अरविंद सिंह और कुलदीप सिंह, जेल जाने को तैयार रहिए, पुलिस आ रही!

अरविंद सिंह और कुलदीप सिंह, जेल जाने को तैयार रहिए, पुलिस आ रही!

अरविंद सिंह और कुलदीप सिंह, जेल जाने को तैयार रहिए, पुलिस आ रही!

-जिले में पहली बार अनुसूचित जन जाति का मुकदमा लिखा गया, वह भी व्रिकमजोत के नामचीन पूर्व चेयरमैन अरविंद कुमार सिंह और उनके डायरेक्टर साथी कुलदीप सिंह के खिलाफ

-मुकदमा दर्ज करवाने में एक नेताजी की अहम भूमिका, सीएम से मिलकर दर्ज करवाया मुकदमा, इसी बहाने नेताजी ने विरोधियों को दी पटकनी

-छह माह बाद विक्रमजोत गन्ना समिति के गन्ना पर्यवेक्षक अर्जुन प्रसाद गोड़ की तमन्ना हुई पूरी, यह तो थाने पर भी जाना बंद कर दिए थे, क्यों कि थाने वाले समझौता कराने का इनपर दबाव बना रहे थे

बस्ती।...प्रशासन अगर चुनाव के दौरान भाजपा के वरिष्ठ नेता बलराम सिंह की शिकायत का निस्तारण कर दिया होता तो अरविंद सिंह और उनके चेयरमैन बेटे सिद्वांत सिंह की इज्जत कब की चली गई होती। चेयरमैनी भी छिन जाती। लेकिन सत्ता के दबाव में कानून का ही गला दबा दिया गया। भले ही चाहें बलराम सिंह को न्याय नहीं मिला, लेकिन विक्रमजोत गन्ना समिति के गन्ना पर्यवेक्षक अर्जुन गोड़ को न्याय अवष्य मिला। इनकी शिकायत पर जिले में पहली बार अनुसूचित जन जाति का मुकदमा दर्ज हुआ, और वह भी दो नामचीन लोगों के खिलाफ, पहला पूर्व चेयरमैन अरविंद सिंह और दूसरा इनके साथ डायरेक्टर कुलदीप सिंह के खिलाफ। यह मुकदमा यूंही नहीं छह माह बाद लिखा गया, बताते हैं, कि इसके लिए क्षेत्र के नेताजी सीएम से मिले, तब जाकर छावनी पुलिस ने केस दर्ज किया। मुकदमा दर्ज करवाकर नेताजी ने एक तरह से अपने विरोधियों को पटकनी दी है, और बता दिया कि कोई उन्हें कमजोर ना आंके। बहरहाल, जिस अरविंद सिंह की तोती बोलती थी, आज उन्हें जेल जाना पड़ रहा है। कहा भी जाता है, कि अगर शिकायतकर्त्ता बलराम सिंह की प्रषासन और पार्टी सुन लेती तो जेल जाने की नौबत ना आती। जिस तरह भाजपा के जिम्मेदारों ने रातों-रात ऐसे अरविंद कुमार सिंह के बेटे सिद्वांत कुमार सिंह को जिला कार्यसमिति का सदस्य बनाकर चेयरमैनी की कुर्सी पर बैठा दिया, जो एक दिन भी भाजपा कार्यालय ना गया हो, उसका सच आज उजागर हो रहा है। इस एफआईआर से अरविंद सिंह की कम और भाजपा की अधिक फजीहत हो रही है। सहकारी गन्ना समिति विक्रमजोत उन लोगों के लिए एक सबक हैं, जो लोग पार्टी के साथ मिलकर फर्जीवाड़ा करते हैं, और कुर्सी हासिल करते है। गन्ना पर्यवेक्षक अर्जुन प्रसाद गौड़ की ओर से दी गई रिपोर्ट में कहा गया कि बाग की जमीन को भूजोत में फीड कराने की साजिष की गई। इस फर्जीवाड़े में सिर्फ चेयरमैन सिद्वांत कुमार सिंह का ही सटटा बंद नहीं हुआ बल्कि कुलदीप सिंह पुत्र अवध राम अवध सिंह ने भी बाग की जमीन को भूजोत में फीड कराकर फर्जीवाड़ा किया। इसी फर्जीवाड़े पर यह निर्विरोध डायरेक्टर चुने गए।  

