भ्रष्टाचार के आरोप में फंसे पांच प्रधान और सचिव, नोटिस जारी

भ्रष्टाचार के आरोप में फंसे पांच प्रधान और सचिव, नोटिस जारी

भ्रष्टाचार के आरोप में फंसे पांच प्रधान और सचिव, नोटिस जारी

-ओडीएफ प्लस माडल में ही प्रधान और सचिव कर रहें भ्रष्टाचार,

-सरकारी धन का कर रहें बंदरबांट, गुणवत्ता के नाम पर मची लूट

-सल्टौआ के गोरखर एवं पोखरभिटवा, साउंघाट के खुटहना एवं मकदा और बस्ती सदर के डिडौआ ग्राम पंचायत अधिकारियों को जारी हुआ कारण बताओ

-जांच में हुआ चौकाने वाला खुलासा, प्रधान और सचिव ने मिलकर योजना को लगाया पलीता

बस्ती। योगी राज में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है। कोई भी ऐसी योजना नहीं जिसमें भ्रष्टाचार ना घुसा हो। सबसे अधिक भारत सरकार की योजनाओं में लूटपाट मची हुई है। अधिकारियों के टारगेट में केंद्र की योजनाएं ही अधिक रहती है। अब तो अधिकारियों के लूटपाट के पद चिन्हृों पर प्रधान और सचिव भी चल रहे है। वैसे यह जोड़ी सरकारी धन के बंदरबांट के मामले में काफी नाम कमा चुकी है। जिस तरीके से यह जोड़ी भ्रष्टाचार के मामले में जिले में झंडा गाड़ रही है, उसे देख कहा जा सकता है, कि आने वाले प्रधानी के चुनाव में जब प्रत्याषी वोट मांगने जाएगें तो गांव वाले इनका स्वागत फूल मालाओं के हार से नहीं बल्कि जूतों के हार से करेंगे। प्रधानों ने पैसे के लिए अपने आप को गांव वालों के सामने इतना गिरा दिया है, कि वह कभी सिर उठाकर चल नहीं पाएगें। गांव वालों की सेवा और गांव के विकास के नाम पर जीतकर जिस तरह प्रधानों ने आंतक मचा रखा हैं, उसका तो हिसाब-किताब इन्हें गांव वालों को देना ही होगा। अब गांव वाले मुर्गा, दारु और पैसे पर वोट नहीं देगें, बल्कि जूता, लात और गाली देगें। जिस तरह लालची प्रधानों ने पैसे के लिए अपने आप को बेचा और गांव वालों के साथ विष्वासघात किया, उसकी जितनी भी निंदा की जाए कम है। इसी के चलते जिले के बहुत कम ऐसे प्रधान होगें जो सिर उठाकर गांव वालों के सामने चलते होगें। देखा जाए तो अधिकांष प्रधानों ने गरीबों के षौचालय के नाम पर ठगी किया, जिसके चलते आज भी गांव की बहुआंे, बहनों और माताओं को खुले में षौच के लिए जाना पड़ रहा है, जहां पर उनके साथ छेड़खानी के साथ बलात्कार तक हो रहे है, और इन सबके लिए पीड़ित महिलाएं प्रधानों को ही जिम्मेदार मान रही है। अब आप इसी से अंदाजा लगा लीजिए कि जो प्रधान अपने गांव की बहु और बेटियों के साथ हुए बलात्कार का जिम्मेदार हो, उस प्रधान से क्या गांव वाले ईमानदारी की उम्मीद कर सकते हैं? ऐसे प्रधानों को तो मारे षर्म के गांव छोड़कर या फिर आत्महत्या कर लेना चाहिए।

जब बात प्रधानों के दायित्वों और सेवा भावना की चली तो विकास भवन के एक अधिकारी ने दो प्रधानों से यह कहा कि क्या यह लोग सेवा करने के लिए इतना पैसा खर्चा करके प्रधान बने। आज भी जब भी चुनाव में प्रधान पद का प्रत्याषी वोट मांगने जाता हैं, तो वह यही कहता हैं, कि एक बार जीता दीजिए पांच साल तक आप की सेवा करुंगा, जीतने के बाद पांच साल कौन कहें, महिनों में प्रधानजी सेवा भावना को भूल कर सचिव के साथ भ्रष्टाचार करने में लग जाते है। सेवा के नाम पर जिस तरह अधिकांष प्रधान मेवा खा रहे हैं, उससे प्रधान पद की गरिमा तो गिरी ही है, साथ ही प्रधानों का चरित्र भी दागदार हुआ। बहरहाल, प्रधान बनने से पहले जो इन्हें मान-सम्मान और इज्जत गांव वाले करते थे, वह प्रधान बनने के बाद इन्हें पीठ पीछे गाली देते है।  

कुछ दिन पहले सल्टौआ, साउंघाट और बस्ती सदर के ओडीएफ प्लस से माडल गांव में चल रहे निर्माण कार्यो की वास्तविक स्थित जानने के लिए जांच हुई। पता चला कि एक भी ग्राम पंचायत ऐसा नहीं मिला जहां पर प्रधान और सचिव ने मिल कर सरकारी धन का बंदरबांट ना किया हो। इस योजना के तहत ग्राम पंचायत को कूड़ा एकत्रित करने के लिए ईंट का डस्टबिन बनाना, फिल्टर चेंबर यानि सोख्ता गडढ़ा बनाना, कूढ़ा ढ़ोने के लिए गाड़ी अनिवार्य है। ताकि गांव के सूखा और गिला कचरे को अलग किया जा सके। निर्माण में जो सरिया लगाया जा रहा है, वह 12 एमए के 10 एमएम का लगाया गया। मानक विहीन आरआरसी सेंटर बना मिला।वेस्ट वाटर का कोई प्रबंध नहीं मिला, सोक पिट तक नहीं बना, गुणवत्ताविहीन फ्रेबिकेषन कार्य में षीट लगा मिला, जो जाली की फेंसिगं की गई वह भी घटिया, आरआरसी सेंटर पर आईईसी का संदेष तक हलखा नहीं मिला, सामुदायिक शौचालय तक बंद मिले। प्रधान और सचिव भारत सरकार के इस महत्वपूर्ण योजना में रुचि लेने के बजाए सरकारी धन का बंदरबांट करने में लगे। प्रधान के द्वारा अधोमानक सामग्री का प्रयोग किया गया। गंाव में सफाई कर्मी तक नहीं आते जिसके चलते जगह-जगह कूड़ा जमा हुआ है। डस्टबिन में दरवाजा तक नहीं लगाया, सभी ब्लॉक में क्रेक तक आ जाते हैं, फलोर तक क्रेक हो चुका, ग्राम पंचायतों में ठोस अपषिष्ठ का कोई प्रबंध नहीं हुआ। खुटहना में तो प्रधान, सचिव और पंचायत सहायक तक नहीं मिले। डीपीआरओ ने इसके लिए मकदा एवं खुटहना के सचिव सुषील कुमार चौधरी, पोखरभिटवा के सचिव सिराज अहमद, गोरखर के सचिव अमरनाथ गौतम और डिडौआ की ग्राम पंचायत अधिकारी प्रिंयका चौधरी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। जब यह हाल ओडीएफ प्लस माडल गांव का है, तो अन्य का क्या होगा, इसे हम और आप आसानी से समझ सकते है।

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