नटवरलाल निकले सिटी टाइम के चेयरमैन पंकज पाठक!

नटवरलाल निकले सिटी टाइम के चेयरमैन पंकज पाठक!

नटवरलाल निकले सिटी टाइम के चेयरमैन पंकज पाठक!


-किराए के मकान में रहने वाला पंकज कुमार पाठक अचानक लखनउ में कई कोठियों, होटल और आधा दर्जन से अधिक फारचूनर का मालिक बन गया, आधा दर्जन बांउसर लेकर चलने लगा

-निवेशकों का पैसा हजम कर जेल की हवा खाने वाले चेयरमैन और उनकी पत्नी सहित सभी डायरेक्टर के खिलाफ फ्राड के आरोप में 15 से अधिक मुकदमें दर्ज

-बस्ती के निवेशकों के हक की लड़ाई लड़ने वाले टाइम सिटी संघर्ष मोर्चा के जेके तिवारी का कहना है, कि जब हम लोग भारी संख्या में पंकज पाठक के पास लखनऊ गए, तो हम लोगों को मारने के लिए बांउसरों की फौज लगा दिया

-23 दिसंबर 21 और 17 अक्टूबर 22 को चेयरमैन और निवेशकों  के लिखकर देने के बाद भी बस्ती के निवेशकों के नाम जमीन बैनामा नहीं कराया, हाईकोर्ट को भी भुगतान के मामले में गुमराह किया, छह करोड़ के स्थान पर मात्र 65 लाख की ही जमीन का बैनामा किया

-हाईकोर्ट के आदेश पर जो 11 करोड़ का चेक निवेशकों  को दिया, उसमें से अधिकांष बाउंस हो गया, चेयरमैन और इनकेनिवेशकों  ने मिलकर बस्ती के निवेशकों के साथ बहुत बड़ा धोखा किया

-कहा कि उंची-उंची भवन बनान, 8-10 फारचूनर खरीदना और होटल बनाने के लिए चेयरमैन के पास पैसा कहां से आया, जनता की गाढ़ी कमाई से ऐश कर रहें, यह बहुत बड़ा ठग है, पूरे पूर्वांचल को मिलकर लूटा, इन्हें दंड मिलना ही चाहिए

-आखिर किस हैसियत से चेयरमैन और उनकी टीम ने एक अरब 74 करोड़ एसिएन कांटक्षन के लिए बंधक के रुप में निवेशकों  का पैसा लगा दिया, इसका खुलासा आडिट ने किया

-चेयरमैन पंकज कुमार पाठक ने लगभग 26 करोड़ अपने परिवार को दे दिया, वहनिवेशकों  की लड़ाई लड़ रहे हैं, और अगर सुप्रीम कोर्ट भी जाना पड़े तो जाया जाएगाःपूर्व चेयरमैन सीपी शुक्ल

-चिट फंड कंपनी चलाने और धोकरकसवा में कोई अंतर नहीं, क्यों कि धोकरकसवा भेष बदलकर आता है, और सबको लूट कर चला जाता, इसी तरह चिट फंड वाले भी भेष बदलकर आते हैं, और गरीबों को लूटकर महल खड़ी कर लेते

-निवेशकों  को भी यह सोचना चाहिए कि अमीर बनाने के लिए कोई मशीन नहीं होती, अगर होती तो आज हर गली मोहल्ले में अंबानी और अदानी होते, निवेशकों का लालची स्वभाव उन्हें लू डूबता

-चिट फंड के घोटालेबाजों को धोखेबाज और ठग कहा जाता, गलत प्रबंधन, योजनाओं में मैनेजमेंट का ठीक न होना, खातों का गलत रखरखाव और सदस्यों के बीच पारदर्शिता की कमी के चलते धोेखेबाजी और धोखेबाजों का जन्म होता  

बस्ती। इसे बस्ती के निवेशकों  की नादानी मानी जाए या फिर उनका लालची स्वभाव कहा जाए, नुकसान तो निवेशकों  का ही हुआ, और लाभ कंपनी के लोगों का। अगर ऐसा नहीं होता तो टाइम सिटी के चेयरमैन और उसके निदेशक राज न कर रहे होते। जिदंगीभर की पूंजी लगाकर भी निवेशकों के अपना घर और जमीन का टुकड़ा होने का सपना पूरा नहीं हुआ, और वहीं पर उन लोगों ने एक नहीं कई कोठियां और होटल का निर्माण करवा लिया, जिसने एक रुपया भी निवेश नहीं किया। कभी किराए के मकान में रहने वाले कंपनी के चेयरमैन पंकज कुमार पाठक के पास आज कोठी, बगंला, आठ-दस फारचूनर, होटल और साथ में आधा दर्जन से अधिक बाउंसर, और निवेशकों  इन सबके के लिए पूर्व चेयरमैन सीपी शुक्ल को जिम्मेदार मान रहे हैं, कहते हैं, कि अगर यह कंपनी से इस्तीफा न दिए होते तो आज निवेशकों को जमीन का एक टुकड़ा पाने के लिए दर-दर न भटकना पड़ता, और उनका सपना भी पूरा हो गया होता। गलती तो पूर्व चेयरमैन ने भी। यही बात बस्ती के निवेशकों  के हक की लड़ाई लड़ने वाले टाइम सिटी संघर्ष मोर्चा के जेके तिवारी भी कहते हैं, कहते हैं, कंपनी का डाउन फाल उसी दिन से शुरु हुआ जिस दिन पूर्व विधायक ने इस्तीफा दिया। वरना आज हम लोगों को हक के लिए कानूनी लड़ाई न लड़नी पड़ती। इस्तीफा देने का कारण चाहें जो भी रहा, लेकिन एक बात तो साबित हो चला है, कि जिस सीपी शुक्ल का चेहरा देखकर निवेशकों  ने आंख बंदकरके कंपनी पर विष्वास किया और पैसा लगाया, वे सभी आज मंझधार में है। इस सच को पूर्व विधायक भी मानते हैं, और कहते हैं, कि उन्हें इस्तीफा नहीं देना चाहिए था, उनके चूक और भूल हुई, साथ ही वह यह भी कहते हैं, कि जिल निवेशकों  ने उन पर भरोसा किया और करोड़ों रुपया कंपनी में लगाया, उनका एक-एक रुपया दिलाकर रहूंगा भले ही चाहें इसके लिए सुप्रीम कोर्ट तक न जाना पड़े। बहरहाल, यह ऐसी भूल और चूक है, जिसका खामियाजा गरीब निवेशकों  को भुगतना पड़ रहा है। इन्हें जमीन का टुकड़ा मिलेगा भी कि नहीं और कब मिलेगा, इस बात की गारंटी कोई नहीं दे रहा है। जिस चेयरमैन को निवेशकों का सारा पैसा लौटाने या जमीन का बैनामा करने की गारंटी हाईकोर्ट में जमानत पाने के लिए दिया, वह भी अपनी बात से मुकर गया। हाईकोर्ट में शपथ पत्र देने के बाद भी अगर कोई इतनी बड़ी कंपनी का चेयरमैन मुकर जाता है, तो कोर्ट को ऐसे झूठे व्यक्ति की जमानत त्वरित खारित करते हुए जेल भेज देना चाहिए, क्यों कि निवेशकों  बार-बार यह कह रहे हैं, कि जिन लोगों ने गरीबों को धोखा दिया, उन्हें ठगा उन लोगों का स्थान बड़ी-बड़ी कोठियों में नहीं ल्कि जेल में है।

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