मत देखिए, ‘सूद’ पर ‘पैसा’ लेकर ‘अमीर’ बनने का ‘सपना’ टूट जाएगा!

मत देखिए, ‘सूद’ पर ‘पैसा’ लेकर ‘अमीर’ बनने का ‘सपना’ टूट जाएगा!

मत देखिए, ‘सूद’ पर ‘पैसा’ लेकर ‘अमीर’ बनने का ‘सपना’ टूट जाएगा!


-सपना देखा तो नहीं चली जाएगी इज्जत, डूब जाएगा करोड़ों, कोर्ट कचहरी और पुलिस का चक्कर अलब से लगाना पड़ेगा

-अमीर बनने की कोई मशीन नहीं होती, लेकिन बर्बाद करने की अवष्य सूद रुपी मशीन होती, अमीरी या दौलत कोई अलादीन का चिराग नहीं, जिसे जब चाहा रगडा और सपना पूरा कर लिया

-जिले में आज तक कोई सूद पर पैसा लेकर दौलतमंद नहीं कहलाया, नेताओं की तरह क्यों व्यापारी वर्ग कुछ ही समय में साम्राज्य खड़ा करने का सपना देखता?

-जो लोग रातों-रात अमीर बनने का या किसी की बराबर करने का सपना देखते हैं, उनका अंजाम जिले के लोग अनेक बार देख चुके और देख रहें

-जो लोग करोड़ों का लेन-देन सूद पर करते हैं, वह बैंक का सहारा क्यों नहीं लेते, अगर बैंक का सहारा लिए होते तो उन्हें 90 लाख के स्थान पर दो करोड़ से अधिक और 31 लाख के स्थान पर 52 लाख न देना पड़ता और न इज्जत ही जाती

-जिस तरह दोनों ने इतनी बड़ी रकम के लेन-देन स्वीकारा हैं, अगर आईटी की निगाह इस पर पड़ गई तो चढढी बनियाइन दोनों उतर जाएगी

-आज तक आप लोगों ने कभी किसी सूदखोर को इस कारण आत्महत्या करते नहीं सुना होगा, कि उसका मूलधन डूब गया, सूदखोर कभी मूलधन के बारे में नहीं सोचता और न उसके लिए धमकी ही देता है, वह तो ब्याज के लिए सबकुछ करता

