पहली बार कमिशनर ने बागी सदस्यों की कराई परेड
- Posted By: Tejyug News LIVE
- राज्य
- Updated: 26 February, 2025 14:59
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पहली बार कमिशनर ने बागी सदस्यों की कराई परेड
-एक-एक सदस्यों का हस्ताक्षर, फोटो कराया मिलान, सदस्य स्वंय हुए उपस्थित
-29 जिला पंचायत सदस्यों ने कमिशनर के सामने दिखाई एकजुटता
-एक स्वर में 15 फरवरी 25 की बैठक को शून्य करने की उठाई आवाज
-गिल्लम चौधरी ने कहा कि भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए अध्यक्ष और एएमए ने कहा कि गत बैठक में जो प्रस्ताव पारित हुआ वह है।
-पुराने भवन के ध्वस्तीकरण का तो प्रस्ताव पढ़ा गया, लेकिन उसकी पुष्टि सदस्यों ने नहीं कराई गई, कहा गया कि ध्वस्तीकरण के नाम पर किया गया भ्रष्टाचार
-सदस्यों ने कहा कि अगर उन्हें न्याय नहीं मिलेगा तो वह लोग सामूहिक इस्तीफा देगें, जिसकी सारी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी
बस्ती। जिला पंचायत अध्यक्ष और एएमए की मुसीबतें कम होने के बजाए और बढ़ने वाली है। क्यों कि पहली बार कमिशनर ने विरोध करने वाले सभी 29 सदस्यों की परेड कैंप कार्यालय में करवाया। एक-एक सदस्य का हस्ताक्षर और फोटो मिलवाया गया, सबसे अंत में अध्यक्ष के रिष्तेदार जिला पंचायत सदस्य राजेंद्र चौधरी पहुंचे, और कहने लगे कि आप लोगों ने हम्हें क्यों नहीं बुलवाया, यह भी कहा कि हम तो ना अपने रिष्तेदार के रह गए, और ना आप लोगों के, इस लिए मैं भी विरोध करने आया हूं, उसके बाद इन्हें भी कमिशनर ने बुलाया और उनका भी परेड करवाया। जिला पंचायत के इतिहास में यह पहली बार है, जब कमिशनर ने बागी सदस्यों का अपने कैंप कार्यालय में परेड करवाया। अब गेंद पूरी तरह कमिशनर के पाले में हैं, क्यों कि कमिष्नर को ही बागी सदस्यों के प्रत्यावेदन पर निर्णय लेना है। अब यह कमिशनर के उपर है, कि बैठक को षून्य घोषित कर नई तिथि का एलान करने का आदेश देते हैं, या फिर बैठक को सकुशल संपन्न मानते है। अक्सर ऐसे मामलों में राजनीति का दबाव देखा जाता हैं। अगर कमिशनर पर बहुत अधिक दबाव नहीं बना तो सदस्यों की जीत मानी जाएगी, नहीं तो इनके सामने विरोध स्वरुप सामूहिक इस्तीफा देने के आलावा और कोई रास्ता नहीं बचेगा। जैसा कि यह लोग कमिशनर को दिए ज्ञापन में लिख चुके हैं, कि अगर उन लोगों को न्याय नहीं मिला तो 29-30 सदस्य सामूहिक इस्तीफा दे देगें, अगर ऐसा हुआ तो पूरे प्रदेश में हाहाकार मच जाएगा, तब सबसे अधिक बदनामी भाजपा सरकार ही होगी।
क्यों कि भाजपा के नेता गिल्लम चौधरी के पैड पर ही ज्ञापन दिया गया। वहीं पर अनेक सदस्यों का कहना और मानना है, कि मामला एक मिनट में सलट सकता है, और इसके लिए अध्यक्ष और एएमए को स्वंय बैठक को शून्य घोषित कर नई तिथि का एलान कर देना चाहिए। यह कार्य जितनी जल्दी हो सके कर देना चाहिए, क्यों कि अगर मार्च से पहले इसका निस्तारण नहीं हुआ, तो 25-26 का लगभग 50 करोड़ का बजट पारित नहीं होगा। वैसे भी नियमानुसार बिना पुनः बैठक कराए बजट पारित ही नहीं हो सकता, अगर बजट पारित नहीं हुआ तो इसकी सारी जिम्मेदारी अध्यक्ष और एएमए की मानी जाएगी। बार-बार सवाल उठ रहा है, कि जो काम अध्यक्ष को आज नहीं कल करना है, तो क्यों इसके लिए वह इतनी