भ्रष्ट सेवा प्रदाता, चेयरमैन, ईओ मिलकर कर्मियों के परिवार को सड़क पर ला दिया!
- Posted By: Tejyug News LIVE
- राज्य
- Updated: 11 February, 2025 22:45
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भ्रष्ट सेवा प्रदाता, चेयरमैन, ईओ मिलकर कर्मियों के परिवार को सड़क पर ला दिया!
-इन तीनों की मिली भगत से आउट सोसिंग के कर्मियों का ईपीएफ ऑर ईएसआई का हर साल करोड़ों रुपया डकार जा रहें
-इसी लिए सेवा प्रदाता दिन दुनी रात चौगनी तरक्की कर रहें, और इनकी तरक्की में सबसे बड़ा हाथ भ्रष्ट चेयरमैनों/चेयरपर्सन और अधिशासी अधिकारियों का हाथ
-सेवा प्रदाताओं ने इन लोगों के आखांे पर लक्ष्मी का इतना मोटा पर्दा डाल रखा हैं, कि इन्हें तक नहीं दिखाई देता कि जो भुगतान ईपीएफ और ईएसआई का कर रहे हैं, वह पैसा सेवा प्रदाता भविष्य निधि संगठन में जमा कर रही हैं, कि नहीं?
-नियमानुसार जब तक समय से पीएफ और ईएसआई जमा नहीं होगा तब तक कर्मियों को उका लाभ नहीं मिलेगा
-यानि अगर किसी कर्मी की मृत्यु सेवाकाल के दौरान हो जाती है, और उसका पीएफ समय से जमा होता रहा है, तो उसके परिवार को पांच लाख की सहायता मिलती
-सेवा प्रदाता, ईओ और चेयरमैन मिलकर आउट सोर्सिगं वाले कर्मचारियों के भविष्य को तो चौपट कर ही रही हैं, साथ उनके परिवार को दर-दर भटकने के लिए मजबूर कर रहें, और यह सब सिर्फ सेवा प्रदाता और खुद को लाभ पहुंचाने के लिए हो रहा
-तभी तो सेवा प्रदाता टेंडर पाने के लिए शुन्य लाभांस पर भी काम करने को तैयार रहतें
बस्ती। क्या आप यकीन कर सकते हैं, कि पैसे के लिए भ्रष्ट सेवा प्रदाता, चेयरमैन और ईओ मिलकर आउट सोर्सिगं पर काम करने वाले कर्मियों का भविष्य तो चौपट कर ही रहें हैं, साथ ही उनके परिवार को मरने के लिए सड़क पर छोड़ दे रहे है। यह एक ऐसा सच हैं, जिसे झुठलाया नहीं जा सकता। नियमानुसार अगर किसी कर्मी का पीएफ और ईएसआई समय से या फिर जमा ही नहीं हुआ और इस बीच उसकी मृत्यु हो गईं, तो उसके परिवार का ना तो पीएफ का और ना ही पांच लाख सहायता ही मिलेगा। पेशन तक नहीं मिलेगा। ऐसा ही एक मामला नगरपालिका में सामने आ चुका हैं, यहां पर लक्ष्य फाउंडेशन से पूर्व उषा कांस्टक्षन जिनके प्रोपराइर कोई पप्पू मिश्र रहें, इन्होंने साढ़े छह माह तक मृतक संदीप शुक्ल का पीएफ ही जमा नहीं किया, जिसके चलते मृतक के परिवार को पांच लाख की सहायता नहीं मिल सकी, और आज यह परिवार सड़क पर हैं, पेंशन ना मिलने से आज यह परिवार दर दर की ठोकरे खा रहा। अगर तत्कालीन चेयरपर्सन/ईओ यह देखते कि क्यों नहीं सेवा प्रदाता ने पीएफ जमा किया, तो आज संदीप का परिवार आर्थिक तंगी से ना गुजरता। जबकि भुगतान करने वाले चेयरमैन और ईओ की यह जिम्मेदारी हैं, कि वह जिसे भुगतान कर रहें हैं, वह सेवा प्रदाता पीएफ जमा कर रहा हैं, कि नहीं? अगर इस मामले में सेवा प्रदाता, चेयरमैन और ईओ संवेदनशील और ईमानदार होते हैं, और जिन्हें अपने कर्मियों के भविष्य की चिंता रहती, तो पीएफ का पैसा ना खाते। सवाल यह है, कि क्या एक भ्रष्ट सेवा प्रदाता, चेयरमैन और ईओ से जनता ईमानदारी की उम्मीद कर सकती? आज जितने भी नगर पंचायत और नगर पालिका हैं, उनके यहां काम करने वाले सेवा प्रदाताओं की अगर जांच हो जाएं तो यह लोग जेल में नजर आएगें। अभी तक एक भी ऐसा ईमानदार चेयरमैन/चेयरपर्सन एवं ईओ सामने नहीं आए, जिन्होंने इसकी जांच कराई हो। यह लोग लक्ष्मी के लिए इतने अंधे हो गए हैं, कि इन्हें खुले आम हो रहे लूट को दिखाई नहीं देता।
