मीडिया में बयान देकर फंस गए डा. नवीन चौधरी

मीडिया में बयान देकर फंस गए डा. नवीन चौधरी

मीडिया में बयान देकर फंस गए डा. नवीन चौधरी


-ओमवीर अस्पताल के डाक्टर नवीन कुमार चौधरी ने एक तरह से बयानबाजी करके अपने पैर पर खुद कुल्हाड़ी मार ली, यही बयान आगे चलकर कोर्ट में घातक साबित हो सकता

-बयान दिलवाने वालों ने डाक्टर साहब को कानूनी और विभागीय रुप से फंसाने और कमजोर करने का काम किया

-जाहिर सी बात हैं, कि मीडिया में बयान देने का डाक्टर का अकेले निर्णय तो रहा नहीं होगा, अवष्य उस निर्णय में इनके बचाने वालों का हाथ भी रहा होगा

-बचाने वालों ने बचाने के चक्कर में डाक्टर दंपति के लिए मुसीबत खड़ा कर दिया, क्यों कि कोई भी सरकारी डाक्टर मीडिया में यह बयान ऐसी सूरत में नहीं दे सकता, जब उसकी तैनाती दूसरे जिले में हो

-डाक्टर साहब को कानूनी रुप से फंसाने में मीडिया का भी बहुत बड़ा रोल, फीस लेकर जिस तरह डाक्टर के पक्ष में खबर लिखी या चलाई गई, उससे डाक्टर का ही नुकसान होगा

-ऐसे मामलों में आरोपी जितना भी मीडिया से दूर रहेगा, उसे लाभ मिलेगा, मीडिया किसी को फायदा नहीं पहुंचा सकती, लेकिन नुकसान अवष्य करवा सकती,

बस्ती। ओमवीर अस्पताल के डाक्टर नवीन चौधरी और उनकी पत्नी डा. अर्चना चौधरी की मुसिबतें कुछ दिन के लिए कम तो हो सकती है, लेकिन समाप्त नहीं हो सकती। मीडिया में बयानबाजी करके डाक्टर दंपत्ति ने एक तरह से अपने पैरों पर खुद कुल्हाड़ी मार ली, यही बयान आगे चलकर कोर्ट और विभागीय कार्रवाई में घातक साबित हो सकता। चलो मान लिया जाए कि पैसे के बल पर डाक्टर साहब विभागीय कार्रवाई से बच जाए, लेकिन कानूनी लड़ाई में कैसे बचेगें? यह सवाल आज भले ही डाक्टर और उनको बचाने वालों के लिए कोई मायना न रखता हो, लेकिन जब मामला कोर्ट में जाएगा और वहां जबाव देना होगा, तब इन्हें पता चलेगा कि इन्होंने बयानबाजी करके कितनी बड़ी गलती कर डाली। डाक्टर साहब मानकर चलिए कि यह मामला कोर्ट में जाएगा। जाहिर सी बात हैं, कि मीडिया में बयान देने का निर्णष् अकेले डाक्टर साहब का तो रहा नहीं होगा, अवष्य उस निर्णय में इनके बचाने वालों का हाथ और दबाव भी रहा होगा। बयान दिलवाने वालों ने डाक्टर साहब को कानूनी और विभागीय रुप से फंसाने और कमजोर करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ा। बचाने वालों ने बचाने के चक्कर में डाक्टर दंपति के लिए मुसीबत खड़ा कर दिया, क्यों कि कोई भी सरकारी डाक्टर मीडिया में यह बयान ऐसी सूरत में नहीं दे सकता, जब उसकी तैनाती दूसरे जिले में हो। डाक्टर साहब यह साबित नहीं कर पाएगें कि कैसे यह मेडिकल कालेज महामाया अंबेडकरनगर छोड़ कर ओमवीर अस्पताल में आपरेषन करने पहुंच गए। डाक्टर साहब को कानूनी रुप से फंसाने में मीडिया का भी बहुत बड़ा रोल है, फीस लेकर जिस तरह डाक्टर के पक्ष में खबर लिखी या चलाई गई, उससे डाक्टर का ही नुकसान होने वाला है। मीडिया में बयानबाजी करके एक तरह से डा. नवीन चौधरी ने पीड़ित परिवार को न सिर्फ चिढ़ाया बल्कि उस परिवार को गलत और अपने को सही साबित करने का प्रयास भी किया। अगर बयानबाजी के बजाए डाक्टर पीड़ित परिवार के पास चले जाते और गलती की माफी मांग लेते तो यकीन मानिए बहुत कुछ डाक्टर के पक्ष में हो जाता। बयानबाजी करके डाक्टर साहब ने एक तरह से पीड़ित परिवार को कार्रवाई करने के लिए उकसाने पर मजबूर कर दिया। यही सुझाव उन लोगों को भी देना चाहिए था, जो डाक्टर के बचाव में बयानबाजी कर रहे थे। एक चूक या भूल या फिर पैसे के नषे में चूर डाक्टर और उनकी पत्नी आने वाले दिनों में आराम से नहीं सो पाएगें। नींद में भी जेल दिखाई देगा। इसी लिए बार-बार कहा जा रहा है, कि अगर किसी आरोपी में कोई कमी/कमजोरी है, तो मीडिया से दूर रहिए, मीडिया से जितना भी दूर रहेगें उतना ही लाभ होगा। डाक्टर साहब याद रखिएगा मीडिया किसी को फायदा नहीं पहुंचा सकती, और न ही कभी पहुंचाया है। लेकिन नुकसान अवष्य करवा सकती और करवाया है। यह मीडिया का अब तक का इतिहास और नेचर रहा है। हाल के दिनों में जितने भी घटनाएं हुई, अगर उन्हें उठाकर देखा जाए तो कितने मामलों में मीडिया ने आरोपियों को लाभ पहुंचाया, जबकि मीडिया अवष्य आरोपियों से लाभान्वित हुई। मान लीजिए कि अगर किसी आरोपी डाक्टर ने 50 पत्रकारों को पैसे के बल पर मैनेज कर लिया, और एक को नहीं कर पाए, और उस पत्रकार ने ईमानदारी दिखाया तो आप की सारी इज्जत तो ख्ली जाएगी। सारा पैसा पानी में डूब जाएगा। इसी लिए कहा जाता है, मीडिया को मैनेज करने के बजाए हकीकत का सामना करिए और उसको मैनेज करिए जिसके कारण आप सवालों के कटघरे में खड़े है। मीडिया के पीछे भागकर और उन्हें मोटा/पतला लिफाफा देकर कुछ ठीक होने वाला नहीं है।

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