देरी कर रहे हैं, क्यों वह इस बात पर तुले हुए हैं, कि बैठक हो चुकी और बजट पारित हो चुका। बार-बार कहा जा रहा है, कि इसका हल एक मात्र रास्ता अन्य की तरह समझौता ही है। समझौते में ही सबकी भलाई छिपी हुई हैं, अगर समझौता नहीं हुआ, और बजट पारित नहीं हुआ तो इतिहास अध्यक्ष संजय चौधरी को कभी माफ नहीं करेगा। यह भी सही हैं, कि अध्यक्ष इतनी जल्दी हार मानने वालों में नहीं है। पता नहीं कहां से और कौन इन्हें सबकुछ अपने फेवर में होने की शक्ति दे रहा है। कौन सी गणित अध्यक्ष को बुद्वि नहीं दे रही है। देखा जाए तो सबसे अधिक नुकसान एएमए का ही होने वाला है। क्यों कि यह पुराने जिला पंचायत भवन के ध्वस्तीकरण के मामले में बुरी तरह से फंसे हुए है।
गिल्लम चौधरी की अगुवाई में 29 सदस्यों का एक प्रतिनिधि मंडल कमिष्नर से मिलने गया। सबसे पहले कमिष्नर ने सभी का परेड कराने का आदेष दिया, एक-एक कर सभी सदस्य कमिष्नर साहब के सामने प्रस्तुत हुए, उनका हस्ताक्षर और फोटो का मिलान हुआ। सबसे अंत में अध्यक्ष के रिष्तेदार राजेंद्र चौधरी भागे-भागे पहुंचे और कहा कि मैं भले ही अध्यक्ष का रिष्तेदार हूं, लेकिन मैं भी उनका विरोध करने आया हूं। उसके बाद उनका भी परेड हुआ। कमिष्नर को दिए ज्ञापन में कहा गया कि 15 फरवरी की बैठक में 36 में से 27 सदस्यों ने जिला पंचायत के पुराने भवन के ध्वस्तीकरण को लेकर विरोध जताया और कार्रवाई रजिस्टर की मांग की गई, पूछा गया कि आखिर किसके प्रस्ताव पर ध्वस्तीकरण किया गया, और ऐसे हाल में जब इस भवन के नवीनीकरण के नाम पर 50 लाख खर्च किया। कहां गया कि ऐसे में ध्वस्तीकरण की बात कहां से आ गई। यह भी कहा गया कि बिना सदन में प्रस्ताव प्रस्तुत और चर्चा किए बिना कैसे कार्रवाई रजिस्टर पर दर्ज कर लिया गया। कहा कि अध्यक्ष और एएमए अपने भ्रश्टाचार को छिपाने के लिए कह दिया कि गत बैठक में जो प्रस्ताव पारित हुआ है, वह सही है। इस पर एजेंडें के किसी प्रस्ताव को ना तो सदन में पढ़ा गया और ना ही चर्चा किया गया, और बोर्ड की कार्रवाई संपन्न हुए बिना अध्यक्ष और एएमए बोर्ड की बैठक को छोड़कर भाग गए। ध्यान रखने वाली बात यह है, कि चले गए नहीं कहा गया, भाग गए लिखा गया। यह भी लिखा गया कि इसकी षिकायत 27 सदस्यों ने प्रभारी कमिष्नर/डीएम और सीडीओ से लिखित में की गई। सीडीओ ने एएमए को जांच का आदेष दिया। कहा गया कि अध्यक्ष और एएमए के कथनानुसार अवैधानिक तरीके से संपन्न बोर्ड की बैठक को ष्षून्य घोषित किया जाए और पुनः बैठक की तिथि निधौरित करने के लिए एएमए को निर्देषित किया जाए। जोर देकर कहा गया कि अन्यथा हम सभी 29-30 सदस्य न्याय ना मिलने की स्थित में सामूहिक त्याग पत्र देगें, जिसकी सारी जिम्मेदारी प्रषासन की होगी। जिन लोगों का परेड हुआ उनमें गिल्लम चौधरी, मुराती देवी, सुरेष, गीता देवी, नीरा सिंह, सुभाष यादव, उर्मिला, अमृता सिंह, ज्योति सिंह, प्रियंका यादव, गुड़िया देवी, खुषबू जायसवाल, कुमारी यादव, राजबहादुर, मो. खुर्षीद, नौसाद अहमद, असलम खां, अबुबकर, षंकर प्रसाद यादव, राजेष पटेल, आदित्य प्रताप पांडेय, स्वाती सिंह, जवाहरलाल, षिवषंकर चौधरी, जटाषंकर सिंह, लवकुष, मालती, कंचन एवं अंजुला देवी का नाम षामिल है।
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