मत जाना केडी अस्पताल, नहीं तो मरीज मर जाएगा

मत जाना केडी अस्पताल, नहीं तो मरीज मर जाएगा

मत जाना केडी अस्पताल, नहीं तो मरीज मर जाएगा!

बस्ती। जिले के लोगों ने डा. गौड़, डा. शर्माजी ओैर डा. रेनू राय के बाद अब केडी अस्पताल में इलाज न कराने की अपील है। कहा गया है, उक्त अस्पतालों में मरीजों को जितना भी हो सकता है, इलाज और आईसीयू के नाम पर खून चूसा जाता है। केडी अस्पताल वालों ने बचने के लिए परसा हज्जाम के नकली प्रधान रजवंत यादव का सहारा लेकर भारी रकम देकर समझौता करवा लिया। इस समझौते के लिए समाज कभी भी नकली प्रधान और केडी अस्पताल के लोगों को माफ नहीं करेगा। कहा भी जाता है, जबकि मरीज का इलााज करने कूबत नहीं तो फिर क्यों अस्पताल खोल लिए जाते है। केडी अस्पताल में आयुष्मान का बहुत बड़ा खेल होता है। इस अस्पताल में एक रैकेट काम करता है, जो आयुषमान के मरीजों का कार्ड एकत्रित करता है, और उसी कार्ड पर बड़े-बड़े फर्जी आपरेशन करते हैं, जब भुगतान होता है, तो कुछ रुपया मरीज को दे दिया जाता और बाकी आपस में बंाट लिया जाता। यहां पर सबसे अधिक फर्जी पथरी का आपरेशन होता है। एक आपरेशन करने पर अस्पताल को 31 हजार का भुगतान होता है। अगर महीने में पांच-छह ही फर्जी आपरेशन कर दिया तो डेढ़ लाख से अधिक मिल गया। वैसे भी आयुष्मान कार्ड का सबसे अधिक दुरुपयोग इसी अस्पताल में होने की बाते कही जा रही है। इस अस्पताल में असली आपरेशन या इलाज कराने वाले आयुषमान के मरीजों से अलग से पैसा लिया जाता है। अगर आयुषमान में डिलीवरी भी मान्य कर दिया तो सबसे अधिक फर्जी डिलीवरी इसी अस्पताल में होने की संभावना जताई जा रही है। कहने का मतलब यह अस्पताल पैसा कमाने का कोई भी मौका हाथ से जाने नहीं देना चाहता, भले ही चाहें किसी का बच्चा ही क्यों न मर जाएं। धीरे-धीरे मरीजों का डाक्टरों पर भरोसा उठता जा रहा है। जिस तरह आए दिन लापरवाही के चलते नामचीन अस्पतालों में मरीजों की मौत हो रही है, उसे देखते हुए आने वाले दिनों मे डाक्टरों को बहुत बड़ी मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है। दिक्कत यह है, कि अधिकांश डाक्टरों ने पैसे को ही सबकुछ समझ लिया है। जबकि पहले के डाक्टर मरीज को ही सबकुछ समझकर इलाज करते थे।

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