जनता का पैर पकड़ने को तैयार रहे, प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष!

जनता का पैर पकड़ने को तैयार रहे, प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष!

जनता का पैर पकड़ने को तैयार रहे, प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष!


-डिप्टी सीएम केशव मौर्या ने दिया संकेत, कहा कि सरकार गंभीरता से इस पर विचार कर रही

-कहा कि यूपी में जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख का चुनाव सीधे जनता से कराने पर केंद्र के बाद योगी सरकार भी विचार करने लगी, अंतिम फैसला होना बाकी

-कहा कि भाजपा मजबूती से पंचायत चुनाव लड़ेगी, प्रत्येक पंचायत में हर जगह कमल ही खिलेगा, कहा कि भाजपा कार्यकर्त्ताओं की पार्टी है, कार्यकर्त्ताओं के हर सुख और दुख में पार्टी साथ

-पंचायती मंत्री ओमप्रकाश राजभर का सीधे चुनाव कराने का अभियान सफल होता दिखाई दे रहा

बस्ती। जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख का चुनाव सीधे जनता से कराकर प्रदेश में इतिहास बनने जा रहा है। हालांकि अभी तक सरकार की ओर से कोई निर्णय नहीं लिया गया, लेकिन डिप्टी सीएम केशव मौर्या ने स्पष्ट संकेत दिया है, कि सरकार इस पर गंभीरता से विचार कर रही है, और कभी भी इस पर अंतिम निर्णय लिया जा सकता है। डिप्टी सीएम का संकेत सीधे चुनाव कराने की ओर ईशारा कर रहा है। यह संकेत उन्होंने बिजनौर में भाजपा के प्रदेश महामंत्री धर्मपाल सिंह की माता के अंतिम संस्कार में शामिल होने के बाद पत्रकारों से बातचीत में दिया। देखा जाए तो जैसे-जैसे पंचायत चुनाव करीब आ रहा है, वैसे-वैसे उन लोगों की धड़कने तेज होने लगी है, जो धन और बल के सहारे जिला पंचायत अध्यक्ष और प्रमुख बनते आ रहे है। अध्यक्ष और प्रमुख बनने वालों की समझ में नहीं आ रहा है, कि वह करें तो क्या करें? क्यों कि इन लोगों ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था, कि उन्हें भी जनता के बीच जाकर उनका पैर पकड़ना पड़ेगा और हाथ जोड़ना पड़ेगा। सच तो यह है, कि वर्तमान जो अध्यक्ष और प्रमुख हैं, अगर उन लोगों ने जनता के बीच जाने का फैसला किया तो यकीन मानिए जनता उन्हें आर्शिवाद तक नहीं देगी, इतना सवाल करेगी कि पैर पकड़ना और हाथ जोड़ना भूल जाएगें, क्यों कि इन लोगों ने पद पर रहते जो लूटपाट किया है, उसके चलते जनता इनसे प्यार नहीं बल्कि नफरत करती है। वैसे भी कोई भी प्रत्याषी जनता के बीच जाने को तैयार नहीं है। भले ही चाहें डिप्टी सीएम प्रत्येक ग्राम पंचायतों, क्षेत्र पंचायतों और जिला पंचायतों में कमल का फूल खिलने का दावा कर लें, लेकिन उन्हें भी अच्छी तरह मालूम हैं, उनकी पार्टी के लोग कितने पानी में है। सीधे चुनाव कराने का इंतजार जनता आजादी के बाद से ही कर रही है, क्यों कि जनता को भी पुराना हिसाब-किताब जो करना है। भाजपाईयों की असली परीक्षा सीधे चुनाव में ही होने वाली हैं, अगर यह लोग इस परीक्षा को पास कर ले गए तो 27 में इसका प्रभाव पड़ेगा। देखने वाली बात यह होगी कि फारचूनर से चलने वाले कैसे मेंढ और पगडंडी पर चलेगें, कैसे हाथ जोड़ेगें और कैसे पैर पकड़ेगें? सीधे चुनाव से विकास तो होगा ही साथ ही उन लोगों के आर्थिक हितों पर चोट पहुंचेगा जो प्रमुख और अध्यक्ष की कुर्सी को बेचते थे। सबसे अधिक आर्थिक नुकसान गाड फादरों का होने वाला है। अगर वाकई किसी को जनता के बीच में जाना है, तो अभी से प्रेक्टिस करना शुरु कर दें, आकाओं के पास न जाकर जनता के बीच रहना प्रांरभ कर दें। खराब छवि को सुधारने का प्रयास करें, हालांकि यह इतना आसान नहीं होगा। जिला पंचायत सदस्य और क्षेत्र पंचायत सदस्यों को अब कोई खरीदार नहीं मिलेगा। अगर चुनाव सीधे हुआ तो इसका सारा श्रेय पंचायती मंत्री ओमप्रकाश राजभर को जाएगा, और इसका लाभ पार्टी  और उनके कंडिडेट को मिलेगा।

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