एनएचआरएम में हुए करोड़ों के घोटाले की जांच एसटीएफ से होःराजेंद्रनाथ तिवारी

एनएचआरएम में हुए करोड़ों के घोटाले की जांच एसटीएफ से होःराजेंद्रनाथ तिवारी

एनएचआरएम में हुए करोड़ों के घोटाले की जांच एसटीएफ से होःराजेंद्रनाथ तिवारी

बस्ती। सारे नियम कानून को ताक पर रखकर चहेते बाबा टेडर्स को करोड़ों का टेंडर देने की साजिश करने के मामले की जांच सीबीसीआई/एसटीएफ से कराने की मांग डिप्टी सीएम एवं स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक को पत्र लिखकर कौटिल्य का भारत फाउंडेषन/कौटिल्य वार्ता न्यूज टस्ट के मुख्य प्रवर्तक राजेंद्रनाथ तिवारी ने करते हुए दोषी अधिकारियों को तत्काल निलंबित करने और उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कराने की है। कहा कि सीएमओ कार्यालय लूटखसोट का केंद्र बन चुका है। सीएमओ के आवास और कार्यालय में लूटपाट की दुकान खुली है। जो जितना अधिक कमीशन देगा उसे उतना ही लाभ वाला ठेका पटटी मिलेगा। कहा कि एक संगठित गिरोह की तरह एनएचआरएम के धन को लूटा जा रहा है। जो भी सीएमओ आता है, उनकी नजर स्वास्थ्य व्यवस्था को सुधारने पर नहीं रहती है, बल्कि धन कहां से आए उसपर रहती है। लिखा कि जिले में जितने भी बिना पंजीयन के नर्सिगं होम और अल्टासाउंड चल रहे उसके लिए सीएमओ और उनकी टीम जिम्मेदार है। इन्हीं के चलते नवजात बच्चों और मरीजों की मौतें हो रही है। इसके लिए कार्यालय में बाकायदा टीम बनाई गई है। जिसमें टीम के मुखिया सीएमओ डा. राजीव निगम, आरसीएच डा. एके गुप्त और एनएचआरएम लिपिक संदीप राय शामिल है। इसके अतिरिक्त एक और टीम जो नर्सिगं होम, अल्टासाउंड, पैथालाजी सेंटर और एक्सरे सेंटर के पंजीकरण और नवीनीकरण, जांच और कार्रवाई के नाम पर डा. एसबी सिंह, डा. एके चौधरी का नाम शामिल है। कहा कि एनएचआरएम में बड़े पैमाने पर सीएमओ और आरसीएच एवं लिपिक संदीप राय की मिली भगत से हो रहा है। फर्जी भुगतान तक किए जा रहे हैं। फर्जी दस्तावेज के आधार पर भुगतान, भ्रामक सेवा प्रमाण पत्र और जाली बिलों के माध्यम से लाख्खें रुपये का भुगतान हो रहा। पूर्व में डा. एके गुप्त सहित अन्य की संलिप्ता भी सामने आ चुकी है। लिखा कि निरंतर हो रहे घोटाले और मौतों से जनता का विष्वास टूटा है। स्वास्थ्य विभाग पर जनता की निर्भरता हैं, ऐसे घोटाले से विभाग की छवि धूमिल हो रही है। टेंडर/बिड में हेरफेर सीएमओ का परम्परागत स्वभाव बन गया है। सुझाव के तौर पर कहा गया है, कि विभाग में पारदर्शिता के लिए वित्तीय लेन-देन की आडिट प्रणाली को स्वचालित किया जाए। भविष्य में ऐसी घटना न हो इसके लिए लोक शिकायत निवारण पोर्टल की निगरानी और जबावदेही सुनिष्चित की जाए।

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