बीडीओ साहब आप बहुत बड़े भ्रष्ट अधिकारी हो!
- Posted By: Tejyug News LIVE
- राज्य
- Updated: 25 June, 2025 21:07
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बीडीओ साहब आप बहुत बड़े भ्रष्ट अधिकारी हो!
-सरकार का वेतन लेकर सरकार को ही धोखा दे रहे, कुदरहा के बीडीओ कर रहें हाईलेबिल के मजदूरों का फर्जी भुगतान, कहा कि बीडीओ साहब आखिर आप कितना कमीशन पा जातें
-बीडीओ साहब अगर भलाई चाहते हैं, तो 199 का लगा हुआ फर्जी पेमेंट, निरस्त करें, नकली रोजगार और उनकी पत्नी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराएं, वरना कोर्ट कचहरी का चक्कर लगाने को तैयार रहें
-अगर कड़सरी मिश्र का मनरेगा मजदूर फारचूनर से चल सकता है, तो बैसियाकला का मजदूर क्यों नहीं डिजायर से घूम सकता
-पूरे देश में अगर मनरेगा मजदूरों ने सबसे अधिक तरक्की की है, तो उसमें कुदरहा के सबसे अधिक मजदूर शामिल
-जिस परिवार के 33 सदस्य मनरेगा मजदूर होगें वह परिवार, वह ब्लॉक और वह ग्राम पंचायत तरक्की करेगा ही
बस्ती। कुदरहा विकास खंड पहला ऐसा ब्लॉक होगा, जहां के मनरेगा मजदूरों ने सबसे अधिक तरक्की की। तरक्की का आलम यह है, कि मनरेगा मजदूर फारचूनर और डिजायर से चल रहा है। मजदूरी के बल पर करोड़ों की चल और अचल संपत्ति खड़ी कर ली है। इसे देख कौन कह सकता है, कि इस ब्लॉक की गिनती अति पिछड़े ब्लाकों में होती होगी। इलाका अवष्य पिछड़ा हुआ है, लेकिन यहां के लोग पिछड़े हुए अब नहीं रह गए। इस इलाके में सबसे अधिक फारचूनर गाड़ी गांव से निकलकर सड़कों पर फर्राटा भरती है। पिछड़े इलाके के नाम पर न जाने कितने प्रमुख से लेकर असली/नकली प्रधान और मनरेगा मजदूर करोड़पति तक हो गए। जब इस ब्लॉक का 10 हजार मानदेय पाने वाला कंप्यूटर आपरेटर करोड़पति बन सकता है, तो क्यों नहीं मनरेगा मजदूर फारचूनर और डिजायर से घूम सकता? एक तरह से मनरेगा ने इस ब्लॉक के सभी लोगों को करोड़पति बनने का अवसर दिया है। जिस ब्लॉक में ग्राम पंचायतें बिकती हो, कच्चा काम प्रधान कराता हो और पक्का काम प्रधान बनाने वाले कराते हो, वह ब्लॉक कैसे माडल बन सकता है? यह वही ब्लॉक हैं, जहां पर नकली रोजगार सेवक ने एक ऐसे ईमानदार मनरेगा मजदूर के गले में पटटा डालकर लटका दिया जिसने खातें में आए फर्जी भुगतान को देने से मना कर दिया था। इसी नकली रोजगार सेवक ने कहा था, कि 8500 में से एक हजार रुपया रख लो और 7500 हजार पर अगूंठा लगा दो क्यों कि 30 फीसद सीडीओ, 12 फीसद बीडीओ, छह फीसद सचिव और दो फीसद कंप्यूटर आपरेटर को कमीशन देना हैं, अगर 7500 नहीं दिया तो जान से हाथ धो बैठोंगे। मारा-पिटा गले में पटटा डालकर लटका दिया, फिर भी उसने पैसा नहीं दिया, और कहा कि भले ही चाहें आप लोग मेरी जान ले लो लेकिन मैं पैसा वापस नहीं करुंगा, सरकार को वापस कर दूंगा, लेकिन आप लोंगो को नहीं दूंगा। जिस ब्लॉक के ग्राम