गांव की आशा ने मेरे वंश को ही समाप्त कर दियाःमेवालाल

गांव की आशा ने मेरे वंश को ही समाप्त कर दियाःमेवालाल

गांव की आशा ने मेरे वंश को ही समाप्त कर दियाःमेवालाल

-गांव से पत्नी को महिला अस्पताल ले गई, कहा कि यहां पर आपरेशन की सुविधा नहीं, फातिमा हास्पिटल ले गई, जहां पर पत्नी के बच्चेदानी को ही बिना मेरी अनुमति के निकाल दिया

-कहा कि फातिमा अस्पताल की डा. अफसाना हैदर और डा. जहीर दोनों पति पत्नी हैं, और  अपने आपको एमडी बताते, लेकिन दोनों आयुर्वेदिक एवं यूनानी के डाक्टर

-सीएमओ को शपथपत्र के साथ लिखा लेकिन एक साल हो गए न तो जांच हुई और न कोई कार्रवाई हुई, दिखाने को कागज में सील दिखा दिया, कहा कि डा. एसबी सिंह ने पैसा लेकर सब रफा दफा कर दिया

-मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में मेवालाल ने कहा कि इस अस्पताल में आषा के जरिए लाए महिलाओं का एर्बासन होता, सीएम से दोनों डाक्टरों और आशा के खिलाफ कार्रवाई करने और मुकदमा दर्ज करने की मांग की

-कहा गया कि अगर कार्रवाई नहीं हुई तो पति-पत्नी दोनों आत्मदाह कर लेग, क्यों कि पत्नी डिप्रेशन में चली गई और पति टूट चुका

बस्ती। जिले की अधिकांश आशा गर्भवती महिलाओं को जिंदगी देने के बजाए या तो उनकी जिंदगी समाप्त करने या फिर किसी का वंश ही समाप्त करने का कारण बनती जा रही है।   इनकी जिम्मेदारी गांव की गर्भवती महिलाओं को महिला अस्पताल, सीएचसी या फिर पीएचसी ले जाकर बेहतर इलाज कराने की है, लेकिन अधिकांश आशा प्राइवेट अस्पतालों में ले जाती हैं, जहां पर अप्रशिक्षित के लोगों के हाथों या तो जज्जा या फिर बच्चे की मौत हो जाती है। जब भी कोई परिजन अस्पताल या फिर आशा के खिलाफ शिकायत करते हैं, तो षिकायतों को ले देकर रफा दफा कर दिया जाता है। आषा को अपनी सुधारने की आवष्यकता हैं, क्यों कि यह कई मरीजों की जान लेने का कारण बन चुकी है। प्राइवेट अस्पताल वाले अपने फायदे के लिए आषा का इस्तेमाल कर रहे है। ऐसा नहीं कि आषा लाभान्वित नहीं होती, इन्हें भी सेवा देने के एवज में पांच हजार मिलने की बाते कई बार सामने आ चुकी है। इसी तरह का एक और मामला फातिमा हास्पिटल एंड मेठरनिटी सेंटर कटरा पतेलवा का सामने आया। पटेलनगर बड़ेबन निवासी मेवालाल ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर वह आशा तारा के बहकावे में आकर फातिमा अस्पताल पत्नी को प्रसव के लिए ले गए, इन्होंने कहा कि महिला अस्पताल में बेहतर सुविधा नहीं है। कहा कि बशा बहलाफुसलाकर डक्त अस्पताल ले गई। जहां पर कोई योग्य डाक्टर नहीं था। डाक्टर के नाम पर आयुर्वेदिक एवं यूनानी के डा. जहीर और डा. अफसाना रहती है। यह दोनों अपने आपको एमडी फिजिसिएन बताते है। कहा कि मेरा और पत्नी का जीवन एक आषा के चलते बर्बाद हो गया, पत्नी का बिना मेरी अनुमति के बच्चेदानी को निकाल दिया, जब कि डाक्टर और आशा को अच्छी तरह मालूम था, कि यह मेरा पहला बच्चा है। अस्पताल वालों ने तो आपरेशन के जरिए मरे हुए बच्चे को तो निकाल दिया, लेकिन बच्चेदानी को भी निकाल दिया। कहा कि मैं कभी पिता नहीं बन सकती और न पत्नी ही मां बन सकती, इसी को लेकर मेरी पत्नी डिप्रेशन में चली गई, इसी लिए हम इोनों ो निर्णय लिया है, कि अगर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई तो हम दोनों आत्मदाह कर लेगें, क्यों कि अब तो मेरा वंश ही समाप्त हो गया, तो जीकर हम दोनों क्या करेगें। कहा कि इससे पहले भी हमने षपथ-पत्र के साथ सीएमओ को कार्रवाई के लिए पत्र दिया, लेकिल जांच अधिकारी डा. एसबी सिंह और सीएमओ ने मिलकर ले देकर पूरे मामले को ही ठंडे बस्ते में डाल दिया। लिखा कि यह अस्पताल पूरी तरह आशा की दलाली पर ही चलता है, इस अस्पताल में आशा के सहयोग से एर्बासन जैसा गैरकानूनी कार्य होता है। यह लोग मरीजों को पकड़-पकड़ और बहलाफुसला कर लाती है, और अपना कमीशन लेकर चलती बनती है। मरीज मरे या जिए इनसे कोई मतलब नहीं रहता। सीएमओ के यहां शिकायत करो तो वहां पर कार्रवाई करने के बजाए लीपापोती कर दी जाती है, यानि किसी को भी इस बात का फर्क नहीं पड़ता कि किसी का वंश समाप्त हो रहा है, या किसी की जिदंगी बर्बाद हो रही है। कहा कि जब अस्पताल में कोई सुविधा ही नहीं तो क्यों ऐसे अस्पतालों में आशा लेकर मरीजों को जाती है, कहा कि बड़ी मुस्किल से मैं अपनी पत्नी की जान लखनऊ में बचा पाया, वरना अस्पताल वाले ने तो पत्नी को मारने का पूरा इंतजाम कर लिया था। कहा कि मेरा तीन चार लाख जाने का कोई गम नहीं, गम हैं, तो वशं समाप्त होने का। इसी लिए हम और पत्नी चाहते हैं, कि दोषियों के खिलाफ विधिक कार्रवाई हो, और इस बात की भी जांच हो कि कैसे आर्युवेद एवं यूनानी का डाक्टर महिलाओं का आपरेशन कर रहा है।

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