जब डा. रेनू राय की दाई डिलीवरी करेगी तो बच्चा मरेगा ही!

जब डा. रेनू राय की दाई डिलीवरी करेगी तो बच्चा मरेगा ही!

जब डा. रेनू राय की दाई डिलीवरी करेगी तो बच्चा मरेगा ही!

-डा. रेनू राय ने कप्तानगंज सीएचसी के अधीक्षक डा. अनूप कुमार चौधरी की पत्नी की डिलीवरी खुद न करके अपने दाई से करवाया, जिसके चलते बच्चा मर गया

-एमओआईसी चिल्लाते रह गए कि मैडम दर्द बहुत हो रहा है, सीजर कर दिजीए, लेकिन नहीं किया, पत्नी दर्द से चिल्ला रही, लेकिन खुद देखने नहीं आई, बहु को भेज दिया

-लेबर रुम से वार्ड तक पत्नी को पैदल ले जाया गया, इनके पास व्हील चेयर तक नहीं, कोई सुविधा नहीं, बच्चों को देखने के लिए बच्चे वाले डाक्टर तक नहीं

-जब बच्चे की अधिक तबियत होने लगी तब भी किसी ने एमओसाईसी को सही स्थित नहीं बताया, लापरवाही से की गई डिलीवरी के कारण बच्चे की हालत बिगड़ी, फिर भी छिपाया गया, लेकिन जब एमओआईसी ने कहा बताइए नही ंतो बवाल हो जाएगा, तब बताया कि सिर में चोट लगी

-सवाल यह उठ रहा है, कि नवजात बच्चे के सिर पर चोट लगी कैंसे? इसका सीधा सा मतलब डिलीवरी कराने के बाद दाई के हाथ से बच्चा गिर गया होगा

-मामला गंभीर होते देख रेनू ने कहा कि फौरन डा. गोैड़ या राजेंद्रा में ले जाइए, राजेंद्रा के यहां तब ले गए जब बच्चा अंतिम दौर में था, फिर 22 दिन तक वेंटिलेटर पर रख जिंदा रखा

-जब इतने बड़े नर्सिगं होम में पीआईसीयू, एनआईसीयू, व्हील चेयर तक नहीं तो कैसे सीएमओ ने इन्हें लाइसेंस दे दिया

-पीएमसी में मरीजों और तीमारदारों के साथ जानवरों जैसा व्यहार किया जाता, डिस्चार्ज के समय भी रेनू राय बच्चे को देखने नहीं आई

-डिलीवरी के बाद डाक्टर साहब की पत्नी का खून निकलना बंद नहीं हो रहा, बहुत कहने के बाद आंधा घंटा पर टांका लगाया

-जब पीएमसी में सीएचसी के अधीक्षक के साथ जानवरों जैसा व्यवहार हुआ तो अन्य लोगों के साथ कैसा करती होगी

-एमओआईसी ने डीएम, एसपी और सीएमओ को कार्रवाई करने को लिखा पत्र, डीएम और सीएमओ कार्रवाई करने वाली रिपोर्ट तैयार कर रहें

-डाक्टर अनूप ने कहा कि हम लोग तो यह सोचकर डिलीवरी करवाने चले आए कि इस महल में सारी सुविधाएं मिलेगी