अब हम आपको उस तहरीर की ओर ले चलते हैं, जिसे गन्ना पर्यवेक्षक अर्जुन प्रसाद गोड़ ने फर्जीवाड़े का पोल खोलते हुए डायरेक्टर कुलदीप सिंह और पूर्व चेयरमैन एवं वर्तमान चेयरमैन के पिता अरविंद कुमार सिंह के खिलाफ मारपीट करने एवं जांच को प्रभावित करने के आरोप में मुकदमा दर्ज करने को एसओ छावनी को दी थी। गवाह के रुप में बालेंद्र सिंह, लिपिक षैलेंद्र सिंह, रमाषंकर सिंह, सौरभ कुमार, ऋषभ तिवारी समायिक लिपिक, प्रवीण कुमार एवं गन्ना पर्यवेक्षक अनूप पांडेय का नाम और मोबाइल नंबर एवं हस्ताक्षर भी है। घटना 20 नवंबर 24 का बताया गया। कहा कि बोर्ड की बैठक थी, जिसमें ज्येष्ठ गन्ना विकास निरीक्षक उपेंद्र सिंह एवं गन्ना विकास निरीक्षक/सचिव देवस्वरुप षुक्ल के द्वारा मुझे वारिश सदस्य जीवानरायनपुर के मामले में जानकारी के लिए बुलाया था। अभी मैं अपने अधिकारियों को जानकारी दे ही रहा था, कि तभी कुलदीप सिंह पुत्र राम अवध सिंह ने मां-बहन की गंदी-गंदी गाली देने लगे एवं मारने की धमकी देने लगे। कहा कि गाली और मारने की धमकी अरविंद सिंह के ईशारे पर दिलाया गया। इस पर अधिकारियों ने अरविंद सिंह से कहा कि क्यों मेरे पर्यवेक्षक को गाली दिलवा रहें है। क्यों नहीं रोक रहे है। इस पर सभी अधिकारी बैठक से उठ गए और एफआईआर दर्ज कराने को कहा। इसके बाद मैं अधिकारियों के साथ नांदेकुंवा-भेलमापुर क्रयकेंद्र की जांच करने चला गया। जांच रिपोर्ट और खतौनी की नकल के साथ तहरीर देते हुए कहा गया कि कुलदीप सिंह बाग की जमीन लगाकर-बंजर जमीन लगाकर 1996 में गन्ना समिति में धोखाधड़ी करके सदस्य बने थे, साल 2024 में यह निर्विरोध डायरेक्टर चुने गए। इसकी शिकायत कृष्ण बहादुर सिंह नामक व्यक्ति के द्वारा सीएम पोर्टल पर की गई। जब इसकी मेरे द्वारा जांच की गई, तो यह भूमिहीन पाए गए और नियमानुसार कोई भी भूमिहीन किसान नहीं हो सकता और ना वह डायरेक्टर ही बन सकता है। जिस पर इनका सटटा बंद कर दिया गया। कहा कि जांच के दौरान कुलदीप और अरविंद के द्वारा नाजायज दबाव बनाया गया। शासन स्तर पर सिद्वांत सिंह खिलाफ जांच मिली। लिखा कि चेयरमैन के द्वारा गन्ना विभाग के वेबसाइड ईआरपी पर ग्राम दुभरा निर्वहन में राजस्व गाटा संख्या 296 एवं 2996 ख अपने कोड संख्या 6723/43 पर भूजोत फीड कराया गया। जबकि गाटा संख्या 296 आबादी भूमि होने के कारण चेयरमैन का भी सटटा बंद कर दिया गया। बताया कि चेयरमैन का पद जाने के डर गाली गलौच की घटना को सोची समझी रणनीति के तहत अंजाम दिया गया। बरसांव गांव के श्रीराम सिंह पुत्र सूबेदार सिंह ने भी 23 नवंबर 24 को मुख्यमंत्री को साक्ष्य के साथ लिखा था, पूर्व अध्यक्ष मंजू सिंह पत्नी अरविंद सिंह के पुत्र सिद्वांत सिंह ने अपने कोड संख्या 6723/43 पर ग्राम के आबादी की जमीन पर गाटा संख्या-296 फीड कराकर चेयरमैन की कुर्सी पर बैठे हुएं है। कहा गया कि इनके द्वारा विभागीय नियमों के साथ जालसाजी किया गया।

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