बस्ती। दिव्यांषु खरे और अमन श्रीवास्तव के एपीसोड ने उन लोगों की आखें खोल दी जो सूद पर पैसा लेकर रातों-रात अमीर बनने का सपना देख रहे हैं। इस एपीसोड में जिस तरह अभिषेक सिंह, आदित्य श्रीवास्तव, रत्नाकर श्रीवास्तव और अमन श्रीवास्तव की पत्नी शिवांगी श्रीवास्तवा का नाम सामने आया, वह काफी चौकाने वाला है। जिले के लोगों ने देखा कि किस तरह करोड़ों का लेन-देन सूद पर हुआ। व्यापारी विशेषज्ञों का मानना हैं, कि कोई भी कारोबार इतना ग्रोथ और मुनाफा नहीं दे सकता कि कोई उससे 90 लाख के बदले दो करोड़ समय से चुका सके। कहते हैं, कि जो लोग सूद पर पैसा लेकर जल्दी अमीर बनने या फिर किसी की बराबरी करने का सपना देखते हैं, उन लोगों की एक न एक दिन इज्जत तो जाती ही है, साथ ही पैसा भी डूब जाता, कोर्ट कचहरी और पुलिस कर चक्कर अलग से लगाना पड़ता है। इस लिए अमीर बनने के लिए सूद का सहारा मत लीजिए, नहीं तो रोना और पछताना पड़ेगा, जो लोग सूदखोरों का सहारा लेकर अमीर बनना चाह या कारोबार बढ़ाना चाह रहें, उन्हें दिव्यांषु खरे और अमन श्रीवास्तव का एपिसोड को ध्यान में अवष्य रखना चाहिए। मीडिया बार-बार उन लोगों को याद दिलाना चाहती है, जो अमीर बनने के लिए षार्ट कट का रास्ता अपनाते हैं, मीडिया यह भी याद दिलाना चाहती है, कि अमीर बनने की कोई मशीन नहीं होती, लेकिन बर्बाद करने की सूदखोरी रुपी मषीन अवष्य होती, अमीरी या दौलत कोई अलादीन का चिराग नहीं, जिसे जब चाहा रगडा और अमीर बन गए। अगर ऐसा होता तो हर मोहल्ले में अंबानी और अदानी ही दिखाई देते। जिले में आज तक कोई सूद पर पैसा लेकर दौलतमंद नहीं कहलाया, भिखारी की श्रेणी में अवष्य खड़ा नजर आया। सवाल उठ रहा है, कि आखिर नेताओं की तरह क्यों व्यापारी वर्ग कुछ ही समय में साम्राज्य खड़ा करने का सपना देखतें है? जो लोग रातों-रात अमीर बनने का या किसी की बराबर करने का सपना देखते हैं, उनका अंजाम जिले के लोग अनेक बार देख चुके और देख भी रहें, आगे भी देखने को मिल सकता। किसी का परिवार बर्बाद हो गया तो किसी परिवार के मुखिया ने आत्महत्या कर लिया। भला सिर्फ सूदखोरों का हुआ। यह भी सवाल उठ रहा है, कि जो लोग करोड़ों का लेन-देन सूद पर करते हैं, वह बैंक का सहारा क्यों नहीं लेते? अगर बैंक का सहारा लिए होते तो कम से कम उन्हें 90 लाख के स्थान पर दो करोड़ से अधिक और 31 लाख के स्थान पर 52 लाख तो न देना पड़ता और न इज्जत ही गवानी पड़ती। वैसे यह मामला काफी दिनों से चिंगारी के रुप में सुलग रहा था, दबी जबान से सूद पर करोड़ों रुपये के लेन-देन का मामला भी चर्चा का विषय बना रहा। लेकिन खुलकर कोई बोल नहीं पा रहा था। यह तो अच्छा हुआ कि इस एपिसोड पर से पर्दा खुद दिव्यांषु खरे और अमन श्रीवास्तव ने उठाया, वरना किसी को पता ही नहीं चल पाता। कहने का मतलब इज्जत किसी और ने नहीं बल्कि खुद दोनों परिवार के लोगों ने उछाली। दोनों परिवारों के बीच मामा-भांजी का रिष्ता बताया जा रहा है। विशेषज्ञों का यह भी मानना है, कि लेन-देन कोई बुरी बात नहीं हैं, बुरी बात है, लेन-देन में बेईमानी का समावेष होना। जिस तरह रिष्तों और संबधों में गिरावट आ रही है, कि उसका सबसे बड़ा कारण ईमानदारी का अभाव होना। बहुत से लोग ऐसे हैं, जो आज भी एक जबान पर लाखों रुपया देने को तैयार हो जाते है। कहने का मतलब सिर्फ लेने में ही नहीं बल्कि देने भी ईमानदारी होनी चाहिए। वैसे भी जिस तरह लेते समय व्यक्ति झुका रहता है, उस तरह देते समय नहीं झुका रहता है, बल्कि तानकर खड़ा रहता है, मानो मदद करने वालों ने कोई गलती कर दी हो। बार-बार कहा जा रहा है, कि घाटे में हमेशा सूद पर लेने वाला ही रहता है। आज तक आप लोगों ने कभी किसी सूदखोर को इस कारण आत्महत्या करते नहीं सुना होगा, कि उसका धन डूब गया। कहते हैं, सूदखोर कभी मूलधन के बारे में नहीं सोचता और न उसके लिए धमकी ही देता है, वह तो ब्याज के लिए सबकुछ करता है।

Comments

Leave A Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *