खाद उत्सव मना रहें एआर, सचिव, डीओ और डीडीए
- Posted By: Tejyug News LIVE
- राज्य
- Updated: 18 July, 2025 20:37
- 285

खाद उत्सव मना रहें एआर, सचिव, डीओ और डीडीए
-जिला कृषि अधिकारी के गबन के आरोपी कौशल किशोर सिंह और पीपीओ रतनशंकर ओझा के चपरासी जयराम चौधरी साहब की गाड़ी लेकर वसूली करने में मस्त
-क्षेत्र बड़ा और सीजन का समय कम होने के कारण वसूली के लिए बाबू और चपरासी को क्षेत्रवार एरिया आवंटित किया गया
1800 रिटेलर्स से तीन-तीन हजार के दर से हर साल 54 लाख की अवैध वसूली होती, यह वह वसूली हैं, जिसे मना करने पर साहब ने बाबू को नियम विरुद्व वीआरएस दे दिया
-किसान एक-एक बोरी खाद के लिए चक्कर लगा रहा और अधिकारी वसूली कर उत्सव मना रहे, एआर के अधीन बी.पैक्स समितियों के सचिव खुद प्राइवेट दुकानदारों को 20 रुपया अधिक लेकर खाद की कालाबाजारी कर/करवा रहें, जिले की आपूर्ति का 40 फीसद खाद एआर के चहेते सचिवों को जाता
-जो खाद सचिवों से खरीदी जा रही है, उसे नेपाल सहित अन्य जनपदों में भेज दिया जाता, चंूकि खाद कागजों में खरीदी नहीं गई, इस लिए जहां चाह रहे और जिस भी रेट में चाह रहें बेच दे रहें
-एआर के चहेते समिति के सचिवों को सबसे अधिक खाद का आंवटन किया जाता, यही वे चहेते सचिव है, जिन्होंने धान घोटाले में रिकार्ड बनाया, फर्जी खतौनी की तरह फर्जी किसानों के नाम पर खाद खारिज कर दे रहें हैं, फिर उसी खाद को ब्लैक कर दे रहें
-किसानों की परेशानी का खूब फायदा होलसेलर, रिटेलर, पीसीएफ और बी.पैक्स समिति के सचिव उठा रहे, जिन किसानों की फसल खाद के बिना बर्बाद हो रही, वह किसान 400 से अधिक रेट में खाद खरीद रहा
-1800 सौ में से 90-95 फीसद रिटेलर खाद की ब्लैक मार्केटिगं कर रहे हैं, होल सेलर भी उन्हीं रिटेलर को खाद उपलब्ध करा रहे हैं, जो उनकी रेट पर खरीदने को तैयार रहता, यानि इस बहती गंगा में 15 होलसेलर भी हाथ धो रहें
-धान घोटाले को अंजाम देने वाले पीसीएफ के अधिकारी भी खूब मालामाल हो रहे हैं, यह रैक प्वांइट से ही प्राइवेट दुकानदारों को खाद उठाने के लिए मजबूर कर रहे, दुकान तक नहीं पहुंचाते, जबकि सरकार इन्हें दुकान तक पहुंचाने का भाड़ा देती, यह खाद को गोदाम तक नहीं ले जाते, उसका भाड़ा भी डकार जाते
-कागजों में हर समिति और हर दुकान पर खाद ही खाद उपलब्ध होना दिखाया जा रहा, जबकि किसान खाद के लिए मारामारा फिर रहा
बस्ती। सुनने और पढ़ने में अजीब लग रहा होगा, लेकिन यह सच है, कि कृषि विभाग के अधिकारी और एआर एवं बी.पैक्स समिति के सचिव खाद उत्सव मना रहे है। यह सीजन इन लोगों के लिए किसी त्योहार से कम नहीं है। खाद की क्राइस दिखाकर किस तरह जेबंे भरी जा रही है। अगर किसी को अवसर का लाभ लेना सीखना हो तो वह जिला कृषि अधिकारी, उप निदेषक कृषि और एआर से सीख सकता है। क्यों कि इन दोनों विभागों के अधिकारियों को अवसर का लाभ उठाना अच्छी तरह मालूम है। जिला कृषि अधिकारी एवं उप निदेशक कृषि को खाद और कृषि यंत्रों पर मिलने वाले अनुदान में घोटाला करने का महारथ हासिल है, तो एआर कोआपरेटिव के पास धान, गेहूं, खाद और फर्जी सचिवों की नियुक्ति करने में पीएचडी की डिग्री है। अब आप समझ सकते हैं, कि जिन विभागों के पास फर्जीवाड़ा करने की डिग्री और महारथ हासिल हो, वह तो उत्सव मनाएगा ही। जिस कृषि विभाग में घोटालेबाज बाबू और चपरासी साहब की गाड़ी लेकर वसूली करते हो, वह विभाग कैसे भ्रष्टाचारमुक्त हो सकता है।