जिले के नगर पंचायतों और पालिका में पीएफ और ईएसआई घोटाला ना जाने कितने सालों से चल रहा है। चूंकि इस घोटाले में घोटाले का विरोध करने वाले चेयरमैन/चेयरपर्सन और ईओ शामिल रहते हैं, इस लिए घोटाले पर से पर्दा नहीं उठ पाता। यह घोटालेबाज इतने असंवेदनशील होते हैं, कि इन्हें इस बात का भी जरा सा अफसोस नहीं होता कि उनके चलते किसी गरीब कर्मी का परिवार सड़क पर आएगा। वैसे भी चेयरमैन और ईओ पर आउट सोर्सिगं के नाम पर घोटाला करने का आरोप लगता रहा है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण जैसे ही व्यवस्था बदलती हैं, चेयरमैन/चेयरपर्सन की निगााह सबसे पहले सेवा प्रदाता की ओर जाती हैं, कौन सेवा प्रदाता कितना लाभ कमवा सकता हैं, और कितनी सुविधा दे सकता हैं, इसकी तलाश होती और उसके बाद सौदेबाजी होती है। कहने का मतलब चेयरमैन जिसे चाहेगा उसी सेवा प्रदाता को टेंडर मिलेगा, जेम पोर्टल भी इनके रास्ते का रोड़ा नहीं बन सकता। इस मामले में ईओ की भूमिका का कोई मतलब नहीं होता। कहना गलत नहीं होगा कि जिले में वर्तमान समय में भ्रष्ट चेयरमैन/चेयरपर्सन के लिए सेवा प्रदाता सबसे अधिक प्रिय है। सेवा प्रदाता खुद तो हर साल घोटाला करके लाखों कमाते ही हैं, साथ ही अपने आकाओं को भी मोटी रकम देते है। जिले में आउट सोसिगं को एक सबसे अधिक सुरक्षित कमाई का जरिया माना जाता है। सेवा प्रदाताओं को फर्श से अर्श तक पहुंचाने में भ्रष्ट नेताओं का भी महत्वपूर्ण योगदान रहता हैं, वह भी एक षेयर होल्डर रहते है।
एक अपुष्ट आकड़े के अनुसार जिले के नगर पंचायतों और पालिका में सिर्फ पीएफ और ईएसआई के नाम पर दो करोड़ से अधिक का घोटाला हो रहा है। मान लीजिए कि किसी नगर पंचायत में चार सौ आउट सोर्सिगं काम कर रहे हैं, और उन्हें दस हजार मिल रहा हैं, नगर पंचायत, दस हजार प्रति कर्मी के रुप में भुगतान करता हैं, इस दस हजार में से 12 फीसद यानि 12 सौ रुपया सेवा प्रदाता पीएफ के रुप में काटकर कर्मी को भुगतान करता है, नियमानुसार पीएफ जमा करने की जिम्मेदारी सेवा प्रदाता की होती, और मानिटरिंग करने की जिम्मेदारी ईऔर चेयरमैन की होती है। अब यह सेवा प्रदाता के उपर हैं, कि वह पीएफ जमा करें या ना करें, अगर पीएफ समय से भी जमा नहीं किया गया तो भी कर्मी को उसका लाभ नहीं मिलेगा। नगर विकास कर्मचारी परिष्द के प्रदेश अध्यक्ष सत्यदेव शुक्ल का कहना हैं, कि पालिका सहित जिले के अधिकांश नगर पंचायतों में सेवा प्रदाता के साठगांठ से पीएफ के धनराशि का घोटाला हो रहा है। बताया कि भविष्य निधि संगठन ने इसे लेकर पालिका पर 22 लाख का जुर्माना भी ठांेक चुकी है। कहते हैं, कि जिस दिन ईओ और चेयरमैन टाइट हो जाएगें उस दिन सेवा प्रदाता की अवैध दुकाने बंद हो जाएगी, और तब मृत्यु होने पर कर्मी को पांच लाख का लाभ के साथ उसे पेंशन भी मिलेगा। कप्तानगंज नगर पंचायत का आउट सोर्सिगं का टेंडर पाने के लिए लक्ष्य फाउंडेशन ने शुन्य लाभांस पर काम करने के लिए टेंडर डाला था, जब कि साढ़े चार फीसद लाभांस से कम किसी का टेंडर स्वीकार ही नहीं होता, यह टेंडर लक्ष्य को मिल भी जाता हैं, अगर नगर पंचायत तक ही सीमित रहता, लेकिन जब यह मामला तत्कालीन डीएम सौम्या अग्रवाल तक पहुंचा तो उन्होंने लक्ष्य फाउंडेशन का टेंडर को निरस्त कर दिया, हांलाकि टेंडर निरस्त ना हो इसके लिए आकाओं ने खूब ताकत लगाया।
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