डा. गौड़ के 100 करोड़ की कमाई का राज खुलने वाला, चडडी-बनियाइन तक उतरने वाली
- Posted By: Tejyug News LIVE
- राज्य
- Updated: 16 July, 2025 20:32
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डा. गौड़ के 100 करोड़ की कमाई का राज खुलने वाला, चडडी-बनियाइन तक उतरने वाली
-सीएमओ की टीम से तो यह पैसे के बल पर बच जाएगें, लेकिन डीएम की जांच से नहीं बचेगें
-नवागत एसडीएम हृदयराम त्रिपाठी ने इनके काले कारनामों का खंगालना शुरु कर दिया
-इन्होंने कहां-कहां नामी और बेनामी जमीन खरीदी उसका लेखाजोखा निकाला जा रहा
-नर्सिगं होम के पंजीयन से लेकर आय से अधिक संपत्ति के मामले में यह बुरी तरह फंसते नजर आ रहे, दो घंटा तक पूछताछ हुई
-वीआरएस मंजूर न होने के बाद यह कैसे प्राइवेट प्रेक्टिस कर रहे हैं, इसकी भी विभागीय कार्रवाई मांगी जा रही, इंकम टैक्स अलग से जांच कर रही
बस्ती। गरीब मरीजों का खून चूस-चूस कर 100 करोड़ की कमाई करने वाले जेके अस्पताल के डाक्टर एसके गौड़ की चडडी और बनियाइन उतरने वाली है। सीएमओ की जांच टीम से तो यह पैसे के बल पर बच भी सकते हैं, लेकिन डीएम की जांच से नहीं बच सकते। एसडीएम हृदयराम त्रिपाठी ने एक दिन पहले इनसे दो घंटे तक पूछताछ किया। नवागत एसडीएम ने इनके काले कारनामों को खंगालना शुरु कर दिया, इन्होंने कहां-कहां नामी और बेनामी जमीनें खरीदी उसका लेखाजोखा निकाला जा रहा, नर्सिगं होम के पंजीयन से लेकर आय से अधिक संपत्ति के मामले में यह बुरी तरह फंसते नजर आ रहे, वीआरएस मंजूर न होने के बाद यह कैसे प्राइवेट प्रेक्टिस कर रहे हैं, इसकी भी छानबीन हो रही है। इनका अस्पताल पंजीयन हैं, कि इसकी भी जांच हो रही है। इन्होंने कितना टैक्स की चोरी की, उसकी इंकम टैक्स वाले अलग से जांच कर रहें है। बताते हैं, कि इनका काला पैसा सबसे अधिक जमीनों की खरीद फरोख्त में लगा हुआ है। डा. गौड़ जिले के पहले ऐसे डाक्टर होगें, जिनके काली कमाई की छानबीन एसडीएम स्तर से हो रही है। बताते हैं, इन्होंने बड़े पैमाने में इंकम टेैक्स की चोरी की है। अगर किसी डाक्टर की आय प्रति माह एक करोड़ से अधिक होगी तो उसकी गिनती 100 करोड़ के क्लब में होना लाजिमी है। यह जिले के पहले ऐसे डाक्टर होगें जिन्होंने पैसा कमाने के लिए तीन तरीकों से मरीजों से पर्ची के नाम पर वसूली करते है। पहली पर्ची दो सौ रुपये में बनती, इसके लिए मरीज को दो से तीन घंटे लाइन में लगना पड़ता है, तक जाकर उसका नंबर आता है। दूसरी पर्ची 300 रुपये में बनाई जाती है, इसमें मरीज को एक घंटा तक इंतजार करना पड़ता और तीसरी पर्ची वीआईपी की होती है, इसकी फीस 500 रुपया है। इसमें मरीज को पांच मिनट भी इंतजार नहीं करना पड़ता। इनकी सबसे बड़ी खास बात यह है, कि यह जब चेंबर में बैठ जातें है, तो उस समय चाहंे सीएम और पीएम का भी फोन आ जाए तो यह जबाव नहीं देते, यह फोन इस लिए नहीं उठाते क्यों कि इन्हें डर लगा रहता है, कि मरीज देखने की किसी की सिफारिश न आ जाए, सिफारिश आ जाएगा तो पांच सौ चला जाएगा। चेंबर में जाने के बाद यह किसी को भी नहीं जानते और पहचानते, इसी लिए कोई भी डाक्टर इनसे मरीज देखने की सिफारिश नहीं करवाता। यह पहले ऐसे डाक्टर होगें जो दिन में 12 बजे से रात 12 बजे तक ओपीडी करते है। यह सिर्फ जमीनों की खरीद फरोख्त करने वाली अपनी टीम से ही मिलते है। इनके जीवन का एक मात्र टारगेट पैसा कमाना है। पैसा कहां से आ रहा है, इससे इनसे कोई मतलब नहीं, इसी लिए यह बुखार वाले बच्चें को भी आईसीयू में भर्ती करवाने की सलाह देते है। चूंकि मामला अधिकतर नवजात बच्चों का रहता है, इस लिए परिजन मना भी नहीं कर सकते, यही वह अस्पताल हैं, जहां पर एक महिला को पैसा न होने के कारण जेवर तक गिरवी रखना पड़ा। इसी लिए मीडिया बार-बार यह कहती आ रही हैं, कि डाक्टर्स को कभी भी किसी की आहें और बदुआएं नहीं लेनी चाहिए, जितना भी हो सके मरीजों की सेवा करनी चाहिए, क्यों कि मरीजों की दुआओं में ही बरकत होती है। डा. गौड़ की कंजूसी का आलम यह है, कि यह आजतक आईएमए के सदस्य नहीं बने, बनते तो चार पांच हजार खर्चा करना पड़ता। प्रशासन की ओर से हो रही कार्रवाई का हर तरफ से स्वागत हो रहा है, और आवाज उठ रही हैं, कि इसी तरह की जांच पीएमसी, डा. गुप्त और शर्माजी वाले नर्सिगं होम का भी होना चाहिए। वैसे डीएम ने इस बात का ईशारा कर दिया है, कि उनके जांच के दायरे में और भी नर्सिगं होम के मालिक है, जिन्होंने मरीजों का खून चूसकर धन अर्जित कर रखा है।
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