जिला कृषि अधिकारी के 75 लाख के गबन के सिद्व बाबू कौशल किशोर सिंह और पीपीओ रतनशंकर ओझा के चपरासी जयराम चौधरी साहब की गाड़ी लेकर वसूली करने में मस्त, क्षेत्र बड़ा और सीजन का समय कम होने के कारण वसूली के लिए बाबू और चपरासी को क्षेत्रवार एरिया आवंटित किया गया, 1800 रिटेलर्स से तीन-तीन हजार के दर से हर साल 54 लाख की अवैध वसूली होती, यही वह वसूली हैं, जिसे मना करने पर साहब ने पुनीत पांडेय नामक बाबू को नियम विरुद्व वीआरएस दे दिया। किसान एक-एक बोरी खाद के लिए चक्कर लगा रहा और अधिकारी वसूली कर उत्सव मना रहे। एआर के अधीन बी.पैक्स समितियों के सचिव खुद प्राइवेट दुकानदारों को 20 रुपया अधिक लेकर खाद की कालाबाजारी कर/करवा रहें, जिले की आपूर्ति का 40 फीसद खाद एआर के चहेते सचिवों को जाता। जो खाद सचिवों से खरीदी जा रही है, उसे नेपाल सहित अन्य जनपदों में भेजा जा रहा हैं, चंूकि खाद कागजों में खरीदी नहीं गई, इस लिए जहां चाह रहंे और जिस भी रेट में चाह रहें बेच दे रहें। एआर के चहेते समिति के सचिवों को सबसे अधिक खाद का आंवटन किया जाता, यही वे चहेते सचिव है, जिन्होंने धान घोटाले में रिकार्ड बनाया, फर्जी खतौनी की तरह फर्जी किसानों के नाम पर खाद खारिज कर दे रहें हैं, फिर उसी खाद को ब्लैक कर दे रहें। किसानों की परेशानी का खूब फायदा होलसेलर, रिटेलर, पीसीएफ और बी.पैक्स समिति के सचिव उठा रहे, जिन किसानों की फसल खाद के बिना बर्बाद हो रही, वह किसान 400 से अधिक रेट में खाद खरीद रहा है। 1800 सौ में से 90-95 फीसद रिटेलर खाद की ब्लैक मार्केटिगं कर रहे हैं, होल सेलर भी उन्हीं रिटेलर को खाद उपलब्ध करा रहे हैं, जो उनकी रेट पर खरीदने को तैयार रहता, यानि इस बहती गंगा में 15 होलसेलर भी हाथ धो रहें है। चूंकि यह भी हर साल भारी धनरशि जिला कृषि अधिकारी को उपलब्ध कराते हैं, इस लिए इन्हें भी रिटेलर्स की तरह लूटने की खुली छूट दी गई है। धान घोटाले को अंजाम देने वाले पीसीएफ के अधिकारी भी खूब मालामाल हो रहे हैं, यह रैक प्वांइट से ही प्राइवेट दुकानदारों को खाद उठाने के लिए मजबूर कर रहें, यह दुकान तक खाद नहीं पहुंचाते, जबकि सरकार इन्हें दुकान तक पहुंचाने का भाड़ा देती, यह खाद को गोदाम तक भी नहीं ले जाते, उसका भाड़ा भी डकार जातें है। कागजों में हर समिति और हर दुकान पर खाद ही खाद उपलब्ध हैं, जबकि किसान खाद के लिए मारामारा फिर रहा है। देखने में दोनों विभागों के अधिकारी, सचिव और बाबू कितने सीधे लगते हैं, लेकिन असल में जितना यह लोग सीधा दिखते हैं, उतना यह लोग होते नहीं। इन दोनों विभागों के अधिकारियों, बाबूओं, सचिवों और चपरासी तक को हराम की कमाई खाने की लत लग चुकी है, ऐसे में इनके भीतर ईमानदारी कहां से आएगी? इन लोगों का न्यौता हकारी, खानापीना, पहनना और शादी विवाह सब बेईमानी की कमाई पर आधारित रहता है, यह लोग अपने बच्चों को भी बेईमानी का पाठ पढ़ाते होगें।
Comments