गणतंत्र दिवस को मनरेगा में खूब चला फर्जी फावड़ा
- Posted By: Tejyug News LIVE
- राज्य
- Updated: 31 January, 2025 12:35
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गणतंत्र दिवस को मनरेगा में खूब चला फर्जी फावड़ा
-आठ ब्लॉकों के 624 मनरेगा के मजदूरों के नाम जारी हुआ फर्जी मस्टरोल, लगा हाजीरी
-सदर ब्लॉक के बीडीओ ने दिया आरईडी को नोटिस और पूछा कैसे राष्टीय पर्व के दिन मस्टरोल जारी किया
-सबसे अधिक फर्जीवाड़ा कप्तानगंज में 208, दूसरे नंबर पर रामनगर 129, कुदरहा 112, दुबौलिया 83, गौर 41, विक्रमजोत 33, रुधौली आठ और सदर में 10 फर्जी मस्टरोल निकले
-काम करते मजदूरों का जो फोटो अपलोड किया, वह भी फर्जी, गर्मी के मौसम का
-फर्जीवाड़ा करने वालों ने घनघोर बारिश में भी मजदूरों से फावड़ा चलवाया, 15 अगस्त, होली और दीपावली को भी फावड़ा चलावया, जबकि राष्टीय पर्व पर मजदूरों से काम करवाना प्रतिबंधित
बस्ती। अब आप लोग समझ ही गए होगें कि क्यों मनरेगा में फर्जीवाड़े का रिकार्ड पर रिकार्ड बनता जा रहा है। क्यों ब्लाकें फर्जीवाड़ा में देशभर में झंडा खाड़ रही हैं? जिस तरह जिले में फर्जीवाड़ा का रिकार्ड बन रहा हैं, उसे देखते हुए कहना मुस्किल हो रहा हैं, कि आखिर डीएम, सीडीओ, डीसी मनरेगा और बीडीओ क्या कर रहे हैं? ऐसा भी नहीं कि इन्हें कुछ भी मालूम नहीं। डेली यह लोग आनलाइन चेक करते हैं, फिर भी इन्हें यह तक नहीं दिखाई देता कि क्यों दिपावली, होली, 15 अगस्त और 26 जनवरी जैसे राष्टीय पर्व पर मस्टरोल निकल रहा है? क्यों इनकी ऐसा लगता हैं, कि मानो सभी जिम्मेदारों ने बखरा के चलते अपनी आंखों को बंद कर रखा है। मीडिया और गांव के जागरुक लोग चिल्लाते रह जाते हैं, षपथ पत्र पर शिकायतें करते रह जा रहे हैं, लेकिन कार्रवाई अगर देखा जाए तो ना के बराबर हो रही है। बार-बार कहा जा रहा हैं, कि जब तक ब्लॉक के मनरेगा कार्यक्रम अधिकारी/बीडीओ के खिलाफ कार्रवाई नहीं होगी तब तक फर्जीवाड़ा होता ही रहेगा, कहना गलत नहीं होगा, फर्जीवाड़े का मुखिया बीडीओ/मनरेगा कार्यक्रम अधिकारी ही को माना जा रहा है। मनरेगा एपीओ की तैनाती का भी कोई प्रभाव नहीं पड़ा, बल्कि एक और हिस्सेदार बढ़ गया, कहना गलत नहीं होगा, कि सरकार इस योजना की जितनी अधिक रखवाली कर रही हैं, उतना अधिक फर्जीवाड़ा हो रहा है। मनरेगा को लेकर जितनी फिक्र गांव वालों और मीडिया को हैं, अगर उसका 20 फीसद भी बीडीओ को होता तो योजना धरातल पर दिखाई देती, तब गारंटी वाली योजना का मकसद भी पूरा होता। हजारों में नहीं बल्कि लाखों में सौ दिन का रोजगार मिलता। कहा भी जा रहा है, अगर प्रधान बेईमान हो जा रहा है, तो क्यों सचिव, रोजगार सेवक, एपीओ और बीडीओ क्यों बेईमान होते जा रहे है? क्यों नहीं इन्हें अपनी जिम्मेदारी का एहसास होता? क्यों नहीं डीएम, सीडीओ और डीसी मनरेगा योजना की सही तरीके से मानिटरिंग करते? क्या इन लोगों के लिए सबकुछ बखरा ही महत्वपूर्ण हो गया, योजना के प्रति क्या इनकी नाममात्र की जिम्मेदारी नहीं है? भ्रष्टाचार से जिला और जिले के लोग कराह रहे हैं, और इन लोगों के सेहत पर मानो कोई प्रभाव ही नहीं पड़ रहा। मनरेगा मजदूर काम ना मिलने के कारण निरंतर पलायन कर रहे हैं, फिर उन लोगों को रोकने का कोई इंतजाम नहीं हो रहा, जबकि इस योजना का मकसद ही मजदूरों को गांव से पलायन को रोकना था, लेकिन जब मजदूरों को सौ दिन का रोजगार ही नहीं मिलेगा तो वह अपने परिवार का भरण-पोषण करेगें, जाहिर सी बात हैं, इसके लिए उन्हें गांव छोड़ना ही पड़ेगा। रही सही कसर प्रधान लोग पूरा कर दे रहें हैं, जिन लोगों ने वोट दिया, उसे सौ दिन से अधिक रोजगार दे दे रहे हैं, और जिन लोगों ने वोट नहीं दिया, उन्हें मांगने के बाद भी काम नहीं दे रहे है। 26 जनवरी को जिन आठ ब्लॉकों के 624 मनरेगा के मजदूरों के नाम फर्जी मस्टरोल जारी हुआ और हाजीरी लगी, उसे लेकर सदर ब्लॉक के बीडीओ ने आरईडी को नोटिस देकर पूछा हैं, कि कैसे राष्टीय पर्व के दिन मस्टरोल जारी किया, सबसे अधिक फर्जीवाड़ा कप्तानगंज में 208, दूसरे नंबर पर रामनगर 129, कुदरहा 112, दुबौलिया 83, गौर 41, विक्रमजोत 33, रुधौली आठ और सदर में 10 फर्जी मस्टरोल निकले, काम करते मजदूरों का जो फोटो अपलोड किया, वह भी फर्जी, गर्मी के मौसम का।
रामनगर के जोगिया, बरदियाखास में निकला 129 फर्जी मस्टरोल
26 जनवरी को रामनगर ब्लॉक के 15 ग्राम पंचायतों के प्रधानों ने 129 फर्जी मस्टरोल निकालकर एक तरह से नवागत बीडीओ सलामी दिया, और बता दिया कि इस ब्लॉक में आगे भी यही होगा, रहना हो रहिए, नहीं तो दूसरे ब्लॉक में चले जाइए। बीडीओ के बदल जाने से यह लगने लगा था, कि अब फर्जीवाड़ा करने वाले प्रधान सुधर जाएगें, और ईमानदारी दिखाएगें, लेकिन इस ब्लॉक के असली/नकली प्रधानों को हराम की लक्ष्मी का इतना चस्का लग गया हैं, कि वह अपने आप को फर्जीवाड़ा करने से रोक ही नहीं पा रहे है। एक तरह 26 जनवरी को मस्टरोल निकाल कर प्रधानों ने नवागत बीडीओ को चुनौती दिया है, कि रोक सको तो जाने। वैसे भी इस ब्लॉक के अधिकांष प्रधानों को पूर्व के बीडीओ इतना भ्रष्ट बनाकर गए हैं, कि भ्रष्टाचार इनकी खून में समा गया है। सुधरने का नाम ही नहीं ले रहे हैं, इस ब्लॉक के जिम्मेदारों ने अगर सख्ती नहीं दिखाई, तो ब्लॉक का नाम सबसे अधिक बदनाम होने वाले ब्लॉक में षामिल हों जाएगा। क्षेत्र के लोगों का कहना है, कि जब तक प्रमुखजी ब्लाक को भरपूर समय नहीं देगें, कोई सुधरने वाला नहीं है। क्यों कि यहां के प्रधान इतने बिगड़ गए या फिर उन्हें इतना बिगाड़ दिया गया है, कि अगर उनकी भाषा में बात नहीं किया गया तो यह लोग और बिगड़ जाएगे। इस ब्लाक के जिन ग्राम पंचायतों में 26 जनवरी को फर्जीवाड़ा हुआ, उसमें जोगिया में 10-10 के तीन और एक चार मस्टरोल सहित कुल 34 मस्टरोल निकाला। बरदियाखास के प्रधान ने तो कमाल ही कर दिया, इन्होंने में 11 कामों पर कुल 95 फर्जी मस्टरोल निकाला। इन दो ग्राम पंचायतों के प्रधानों ने बीडीओ को ठेंगा दिखाते हुए ऐसा फर्जीवाड़ा किया जो स्पष्ट दिखाई देता है। अगर रामनगर को भ्रष्टाचारियों से बचाना है, तो बीडीओ और प्रमुख दोनों को मिलकर इन लोगों के खिलाफ सफाई अभियान चलाना होगा। इसके लिए बीडीओ को स्थिर होना आवष्यक है।
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