पीएचसी कुदरहा में ननद और भौजाई का आंतक

पीएचसी कुदरहा में ननद और भौजाई का आंतक

पीएचसी कुदरहा में ननद और भौजाई का आंतक

-स्टाफ नर्स सुमन चौधरी और सुनीता चौधरी दोनों ननद-भौजाई, यह दोनों हजारों की दवा बाहर की लिखती है, और चहेते मेडिकल स्टोर पर दवा खरीदने को भेजती, स्टाफ भेजकर दवा का पर्चा वापस मंगा लेती और फाड़ देती, ताकि कोई सबूत न रहें

-पहले यह ननद-भौजाई सीएचसी बनरहा में अटैच थी, जहां पर दोनों की मनमानी की शिकायत पर हटाकर पीएचसी कुदरहा कर दिया गया, यहां पर आते ही ननद और भौजाई बनरहा वाला आंतक मचाना शुरु कर दिया

-यह दोनों कुदरहा से सटे बहादुरपुर ब्लॉक की मूल निवासी हैं, लोकल होने के नाते कोई इन दोनों की मनमानी के खिलाफ कोई आवाज नहीं उठाता

-इन दोनों की शिकायत सीएम हेल्प लाइन पर करते हुए दोनों का तबादला दूर दराज के गौर और सांउघाट करने के साथ ही इनके द्वारा बिना अथारिटी के दवा लिखने की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की गई

-इसकी जांच उन एमओआईसी गायघाट के डा. फैज वारिश को दी गई, जिनके संरक्षण ननद और भौजाई फलफूल रही

बस्ती। कहा और माना जाता है, कि जैसा मुखिया रहेगा वैसा उसका स्टाफ भी रहेगा। अगर मुखिया ईमानदारी से काम करेगा तो स्टाफ भी ईमानदारी से काम करेगा, लेकिन अगर मुखिया ही बेईमानी से काम करेगें तो उनका स्टाफ भी बेईमानी ही काम करेगा। इसे कुदरहा पीएचसी के स्टाफ नर्स सुनीता चौधरी और सुमन चौधरी दोनों ने सच भी साबित कर दिया। इन दोनों ने यह साबित कर दिया कि अपने बास एमओआईसी गायघाट के बताए हुए रास्ते पर यह दोनों चल रही है। यानि जो आरोप एमओआईसी पर लग रहा है, वही आरोप ननद और भौजाई पर भी लग रहा है। इन दोनों की शिकायत सीएम हेल्प लाइन पर करते हुए दोनों का तबादला दूर दराज के गौर और सांउघाट करने के साथ ही इनके द्वारा बिना अथारिटी के दवा लिखने की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की गई है। जांच भी उन्हीं एमओआईसी को दी गई, जिनके संरक्षण में दोनों फलफूल रही है। ऐसे में जांच किस दिशा में जाएगी, इसे आसानी से समझा जा सकता है, जाहिर सी बात हैं, कि कोई भी एमओआईसी अपने ही स्टाफ के खिलाफ रिपोर्ट नहीं लगा सकता, लगाने का मतलब खुद को फंसना और हिस्सेदारी बंद होना है।    

सीएचसी गायघाट के तहत आने वाले पीएचसी कुदरहा और बानपुर दोनों हाथ से निकल चुका है। लगता ही नहीं कि यह कोई सरकारी अस्पताल भी है। छोटे से लेकर बड़े तक सिर्फ और सिर्फ सरकारी धन का दुरुपयोग करने और गरीब मरीजों का खून चूसने में लगे हुएं है। इनके इस खेल में एमआआईसी का साथ तो रहता है, ही हैं, चहेते और बिना लाइसेंस के मेडिकल स्टोर और नर्सिगं होम का संचालन करने वालों का पूरा हाथ रहता है। वरना कोई भी नर्सिगं होम सरकारी अस्पताल के पीछे बन ही नहीं सकता। बार-बार सवाल उठ रहा है

 कि आखिर डाक्टर और अन्य स्टाफ को क्या सरकार वेतन सहित अन्य सुविधा नहीं देती या फिर जितना देती है, उतने में परिवार नहीं चल सकता, अगर देती है, तो फिर क्यों यह लोग गरीब मरीजों का खून चूसते है? क्यों यह लोग कमीशन के चक्कर में मरीजों को नकली दवाएं लिखते हैं? क्यों हर साल अस्पतालों के रखरखाव के नाम पर आने वाले लाखों रुपये का दुरुपयोग करतें? यह कुछ ऐसे सवाल हैं, जिनका जबाव सीएमओ और एमओआईसी दोनों को देना है, क्यों कि अगर सीएमओ हर साल तीन लाख न लेते तो 12-13-14 साल तक कोई भी एमओआईसी एक ही सीएचसी पर तैनात नहीं रहता। बहरहाल, हम बात कर रहे थे ननद और भौजाई के आंतक की। स्टाफ नर्स सुमन चौधरी और सुनीता चौधरी दोनों ननद-भौजाई हैं, यह दोनों हजारों की दवा बाहर की लिखती है, और चहेते मेडिकल स्टोर पर दवा खरीदने को भेजती, स्टाफ को मेडिकल स्टोर्स भेजकर दवा का पर्चा वापस मंगाकर उसे  फाड़ देती, ताकि कोई सबूत न रहें। पहले यह ननद-भौजाई बनरहा में अटैच थी, जहां पर इन दोनों की मनमानी की शिकायत पर इन्हें हटाकर पीएचसी कुदरहा कर दिया गया, लेकिन यहां पर आते ही ननद और भौजाई बनरहा वाला आंतक मचाना शुरु कर दिया। यह दोनों कुदरहा से सटे बहादुरपुर ब्लॉक की मूल निवासी हैं, लोकल होने के नाते कोई इन दोनों की मनम0ानी के खिलाफ आवाज नहीं उठाता। शिकायकर्त्ता ने कहा कि जब उसे ननद और के भ्रष्टाचार की शिकायत मिली तो वह इसकी पुष्टि करने के लिए पीएचसी कुदरहा गया, जहां पर दोनों नर्सो को नियम विरुद्व और बिना किसी अथारिटी के मरीजों को देखने और हजारों रुपया का बाहरी दवा लिखते हुए देखा। बड़ी चालाकी से ननद और भौजाई दवा की पर्ची लिखती थी, चोरी न पकड़ी जाए इस लिए यह जो दवाएं पर्ची पर लिखती थी, उसे स्टाफ भेजकर मेडिकल स्टोर से मंगवा लेती थी, और फाड़कर फेंक देती थी। ननद-भौजाई की चालाकी देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है, कि यह दोनों कितना शातिर दिमाग की होगी। जाहिर सी बात यह चालाकी कहीं और से नहीं बल्कि मुखिया से मिली होगी। ननद और भौजाई की यह जोड़ी पूरे जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है। शिकायतकर्त्ता का कहना है, कि जब तक ननद और भौजाई को दूर दराज के पीएचसी या सीएचसी में नहीं भेजा जाएगा, तब तक यह दोनों गरीब मरीजों का खून चूसती रहेगीं। वैसे चहेते मेडिकल स्टोर्स वाले और एमओआईसी कभी नहीं चाहेगें कि ननद और भोैजाई की जोड़ी अलग हो।

Comments

Leave A Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *