बीडीए वाले चढ़ावा चढ़ाने वाले भक्तों को कभी निराश नहीं करते!
- Posted By: Tejyug News LIVE
- राज्य
- Updated: 3 January, 2025 23:52
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बीडीए वाले चढ़ावा चढ़ाने वाले भक्तों कोकभी निराश नहीं करते!
ऐसे ही इनके एक भक्त दामोदरपुर के इंडेन गैस के वीरेंद्र प्रताप सिंह हैं, इनके लिए यह सारे नियम कानून तोड़ने को तैयार -गैस वाले से बीडीए के लोगों से दोस्ती इतनी गहरी कि शासन के निर्देश के बाद भी अशमनीय भाग को ध्वस्त नहीं कर रही -दिखाने के लिए तो बीडीए नोटिस पर नोटिस दे रही है, लेकिन ध्वस्तीकरण की कार्रवाई नहीं कर रही -बार-बार लिखा जा रहा है, कि एक सप्ताह में स्वंय ध्वस्त कर बीडीए को अवगत कराए, लेकिन गैस वाले सुनने को तैयार नहीं, एक ईंट तक नहीं हटाया, ध्वस्त करना तो बहुत दूर की बात -बीडीए के एक्सईएन और जेई हरिओम गुप्त बचाने में लगे हुए हैं, क्यों लगे हैं, यह खुद समझिए -डीएम से की गई इसकी शिकायत, डीएम ने एक्सईएन को त्वरित कार्रवाई करने को लिखा |
-बस्ती। बीडीए के इंजीनियरों में भले ही चाहे जितनी भी कमियां या फिर खराबी हो, लेकिन उन्हें दोस्ती निभाना अच्छी तरह आता है, अगर यह लोग किसी का नमक खा लेते हैं, तो इनका पूरा प्रयास रहता है, कि नमकहरामी ना होने पाए। वैसे भी इन लोगों का कोई दोस्त नहीं हैं, और ना ही इनकी किसी से याराना, यह उन्ही लोगों को दोस्त बनाते हैं, जो इन्हें चढ़ावा चढ़ाता है। यह भगवान की तरह हैं, जिस तरह भगवान बिना चढ़ावे के अपने भक्तों से प्रसन्न नहीं रहते और ना आशीर्वाद देते हैं, ठीक वही स्थित बीडीए के लोगों की है। भक्तगण इनके पास नहीं आते बल्कि यह भक्तों के पास चढ़ावा लेने को पहुंच जाते है। जितना अधिक चढ़ावा रहेगा उतना अधिक आशीर्वाद भी मिलेगा, बीडीए वाले अपने भक्तों को कभी निराश नहीं करते, भले ही चाहें भक्तगण कितना गलत ही क्यों ना हो? इन्हीं भक्तों में एक दामोदरपुर के इंडेन गैस के प्रोपराइटर वीरेंद्र प्रताप सिंह भी है। पता नहीं इन्होंने कितना चढ़ावा चढ़ाया कि बीडीए वाले इनके लिए षासन की भी अनदेखी करने को तैयार है। पूरे जिले में बीडीए और वीरेंद्र प्रताप सिंह की दोस्ती की चर्चा हैं, तभी तो इनका अषमनीय भाग ना तो बीडीए वाले ध्वस्त कर रहे हैं, और ना गैस वाले ही। अब सवाल उठ रहा है, कि क्यों नहीं इनके खिलाफ कार्रवाई हो रही है, आखिर इन्होंने बीडीए के लिए क्या कर रखा हैं, कि बीडीए वाले इनकी तरफ देखते ही नही। इन्हीं के चलते ही एक ईमानदार जेई को चार्जषीटेड होना पड़ा। अब आप समझ सकते हैं, कि क्यों नहीं गलत होते हुए भी बीडीए वाले इनका कोई कुछ कर पा रहें हैं? सवाल यह भी उठ रहा है, क्या इनके लिए नियम कानून का कोई मतलब नहीं? क्या यह नियम कानून से उपर हैं? दिखाने के लिए बीडीए वाले इन्हें नोटिस पर नोटिस देते हैं, मगर यह महाषय इतने पावरफुल हैं, कि यह नोटिस को ही संज्ञान में नहीं लेते। अगर यही नोटिस किसी सामान्य भवन स्वामी को चली जाए तो उसके रातों की नींद बीडीए वाले हराम कर देगें। जब इसकी शिकायत डीएम से की गई तो उन्होंने एक्सईएन को त्वरित कार्रवाई करने का निर्देश दिया, अब देखना हैं, कि बीडीए वाले डीएम के निर्देष को कितना महत्व देते है। उम्मीइ तो कम ही लग रही है। क्यों कि जो बीडीए वाले षासन के आदेष निर्देष की अवहेलना कर सकते हैं, उन्हें डीएम के आदेश की अवहेलना करने में कितना समय लगेगा। कहा भी जा रहा है, कि जब तक एक्सईएन और जेई हरिओम गुप्त रहेगें तब तक वीरेंद्र प्रताप सिंह के गैस गोदाम का एक ईट भी नहीं हट सकता। इसे चढ़ावे का कमाल माना जा रहा।
बता दें कि बीडीए ने इस शर्त के साथ इनका शमन मानचित्र स्वीकृति किया कि यह एक माह में अशमनीय भाग को ध्वस्त कर देगें। इनका शमन मानचित्र संख्या 215 हैं, जो 13 मार्च 23 को बीडीए कार्यालय में प्रस्तुत किया गया। यह भी कहा गया कि अगर एक माह में ध्वस्त नहीं किया गया तो बीडीए ध्वस्त कर देगा, तब पूरा हर्जाखर्चा देना पड़ेगा। लगभग दो साल होने को हैं, लेकिन ना तो बीडीए का और ना गैस वाले का एक माह आया। बीडीए ने इन्हें फिर 17 दिसंबर 24 को नोटिस जारी करते हुए कहा कि एक सप्ताह के भीतर ध्वस्त करते हुए उसकी जानकारी बीडीए को दे। एक सप्ताह कौन कहे तीन सप्ताह बीतने को हैं, लेकिन अभी तक अशमनीय भाग ध्वस्त नहीं किया गया। अब आप समझ गए होगें कि बीडीए वाले अपने भक्तों का कितना ख्याल रखते है।
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