ढ़ह गया गोरखपुर वाले बाबा टेडर्स का साम्राज्य
- Posted By: Tejyug News LIVE
- राज्य
- Updated: 28 July, 2025 21:20
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ढ़ह गया गोरखपुर वाले बाबा टेडर्स का साम्राज्य
-डीएम और सीडीओ ने सीएमओ से कहा कि अगर टेंडर निरस्त नहीं करोगें तो फंस जाओगे, सीएमओ ने किया बाबा टेडर्स का 5.81 करोड़ का टेंडर निरस्त
-सीएमओ डा. राजीव निगम, आरसीएच डा. एके गुप्त और एनएचएम लिपिक संदीप राय को वापस करनी पड़ेगी लाखों कमीशन का पैसा
-इससे पहले भी तत्कालीन सीएमओ, आरसीएच और लिपिक मिलकर बाबा टेडर्स का टेंडर निकाले थे, लेकिन वर्तमान सीएमओ ने उसे निरस्त कर दिया
-इस बार जब सीएमओ, अरसीएच, लिपिक और बाबा टेडर्स के सत्येंद्र कुमारी तिवारी उर्फ पिंटू तिवारी की सेटिगं हो गई तो 5.81 करोड़ का टेडर निकाल दिया, इस बार भी टेंडर को वर्तमान सीएमओ को ही निरस्त करना पड़ा, आरसीएच से डा. एके गुप्त को भी हटा दिया गया
-अब तक के एनएचएम के करोड़ों रुपये के बंदरबांट में सबसे अहम भूमिका डा. एके गुप्त और लिपिक संदीप राय की रही
-बाबा और परिवार के नाम से अंकिता टेडिगं कारपोशन, बीआर इंटरप्राइजेज, उमा टेंडिगं कंपनी, आदित्य अभ्यास पुस्तिका, जेके इ्रटरप्राइजेज एवं पहल इंटरप्राइजेज के नाम से छपाई सहित अन्य का ठेका मिलता रहा
-यह धन बल और राजनीति रुप से इतने सबल है, कि जो भी इनके रास्ते में आता उसे ही हटाने का प्रयास करते, इनके निशाने पर चीफ फार्मासिस्ट अजय कुमार मिश्र भी रहे, लेकिन इस बार निशाना इनका चूक गया
-इस फर्जीवाड़े की शिकायत कौटिल्य का भारत फाउंडेषन के मुख्य प्रर्वतक राजेंद्रनाथ तिवारी, पूर्व विधायक संजय प्रताप जायवाल एवं भाकियू भानु गुट के मंडल प्रवक्ता चंद्रेश प्रताप सिहं ने मुख्यमंत्री, डिप्टी सीएम, मुख्य सचिव से कर चुके
-पूर्व विधायक संजय प्रताप जायसवाल तो सीएमओ के अधीन चीफ फार्मासिस्ट सीएमएसडी स्टोर अजय कुमार मिश्र और एनएचएम के लिपिक संदीप राय पर चहेते बाबा टेडर्स को ठेका देने का आरोप लगाया
-चीफ फार्मासिस्ट का कहना है, कि टेंडर प्रक्रिया में उसकी कोई भूमिका नहीं होती, न ही वह उस काम को देखते हैं
बस्ती। गोरखपुर वाले बाबा और उनके परिवार के नाम से अंकिता टेडिगं कारपोषन, बीआर इंटरप्राइजेज, उमा टेंडिगं कंपनी, आदित्य अभ्यास पुस्तिका, जेके इ्रटरप्राइजेज एवं पहल इंटरप्राइजेज के नाम से छपाई सहित अन्य का ठेका मिलते-मिलते रह गया। पांच करोड़ 81 लाख के इस ठेके को हासिल करने के लिए न जाने कितना कमीषन एडवांस में चला गया होगा। सीएमओ डा. राजीव निगम, आरसीएच डा. एके गुप्त और एनएचएम लिपिक संदीप राय को कमीषन का लाखों रुपया अब वापस करना होगा, पैसे कमीशन का दिया हुआ पैसा कभी कोई अधिकारी यह कहकर वापस नहीं करता कि अगले में एडजस्ट हो जाएगा। बहरहाल,
डीएम और सीडीओ अगर सीएमओ से यह न कहते कि अगर टेंडर निरस्त नहीं करोगें तो फंस जाओगे, तो सीएमओ शायद निरस्त न करते। न चाहते हुए भी सीएमओ को बाबा टेडर्स का 5.81 करोड़ का टेंडर निरस्त करना पड़ा। इस तरह इस बार बाबा टेडर्स के सत्येंद्र कुमारी तिवारी उर्फ पिंटू तिवारी की दाल नहीं गली। आरसीएच से डा. एके गुप्त को भी हटाना पड़ा। इससे पहले भी तत्कालीन सीएमओ, आरसीएच और लिपिक मिलकर बाबा टेडर्स का टेंडर निकाले थे, लेकिन वर्तमान सीएमओ ने उसे निरस्त कर दिया, इस बार जब सीएमओ, आरसीएच, लिपिक और बाबा टेडर्स के सत्येंद्र कुमार तिवारी उर्फ पिंटू तिवारी की सेटिगं हो गई तो 5.81 करोड़ का टेडर निकाल दिया, लेकिन किसी ने भी नहीं सोचा था, कि टेंडर को इस तरह निरस्त करना पडे़गा। वैसे इस अनियमित टेंडर का अनुमोदन करके डीएम को भी लगा कि गलत हो गया, जब मीडिया ने उन्हें एहसास कराया तो उन्हें समझ में आ गया, कि जब भारत सरकार ही एक साल का बजट देती है, तो क्यों एक साथ दो साल का टेंडर हो गया। इस बार भी टेंडर को वर्तमान सीएमओ को ही निरस्त करना पड़ा, आरसीएच से डा. एके गुप्त को भी हटा दिया गया। बार-बार कहा जा रहा है, कि अब तक के एनएचएम के करोड़ों रुपये के बंदरबांट में सबसे अहम भूमिका डा. एके गुप्त और लिपिक संदीप राय की रही है। इन दोनों ने नीजि लाभ के लिए सरकार का करोड़ों रुपया पानी में मिला दिया। तिवारीजी धन बल और राजनीति रुप से इतने सबल है, कि जो भी इनके रास्ते में आता उसे ही हटाने का प्रयास करते, इनके निशाने पर चीफ फार्मासिस्ट अजय कुमार मिश्र भी रहे, लेकिन इस बार इनका निशाना चूक गया। इस फर्जीवाड़े की शिकायत कौटिल्य का भारत फाउंडेशन के मुख्य प्रर्वतक राजेंद्रनाथ तिवारी, पूर्व विधायक संजय प्रताप जायवाल एवं भाकियू भानु गुट के मंडल प्रवक्ता चंद्रेश प्रताप सिहं ने मुख्यमंत्री, डिप्टी सीएम, मुख्य सचिव से कर चुके है। पूर्व विधायक संजय प्रताप जायसवाल तो सीएमओ के अधीन चीफ फार्मासिस्ट सीएमएसडी स्टोर अजय कुमार मिश्र और एनएचएम के लिपिक संदीप राय पर चहेते बाबा टेडर्स को ठेका देने का आरोप लगाया, चीफ फार्मासिस्ट का कहना है, कि टेंडर प्रक्रिया में उसकी कोई भूमिका नहीं होती, न ही वह उस काम को देखते हैं। सभी ने इसकी जांच सीबीसीआईडी से कराने की मांग कर चुके है।
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