अभी तो गौशाला जलाया, पूरे परिवार को जला दूंगा

अभी तो गौशाला जलाया, पूरे परिवार को जला दूंगा

अभी तो गौशाला जलाया, पूरे परिवार को जला दूंगा

-यह किसी फिल्म का डायलाग नहीं बल्कि उन भूमाफियों की धमकी हैं, जिन्होंने सीतारामपुर के अरबों रुपये के सरकारी जमीन को बचाने वाले सुदेष्वर प्रसाद मिश्र को दी

-जितने भी फर्जी पटटा हुआ, वह पूर्व सीतारामपुर वर्तमान कल्याणपुर के नकली प्रधान अभिषेक शर्मा नें किया, इन्होंने खुद अपने नाम 20-25 फर्जी पटटा करवाया

-जिन लोगों का नाम 1985 में पटटा हुआ, और जिनकी उम्र अब लगभग 70-75 साल होनी चाहिए, उन्हें 30-35 साल दिखा दिया

-जिस काशी प्रसाद गुप्त और विजय कुमार लेखपाल को पटटा करने का अधिकार नहीं था, उन दोनों ने मिलकर फर्जी आदेश के जरिए अरबों रुपया सरकारी जमीन का पटटा कर दिया

-जिस कल्याणपुर के प्रधान जसराज को फर्जी पटटे की लड़ाई लड़नी चाहिए, वह नहीं लड़ रहा, बल्कि सुदेष्वर प्रसाद मिश्र लड़ाई लड़ रहा

-भाजपा नेता राजेंद्रनाथ तिवारी ने गौशाला जलाने को लेकर डीएम और एसपी सहित सीएम को ट्यूट किया

गौशाला जलाने और फर्जी पटटा करने का आरोप छतौना के पूर्व प्रधान सुरेंद्र कुमार मिश्र पुत्र दुर्गा प्रसाद मिश्र पर लगा, इन्होने भी 84-85 फर्जी पटटा किया, यही सबसे अधिक परेशान हैं, और इन्हीं के ओर से धमकी भी दी जा रही

