चौंकिए मतः 15 सौ का यूरिया 500 में बिक रहा
- Posted By: Tejyug News LIVE
- राज्य
- Updated: 29 July, 2025 20:46
- 27

चौंकिए मतः 15 सौ का यूरिया 500 में बिक रहा
-समिति के सचिव और रिटेलर्स यूरिया प्लांट लगाने वाले कारोबारियों को 500 बोरी में दे रहे, जब कि इस यूरिया का कामर्सिएल रेट 1500 बोरी हैं, एक बोरी में व्यापारी को एक हजार का लाभ हो रहा
-यूरिया का प्लांट लगाने वाले कारोबारी पानी में डालकर ईधन बनाते, और फिल्टर कर ईधन को टक और कार की ईधन वाली टंकी लीटर के हिसाब से डाल देते हैं, ताकि माइलेज बढ़े और प्रदूषण न हो
-सरकार किसानों को 1500 वाले यूरिया को इस लिए सब्सिडी पर 266 रुपये में रही है, ताकि किसानों पर बोझ न पड़े
-एक-एक यूरिया प्लांट लगाने वाले कारोबारी एक सीजन में 20 से 25 लाख कमा रहे हैं, 1500 रुपये वाला यूरिया जब व्यापारी को 500 में मिलेगा तो वह मालामाल हो ही जाएगा
-सचिव और रिटेलर्स को एक बोरी ब्लैक करने में लगभग 250 रुपया मिला, और व्यापारी को एक बोरी यूरिया खरीदने में एक हजार का मुनाफा हुआ
-जब से बी-6 माडल की गाड़ी बाजार में आई हैं, तब से सरकार ने ईधन के साथ में यूरिया को मिलाना अनिवार्य कर दिया, व्यापारी तीन लाख का यूरिया प्लांट लगा लाखों कमा रहा
-जिस तरह बाजार में कामर्सिएल गैस का इस्तेमाल न करके कारोंबारी सब्सिडी यानि घरेलू गैस का इस्तेमाल कर रहें है, ठीक उसी तरह यूरिया प्लांट वाले कारोबारी कामर्सिएल यूरिया न खरीदकर सब्सिडी वाला यूरिया समितियों और रिटेलर्स से खरीद रहे
-कृषि विभाग के अधिकारी ने प्लांट को गढ़हा गौतम के पास पकड़ा भी था, लेकिन चार-पांच लाख लेकर छोड़ दिया, 50-60 बोरी यूरिया भी बरामद हुआ था, प्लांट छोड़ कारोबारी भाग गया
-बस्ती से लखनऊ जाते समय सड़क किनारे आपको पानी टंकी जैसे कंटेनर देखने को मिलता होगा, उसी कंटेनर में यूरिया वाला ईधन रहता है, जिसे कार और टक वाले लीटर के हिसाब से खरीदकर ईधन वाले टैंक में डालते
बस्ती। कृषि विभाग के अधिकारियों को छोड़कर किसी को भी नहीं मालूम होगा कि यहां तक कि मीडिया को भी इस बात की भनक नहीं लग पाई कि 15 सौ का यूरिया पांच सौ में भी बिक सकता है। आप भी सोच रहे हैं, कि जिस यूरिया की सरकारी कीमत 266 रुपया हैं, वह पांच सौ तक में तो ब्लैक हो सकता हैं, लेकिन 15 सौ में कैसे ब्लैक हो सकता है? है न चौकाने वाली बात। यह बात समितियों के सचिव और रिटेलर्स को भी मालूम हैं, कि जो सरकारी यूरिया वह प्लांट वाले व्यापारियों को बेच रहें है, उसका कामर्सिएल रेट 15 सौ है। 