पंचायत के नकली रोजगार सेवक की यह हालत है, उस ब्लॉक के नकली प्रधानों की क्या होगी? इसे आसानी से समझा जा सकता है। जहां इस ब्लॉक में लॅूटपाट करने वालों की भरमार है, वहां पर बैसियाकला के उमेश गोस्वामी जैसा मनरेगा मजदूर भी है, जो मार तो खा लिया लेकिन पैसा वापस नहीं किया। वरना, बिना काम के 10 फीसद लेने वाले बेईमान मजदूरों की इस ब्लॉक के ग्राम पंचायतों में कमी नहीं है।
बैसियाकला में अभी 8500 हजार के फर्जी भुगतान का मामला चल ही रहा था, कि 199 फर्जी मजदूरों का पेमेंट करने की साजिश करने का सामने आ गया। मनरेगा मजदूर उमेश गोस्वामी ने बीडीओ को किए गए आन लाइन शिकायत में कहा है, कि बीडीओ साहब आप बहुत भ्रष्ट अधिकारी हो। आप सरकार का वेतन लेकर सरकार को ही धोखा दे रहे, आप हाईलेबिल के मजदूरों का फर्जी भुगतान कर रहें हैं, कहा कि बीडीओ साहब आखिर आप कितना कमीशन पा जातें। चेतावनी के लहजे में कहा कि बीडीओ साहब अगर भलाई चाहते हैं, तो 199 का लगा हुआ फर्जी पेमेंट, निरस्त करें, नकली रोजगार और उनकी पत्नी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराएं, वरना कोर्ट कचहरी का चक्कर लगाने को तैयार रहे। न्याय पालिका का दर्शन करने को तैयार रहे। 199 का फर्जी पेमेंट लगा हुआ है, और 135 का और लगने वाला है। पता चला है, कि आप 12 फीसद कमीशन लेते हैं। कहा कि एक ही परिवार के तीन संपन्न भाईयों के नाम पर फर्जी हाजरी उन्हीं भाईयों में एक नकली रोजगार सेवक ने लगाया, जिसकी पत्नी न तो ब्लॉक पर आती और न बैठकों में भाग लेती और न कभी हाजरी लगाने आती है। जिन पांच परियोजनाओं के नाम पर 199 फर्जी मजदूरों की हाजरी लगाकर पेमेंट लगाया गया, और जिसमें तीनों भाईयों को भी मजदूरी करते दिखाया गया, उनमें पुजारी के खेत से शंकर के खेत तक, नाला सफाई एवं खुदाई, हरिराम के खेत से राधेष्यामक े खेत तक नाला खुदाई एवं सफाई, जगदीश के खेत से जगलाल के खेत तक नाला खुदाई एवं सफाई कार्य, फूलचंद्र के खेत से भोपाल के खेत तक चकमार्ग पर मिटटी कार्य एवं उजागिर के खेत से तपसी के खेत तक चकमार्ग पर मिटटी कार्य शामिल है। मनरेगा में इतनी पारदर्शिता होने के बाद भी जिस तरह फर्जी कार्य और फर्जी हाजरी लगाकर करोड़ों रुपये का भुगतान हो रहा है, उससे तो अच्छा इस योजना को ही बंद कर देना चाहिए। यही आवाज उमेश गोस्वामी जैसे मनरेगा मजदूर ने भी उठाया। जिले में हर साल पांच अरब से अधिक मनरेगा में खर्च हो रहा है। कार्य और खर्च किए धन को अगर देख लिया जाए तो कोई भी ऐसी ग्राम पंचायतें नहीं बची जहां पर कार्य की आवष्यकता हो। एक-एक ग्राम पंचायत एक-एक साल में दो से ढ़ाई करोड़ मनरेगा में खर्च कर रही है, फिर भी गांव माडल नहीं बन पा रहा है। जिस दिन यह योजना बंद हो गई, उस दिन न जाने कितने प्रधानी का चुनाव लड़ना बंद कर देगें।
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