बस्ती। हर्रैया तहसील में अव्वल तो कोई भूमाफियाओं के खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत नहीं करता, और जो करता भी है, उसे जान से मारने की धमकी मिलती हैं, उसका गौशाला यह कहकर जला दिया जाता हैं, कि अगर विरोध करना बंद नहीं किया तो पूरे परिवार को जलाकर राख कर दूंगा। ऐसे में कैसे कोई एक आम आदमी सरकारी जमीन के लिए लड़ पाएगा, लेकिन एक शख्स ऐसा भी हैं, जो यह कहता हैं, कि भले ही चाहें मेरी जान चली जाए, लेकिन लड़ाई जारी रहेगी। सीतारामपुर के 20 साल तक प्रधानी करने वाले सुदेष्वर प्रसाद मिश्र उन लोगों में से एक हैं, जो अपनी जमीन के लिए नहीं बल्कि सरकारी जमीन के लिए अपना और अपने परिवार की जिंदगी को दांव पर लगा दिया। इनका साथ ना तो छावनी पुलिस दे रही हैं, और ना कोई नेता ही दे रहा हैं, हर्रैया तहसील वाले भी इसे तहसील दिवस से यह कहकर भगा देते हैं, कि जाओ मीडियाबाजी करो। इस लड़ाकू व्यक्ति को भूमाफियों के द्वारा 50 लाख नकद और 25 फर्जी पटटा का आफर चुप रहने के लिए दिया जा चुका हैं, यह चाहता तो आफर को स्वीकार कर लेता, लेकिन इसने ऐसा कुछ नहीं किया बल्कि लड़ाई लड़ रहा है। इसका कहना है, कि उसके गौशाला में आग छतौना के पूर्व प्रधान सुरेंद्र मिश्र ने लगाया, और इन्होंने भी लगभग 85 फर्जी पटटा किया, खुद अपने नाम से फर्जी पटटा किया, इतना ही नहीं तत्कालीन ग्राम पंचायत सीतारामपुर वर्तमान ग्राम पंचायत कल्याणपुर के नकली प्रधान अभिषेक शर्मा ने खुद के नाम 20-22 फर्जी पटटा किया, इसी लिए यह और एससी वर्ग के असली प्रधान जसराज फर्जी पटटा को लेकर कोई आवाज नहीं उठा रहे हैं, जबकि भूमि प्रबंधन समिति का अध्यक्ष होने के नाते इन्हें ही आवाज उठाना चाहिए, यह इस लिए नहीं उठा रहे हैं, क्यों कि इस फर्जीवाड़े में नकली प्रधान भी शामिल है। इनका चुप रहना यह बताता हैं, कि इन्हीं के ही कार्यकाल में फर्जी पटटा हुआ। क्यों कि जितने भी फर्जी पटटे हुए वह 2000-24 के बीच अप्रैल 24 में हुए। 2300 बीघा सरकारी जमीन का लगभग 600 लोगों के नाम फर्जी पटटा हुआ। इस फर्जीवाड़े से लगभग पांच से छह सौ करोड़ रुपया कमाया गया। अब जरा अंदाजा लगाइए कि जिस सहायक अभिलेख अधिकारी अयोध्या के लेखपाल काषी प्रसाद गुप्त और विजय कुमार को पटटा करने का अधिकार ही नहीं, उन्होंने कर दिया, पटटा करने का अधिकारी हर्रैया तहसील के लेखपाल कृष्ण मुरारी को है। इन्होंने पटटा तो नहीं किया, लेकिन रिकार्ड रुम हर्रैया से पटटा पत्रावली अवष्य गायब कर दिया। यही वह लेखपाल है, जिसके पास सारे भूमाफिया आते हैं, और यही से कार्रवाई के बारे में जानकारी लेते है। सुबह होते ही छतौना के पूर्व प्रधान सुरेंद्र मिश्र एवं प्रेम कुमार उर्फ आदित्य सिंह गोलबंद होकर हर्रैया के सर्वे कार्यालय पहुंच जाते है। चूंकि इस फर्जीवाड़े में सबसे अधिक संदिग्ध भूमिका हर्रैया तहसील के अधिकारियों और कर्मचारियों की ही है, इस लिए इस तहसील के लोग संदेह के घेरे में आ रहंे है। वैसे इस मामले में डीएम रवीष गुप्त सख्त नजर आ रहे हैं, और उनका कहना है, कि फर्जीवाड़ा करने वाले जेल जाएगे।

बार-बार कहा जा रहा हैं, कि खतौनी में हेराफेरी करके ही इतना बड़ा फर्जीवाड़ा किया गया, और इसके लिए पूरी तरह सहायक अभिलेख अधिकारी अयोध्या और वहां के दोनों लेखपालों को जिम्मेदारों माना जा रहा हैं, अगर छेड़छाड़ नहीं किया गया होता तो जिन पटाधारकों की उम्र 70-75 होनी चाहिए, वह 30-35 साल नहीं होती। अब हम आपको बताते हैं, कि जिन लोगों के नाम 1975 में पटटा हुआ, और उस समय जिनकी उम्र 25-30 रही होगी, उनकी उम्र आज भी 30-35 साल है। इनमें गुडडी पत्नी रघुनाथ, लुकुड़ा पत्नी रामशरण, साधु पुत्र छैला, प्यारे पुत्र श्रीराम सभी छतौना के हेंमत कुमार पुत्र विष्णु देव यह छतौना के नहीं बल्कि दूसरे गांव के हैं, पहलवान पुत्र गोविंद, प्रहृलाद पुत्र रामदीन, सुरेंद्र कुमार पुत्र मोती, ठाकुर प्रसाद पुत्र अशर्फीलाल, झिनका पत्नी रामदुलारे एवं रेखा पत्नी धमेंद्र सभी छतौना के है। कृष्ण मुरारी पुत्र विष्वनाथ निवासी सुनगहा के नाम भी फर्जी पटटा हुआ।

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