266 वाला यूरिया अगर व्यापारी 500 में मिल जा रहा है, तो उसका मुनाफा एक बोरी में एक हजार का हुआ। भले ही सचिव और रिटेलर्स को लगभग 250 मुनाफा मिला लेकिन व्यापारी को तो एक हजार का लाभ हुआ। यूरिया का कामर्सिएल रेट एक बोरी का 15 सौ रुपया है। यानि सरकार किसानों को एक बोरी पर 1234 रुपया सब्सिडी देती है। जिस यूरिया की बाजार कीमत 15 सौ रुपया है, उसे सरकार किसानों को 266 रुपये में इस लिए देती है, ताकि किसानों की आय दोगुनी हो सके और किसानों पर अतिरिक्त बोझ न पड़े। यह ठीक उसी तरह हुआ, जिस तरह सरकार घरेलू गैस सिलंडर पर सब्सिडी पर देती है, लेकिन अधिकांश कारोबारी कामर्सिएल वाला सिलेंडर न खरीदकर सब्सिडी वाला सिलेंडर कामर्सिएल में इस्तेमाल करते है। यानि सब्सिडी का नुकसान सिलेंडर में हुआ और यूरिया में भी हुआ। यही वह सब्सिडी हैं, जिसके चलते यूरिया की कालाबाजारी हो रही हैं, अगर कालाबाजारी न होती तो पिछले साल की अपेक्षा 936 फीसद अधिक न यूरिया की बिक्री जिले में होती। सरकार के भी समझ में नहीं आ रहा हैं, कि जब एक-एक समिति और रिटेलर्स के यहां 963-963 फीसद यूरिया अधिक बिकी तो फिर किसान क्यों यूरिया के लिए मारा-मारा फिर रहा है। इसी सच्चाई को जानने के लिए बस्ती में एमडी स्तर के अधिकारी को भेजा गया है।
हम बात कर रहे थे, कि क्यों यूरिया 15 सौ में बिक रहा। यूरिया का प्लांट लगाने वाले कारोबारी यूरिया को पानी में डालकर ईधन बनाते, और फिल्टर कर ईधन को टक और कार की ईधन वाली टंकी में लीटर के हिसाब से बेच देते है। ताकि माइलेज बढ़े और प्रदूषण न हो
आप लोगों को जानकर हैरानी होगी कि प्लांट लगाने में दो-तीन लाख में लग जाता हैं, लेकिन एक-एक यूरिया प्लांट लगाने वाले कारोबारी एक सीजन में 20 से 25 लाख कमा रहे हैं, और यह कमाई सचिवों और रिटेलर्स के द्वारा बेची गई यूरिया से हो रही है। जाहिर सी बात हैं, कि जब 1500 रुपये वाला यूरिया व्यापारी को 500 में मिलेगा तो वह मालामाल होगा ही। जब से बी-6 माडल की गाड़ी बाजार में आई हैं, तब से सरकार ने ईधन के साथ में यूरिया को मिलाना अनिवार्य कर दिया, ताकि प्रदूषण न फैले और गाड़ियों का माइलेज बढ़े। कृषि विभाग के अधिकारी ने इसी तरह का यूरिया का प्लांट को गढ़हा गौतम के पास पकड़ा भी था, लेकिन चार-पांच लाख लेकर छोड़ दिया, 50-60 बोरी सरकारी यूरिया भी बरामद हुआ था, एफआईआर भी ठीक उसी तरह जिला कृषि अधिकारी ने नहीं दर्ज कराया, जिस तरह एडीएम ने कुदरहा में समिति से एक टक यूरिया को डाइवर्ट होते समय पकड़ा और जिस पर एआर ने आज तक समिति के सचिव के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं कराया।
आप लोगों को याद दिला दें कि जब आप लोग बस्ती से लखनऊ जातेें हैं, तो सड़क किनारे आपको सफेद रंग का पानी टंकी जैसे कंटेनर देखने को मिलता होगा, उसी कंटेनर में यूरिया वाला ईधन रहता है, जिसे कार और टक वाले लीटर के हिसाब से खरीदकर ईधन वाले टैंक में डालते है।
Comments