हैं, जिन्होंने अपना टारगेट पूरा करने के लिए दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाए उनसे बखरा लिया। कहने का मतलब डीपीआरओ ने ना 44 लाख और ना 20 लाख के गबन के मामले में एफआईआर दर्ज कराया। इस कार्यालय में सबसे बड़ा सौदा एफआईआर दर्ज ना होने के नाम पर होता आ रहा है। चूंकि कोई भी जेल जाना पसंद नहीं करते, खासतौर पर महिला प्रधान, ऐसे में यह लोग डीपीआरओ से सौदा करके पत्रावली ही गायब करवा देते है। ऐसे अनेक मामले सामने आ चुके है।
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