बस्ती। ऐसा लगता है, कि मानो बड़े-बड़े नर्सिगं होम के डाक्टरों ने मरीजों को खासतौर से नवजात बच्चों को मारने का अभियान चला रखा है। हर कोई मारने का रिकार्ड बनाने के फिराक में है। तभी तो आए दिन डाक्टरों की लापरवाही से किसी के जिगर का टुकड़ा छिन जाता है। डाक्टर गौड़ के यहां बच्चे के मरने की आग अभी बुझी नहीं थी, कि पीएमसी जैसे बड़े नर्सिगं होम की डा. रेनू राय की लापरवाही के चलते एक और बच्चे के मरने का मामला सामने आ गया। यह आम व्यक्ति के बच्चे के मरने का मामला नहीं हैं, बल्कि कप्तानगंज सीएचसी के एमओआईसी डाक्टर अनूप कुमार चौधरी के नवजात बच्चे की मौत का मामला है, इस लिए इसे न तो प्रशासन और न सीएमओ ही दबा या फिर रफा-दफा कर सकते है। एमओआईसी का कहना है, कि उसके बच्चे को डा. रेनू राय ने मारा, यह हमारे बच्चे की कातिल है, और इसकी सजा इन्हें अवष्य मिलेगी, इन्हें जेल जाना होगा, क्यों कि इन्होंने उनकी पत्नी की डिलीवरी खुद न करके अपने दाई से करवाया, और दाई के हाथ से लेबर रुम में बच्चा गिर गया, जिसके चलते बच्चे के सिर में चोट लग गई, जो बाद में मौत का कारण बना। कहते हैं, कि हमने बताया भी था कि हम भी एक सरकारी डाक्टर हैं, और सीएचसी कप्तानगंज के अधीक्षक हैं, फिर भी इन्होंने कोई ध्यान नहीं रखा, जितना भी पैसा कहा जमा किया, डाक्टर होने के नाते एक रुपया न तो हमने कम करने को कहा और न इन्होंने कम ही किया। कहते हैं, कि हम चिल्लाते रह गए कि सीजर कर दीजिए लेकिन मेरी किसी ने भी नहीं सुनी, पत्नी दर्द से झटपटा रही थी, लेकिन उसे देखने वाला कोई नहीं था, जब हमने कहा कि पैसा वापस कीजिए हम और कहीं डिलीवरी करा लेंगे, फिर भी न तो पैसा वापस किया और न सीजर ही किया। एक दाई आई और डिलीवरी कराकर चली गई। बताया कि जब हमने पूछा कि बच्चा क्यों नहीं रो रहा है, पर कुछ नहीं बताया, मगर जब हमने कहा कि अगर सही-सही नहीं बताया तो बवाल हो गया, तब जाकर बताया कि बच्चे के सिर में चोट लग गई, जिसकी वजह से स्थित काफी गंभीर हैं, इस लिए आप फौरन डा. गौड़ या फिर राजेंद्रा के यहां ले जाइए। कहते हैं, कि डिस्चार्ज के समय भी डा. रेनू राय न तो मरीज को देखने आई और न बच्चा वाला डाक्टर ही बच्चे को चेक करने आया। जब हम लोगों ने बच्चे को राजेंद्रा में भर्ती कराया तब तक मामला और भी बिगड़ चुका है। कहते हैं, कि राजेंद्रा वाले 22 दिन तक वेंटिलेटर पर रखकर बच्चे को जिंदा रखा। यह भी कहते हैं, कि जब हम लोग बच्चे को राजेंद्रा में एडमिट करा दिए, तब रेनू राय ने राजेंद्रा वाले से पूछा कि बच्चे की हालत कैसी है, तब डाक्टर ने कहा कि आप लोगों ने बच्चे को एक तरह से मरा हुआ हमारे पास भेजा। कहते हैं, कि मैं भी एक डाक्टर हूं, बच्चे के सिर में तभी कोई चोट लगता है,  जब बच्चे को बच्चेदानी से निकालते वक्त हाथ से गिर जाता है। कहा कि डिलीवरी करने वाली दाई के हाथ से बच्चा अवष्य गिरा होगा, वरना सिर में चोट कैसे लगती। कहते हैं, कि अगर यही डिलीवरी खुद रेनू राय करती तो षायद ऐसी स्थित नहीं आती, और मेरा बच्चा बच जाता, कहते हैं, कि बच्चा मरने के बाद भी उनके और पत्नी की समझ में यह नहीं आया कि इतने बड़े नर्सिगं होम में कैसे इतनी बड़ी लापरवाही हो सकती है? बताया कि हम लोग तो यह समझते थे कि बड़ा नर्सिगं होम हैं, तो सुविधाएं भी अधिक होगी, लेकिन यहां पर तो व्हील चेयर तक नहीं, पीआईसीयू और एनआईसीयू तक कि सुविधा नहीं, बच्चों का डाक्टर तक नहीं, कहते हैं, कि जिस नर्सिगं होम में दाई डिलीवरी कराएगी, वहां पर बच्चे तो मरेगें ही। जब पीएमसी में सीएचसी के अधीक्षक के साथ जानवरों जैसा व्यवहार यह लोग कर सकते तो अन्य लोगों के साथ कैसा करते होगें इसे आसानी से समझा जा सकता है? कहते हैं, कि रेनू राय ने अल्टा साउंड रिपोर्ट और पत्नी के केस की हिस्टी तक नहीं देखा। वैसे एमओआईसी ने डीएम, एसपी और सीएमओ को कार्रवाई करने को पत्र लिखा हैं, डीएम और सीएमओ कार्रवाई करने वाली रिपोर्ट भी तैयार कर रहें है। बच्चा पीएमसी में पांच जून 25 को पैदा होता है, और 27 जून 25 को राजेंद्रा हास्पिटल में मर जाता। वैसे कहा भी जा रहा है, कि जिले में जितने भी बच्चें और मरीज की मौत प्राइवेट अस्पतालों में लापरवाही या फिर सुविधा के अभाव में हो रही है, उसके लिए सिर्फ और सिर्फ सीएमओ को जिम्मेदार माना जा रहा है। सवाल उठ रहा है, कि जिस पीएमसी में व्हील चेयर तक की सुविधा न हो उस नर्सिगं होम को सीएमओ ने कैसे लाइसेंस जारी कर दिया? इस लिए सीएमओ को मौत के लिए जिम्मेदार माना जा रहा है। सबसे अधिक मौते उन्हीं नर्सिगं होम में हो रही है, जिनका नाम सौ करोड़ से अधिक के क्लब में षामिल है। हैरान करने वाली बात यह है, कि मौत के जिम्मेदारों को इस बात का जरा भी अफसोस नहीं होता कि उनकी लापरवाही से किसी के घर का चिराग बुझ गया या कोई घर में चिराग जलाने वाला नहीं रहा। ऐसे लोगों की आंखों में नोटों का इतना मोटा चष्मा लगा रहता है, कि इन्हें लक्ष्मी के सिवाय कुछ और दिखता भी नहीं देता। जिस दिन इनके परिवार के साथ कोई घटना घटित होती है, या फिर इनके घर का चिराग बुझता है, तब इनके आसूं नहीं रुकते। दो-चार दिन तक गम का माहौल रहता है, उसके बाद फिर मरीजों का खून चूसने में लग जातें है।

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