लेखपाल का फिक्सड रेटः छप्पर रखवाई दस हजार, घरौनी का पांच हजार!

लेखपाल का फिक्सड रेटः छप्पर रखवाई दस हजार, घरौनी का पांच हजार!

लेखपाल का फिक्सड रेटः छप्पर रखवाई दस हजार, घरौनी का पांच हजार!

-विधायकजी देखिए, आपके वोटर्स को लेखपाल पांच हजार में घरौनी बेच रहा, और छप्पर रखवाने के नाम पर दस हजार मांग रहा

-गांव वालों ने कलवारी के लेखपाल अवधेश श्रीवास्तव पर लगाया धन उगाही का आरोप, डीएम से मिलने आए पीड़ित

बस्ती। महादेवा विधानसभा क्षेत्र के किसी जरुरतमंद को घरौनी की आवष्यकता है, तो लेखपाल को पांच हजार देना होगा, अवधेश श्रीवास्तव नामक लेखपाल ने घरौनी के लिए रेट को ओपेन किया है। रेट के मामले में लेखपाल ने कोई भेदभाव नहीं किया। जरुरतमंद चाहे गरीब हो या अमीर सभी के लिए पांच हजार का रेट है। एंटी करप्शन वाले जब भी लेखपालों को रंगे हाथ पकड़ते हैं, तो पांच हजार घूस लेते पकड़ते है। ऐसा लगता है, कि मानो लेखपाल किसी भी काम के लिए पांच हजार से कम लेते ही नहीं हैं। इसी लिए सत्ता पक्ष और सहयोगी दलों के मंत्री से लेकर विधायक तक यह चिल्लाते रहते हैं, कि जो काम सपा कार्यकाल में लेखपाल पांच सौ में करते थे, उसी काम के लिए भाजपा के कार्यकाल में पांच हजार लेने लगे। रेट के मामले में जनता सपा को अधिक वोट करना चाहेगी। सवाल उठ रहा है, कि प्रदेश को भ्रष्टाचारमुक्त करने और जीरो टालरेंस नीति का नारा देकर सत्ता में आने वाली भाजपा का क्या यही सच है? रेट सिर्फ लेखपालों ने ही नहीं बढ़ाया बल्कि अधिकारियों ने भी बढ़ाया। इनका रेट तो हजारों के बजाए लाखों में चला गया। जनता कह रही है, कि जब तहसीलदार, नायबतहसीलदार और एसडीएम साहब तक का रेट खुला है, तो अगर लेखपालों ने खोल दिया तो कौन सा बुरा किया? आखिर लेखपालों को भी अपने परिवार को दाल रोटी खिलानी है, कि नहीं? साहबों के घरों के फ्रिज को फल-फूल और काजू की बर्फी से भरने वाले लेखपालों ने अगर अपने घर का फ्रिज भर दिया तो कौन सा गुनाह कर दिया। लेखपाल भी किन्नरों की तरह रेट को लेकर कोई समझौता नहीं करते। अगर इनका रेट पांच हजार है, तो पांच देना ही होगा, भले ही यह किन्नरों की तरह श्राप न दे लेकिन काम अवष्य बिगाड़ देगें या फिर नहीं करेगें। कहा जा रहा है, कि जब किन्नर अपने रेट में परिवर्तन कर सकते हैं, तो लेखपाल और अधिकारी क्यों नहीं? किन्नरों की तरह इस पर लेखपालों और अधिकारियों को गंभीरता से विचार करना होगा, वरना एक दिन ऐसा भी आएगा, जब तहसील में लेखपाल और अधिकारी मारे-पीटे जाएगें। अगर गांव की महिलाएं लेखपाल के धन उगाही के विरोध में सड़क पर या फिर डीएम के जनता दरबार में आती, तो इसके लिए पूरी तरह एसडीएम को जिम्मेदार माना जाएगा। अगर कोई लेखपाल काम कराने के बदले पैसा लेता है, तो यह माना जाएगा कि यह पैसा एसडीएम तक भी जाता होगा।  

कलवारी थाना क्षेत्र के माझा खुर्द निवासी दशरथ, सुरजीत निषाद, अजय कुमार और बाबूराम के नेतृत्व में ग्रामीणोें ने गुरूवार को डीएम को पत्र देकर राम अनुज का छप्पर रखवाये जाने और लेखपाल अवधेश श्रीवास्तव द्वारा हर घर से घरौनी देने के नाम पर पांच-पांच हजार रूपये की वसलूी किये जाने के मामले की जांच कराकर रूपया वापस दिलाने और कार्रवाई की मांग की है।  डीएम को दिये पत्र में कहा गया है कि गांव के आबादी की भूमि में राम अनुज पुत्र फेंकू का रिहायशी  छप्पर लगभग 80 वर्षाैं से आबाद है। गांव के ही फुलझारी और उनके परिवार के राम प्रकाश, मंगरू आदि नया छप्पर रखने से रोक रहे हैं, और जमीन पर कब्जा कर लेना चाहते हैं। पत्र में कहा गया है कि लेखपाल 10 हजार रूपये की रिश्वत मांग रहे हैं कि रूपया दो तो छप्पर रखवा देंगे। ग्रामीणों ने पत्र में कहा है कि लेखपाल अवधेश श्रीवास्तव  और ग्राम प्रधान ने घरौनी दिलाने के नाम पर हर घर से पांच-पांच हजार रूपये की वसलूी किया। मांग किया कि दोषी लेखपाल के विरूद्ध कार्रवाई करने के साथ ही राम अनुज का छप्पर रखवाया जाय और रूपया वापस कराया जाय। पत्र देते समय दशरथ के साथ मुख्य रूप से जगदीश, फुलवन्ती, किसमता, सुग्रीम, पत्ती देवी, चन्द्रावती, पंचू, राजेश, अयोध्या, संतराम, राजमती, अशरफा देवी, रामरती देवी, गोविन्द, राम कलेश, बुधना देवी, राम दयाल निषाद, रीता देवी, संगीता देवी, रामपलट निषाद, रामजीत निषाद, अर्जुन के साथ ही बड़ी संख्या में ग्रामीण शामिल रहे। 

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