बीएलओ खरीदो प्रधान बनो, खूब लग रही बोली

बीएलओ खरीदो प्रधान बनो, खूब लग रही बोली

बीएलओ खरीदो प्रधान बनो, खूब लग रही बोली

-अधिकांश प्रधानों को हराने और जीताने में बीएलओ की रही महत्वपूर्ण भूमिका

-प्रधान प्रत्याशी मन पसंद के बीएलओ बनाने के लिए मुहंमागी रकम खर्च कर रहें

-चूंकि बीएलओ गांव का होता है, इस लिए हर कोई चाहता है, कि बीएलओ उसकी पसंद का हो, जब पंसद का होगा तो वह विरोधी का वोट काटेगा और पक्ष के लिए वोट जोड़ेगा

-पंचायती चुनाव को दूषित करने में बीएलओ की भूमिका रहती, इन्हें अगर हजार पांच हजार मिल जाए तो यह मतदान होने से पहले प्रधान को जीता दें

-बीएलओ के लालची स्वभाव के कारण न जाने कितने अच्छे प्रत्याशी प्रधान नहीं बन सके

-सर्वे के दौरान ही सबसे अधिक षिकायतें षासन और प्रशासन को बीएलओ की मनमानी करने की ही मिल रही

-विकास खंड बनकटी के ग्राम पंचायत कबरा में पहले चंद्रकला बीएलओ बनी, लेकिन प्रधान अभिषेक चौधरी को जैसे लगा कि यह बीएलओ उन्हें हरा देगी तो फौरन ब्लॉक और तहसील में पैसा खर्च उसी हारमती को बीएलओ बनवा दिया, जिसने फर्जी वोट से प्रधान को जीतवाया था

-  -तहसील दिवस में इसकी शिकायत जयप्रकाश, राहुल, बृजेश कुमार, राम हरीश की ओर से की गई

बस्ती। कहना गलत नहीं होगा कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव पूरी तरह बीएलओ पर निर्भर करता है, बीएलओ ही जीताता और हरवाता है। अब तक का इतिहास गवाह है, कि जिले के 75 फीसद से अधिक प्रधान सिर्फ बीएलओ के मतदाता सूची में हेराफेरी करने के कारण ही प्रधान बने हैं। कहने को हर चुनाव में चुनाव आयोग और प्रशासन स्वच्छ और पारदर्षी चुनाव कराने का दावा करता है, लेकिन हर बार दावा गलत साबित होता है। कहने का मतलब पंचायती चुनाव की तष्वीर को बनाने और बिगाड़ने में बीएलओ का बहुत बढ़ा हाथ होता है। कहने को भले ही यह आगंनबाड़ी कार्यकत्री हो, या फिर शिक्षा मित्र हो या फिर अनुदेशक हों, लेकिन इनकी अहमियत और ताकत का अंदाजा मतदाता सूची के दौरान देखने को मिलता है। प्रधानों को हराने और जीताने के मामले में सबसे अधिक आरोप महिला बीएलओ पर ही लगता आ रहा है। चूंकि इनकी सेटिगं चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों से रहती हैं, और प्रत्याशी लोग एक-एक वोट के लिए हजारों रुपया खर्चा करते हैं, इस लिए इनकी बात को तहसील वाले भी नहीं काटते। इन्होंने जो सर्वे करके मतदाता सूची को तहसील में दे दिया, उसी को सुपरवाइजर और एसडीएम मोहर लगा देते है। जो चालाक प्रत्याषी होते हैं, वह उतना वोट पर जोर नहीं देते, उनका सारा जोर विरोधी के वोटों को कटवाने और अपने लोगों का नाम जोड़वाने में रहता है। चुनाव में धांधली करने का उतना आरोप नहीं लगता जितना मतदाता सूची को लेकर लगता है। आज जो पूरे देश में चुनाव आयोग पर वोट की चोरी करने का आरोप लग रहा है, वह बीएलओ के कारण ही लग रहा है। बीएलओ अगर बिहार सहित अन्य प्रदेशों में ईमानदारी से अपना काम करते तो चुनाव आयोग और भाजपा को इतनी बदनामी नहीं झेलनी पड़ती। कहना गलत नहीं होगा, कि बस्ती में भी वोटों की खूब चोरी हुई है। लोकसभा और विधानसभा चुनाव में भी चोटो की चोरी बड़े पैमाने पर हुई, और अब पंचायत चुनाव में भी वोटों की चोरी करने की रणनीति बीएलओ के जरिए प्रधानी का चुनाव लड़ने वाले बना रहे है।

अब हम आप को विकास खंड बनकटी ब्लॉक के ग्राम पंचायत कबरा में हुई वोटों की चोरी के बारे में बताते है। 2021 के पंचायत चुनाव में अभिषेक चौधरी प्रधान चुने गए, इन्हें जीताने में सबसे बड़ा हाथ बीएलओ हरमती का माना जा रहा है। यह षिक्षा मित्र है। प्रधानजी इस बार भी चुनाव लड़ना चाहते हैं, और चाहते हैं, कि पिछली बार की तरह इस बार भी हारमती ही बीएलओ बने, लेकिन इनके स्थान पर आगंनबाड़ी कार्यक़त्री चंद्रकला को बीएलओ बना दिया गया, भला प्रधानजी कैसे यह बर्दास्त करेें कि बीएलओ उनके विरोधी खेमे का कोई बने। इसके लिए इन्होंने एक षिकायत किया, जिसमें इन्होंने यह कहा कि जिस चंद्रकला को बीएलओ बनाया गया, उनके पति उदयराज चौधरी 2021 में प्रधान पद के प्रत्याशी रह चुके हैं, और वर्तमान में भी यह प्रधान पद के प्रत्याशी हैं, और बीएलओ का सारा काम चंद्रकला के स्थान पर इनके पति उदयराज चौधरी देख रहे है। एसडीएम साहब ने आंख बंदकरके चंद्रकला के स्थान पर बीडीओ की रिपोर्ट पर 2021 में बीएलओ रही हरमती को फिर से बीएलओ बना दिया। बताते हैं, कि चंदकला के स्थान पर हरमती को पुनः बीएलओ बनाने के पीछे प्रधानजी ने पानी की तरह पैसा बहाया। क्यों कि अगर इन्हें चंद्रकला से कोई शिकायत थी, तो किसी और को बीएलओ बनवा देते, सवाल उठ रहा है, कि क्यों हरमती को बीएलओ बनाने पर जोर दिया, क्यों कि हरमती ने पिछले चुनाव में प्रधान को जीताने के लिए आधार कार्ड में 12,13,14 साल के बच्चों की जन्म तिथि बदलवाकर 20, 21 24 करवा दिया था।  चूंकि चंद्रकला देवी आगनबाड़ी कार्यकत्री है, इस लिए उन्हें गांव के सभी बच्चों की जन्म तिथि का पता है। इस तरह लगभग 50 बच्चों को बीएलओ हरमती ने बालिग बनाकर वोटर बना दिया, और इसी वोट से प्रधानजी जीत भी गए। जाहिर सी बात हैं, कि प्रधानजी कभी नहीं चाहेगें कि हरमती से उनका साथ छूटे, इस लिए प्रधानजी ने हरमती को ही बीएलओ बनाने के लिए पानी की तरह पैसा खर्चा किया, ताकि 2021 की तरह 2026 में भी प्रधानी का ताज सिर पर सजा सकें। यह तो एक बानगी है, हरमती जैसी न जाने कितनी लालची बीएलओ होगी जो पैसे के लिए अपना ईमानदार और धर्म तक बेचने को तैयार होगंी।

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