आखिर बीडीओ साहब, ललिता मौर्या पर इतना मेहरबान क्यों?

आखिर बीडीओ साहब, ललिता मौर्या पर इतना मेहरबान क्यों?

आखिर बीडीओ साहब, ललिता मौर्या पर इतना मेहरबान क्यों?

-बीडीओ साहब जिस भी ब्लॉक में जाते हैं, अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके सचिव ललिता मौर्या को अपने पास बुला देते

-बीडीओ की मेहरबानी इतनी कि इन्हें दो कलस्टर के 19 ग्राम पंचायतों का प्रभार दे दिया, जो महिला सचिव एक दो ग्राम पंचायतों को संभाल ना पाती हो, अगर उसे 19 ग्राम पंचायतों का प्रभार मिल जाएगा तो सयवाल उठेगा ही

-बीडीओ साहब के मानक पर जो भी प्रधान खरा नहीं उतरते उसे ठीक करने के लिए महिला सचिव को उस ग्राम पंचायत में लगा दिया जाता

-बीडीओ और सचिव की मनमानी और धान उगाही से 95 फीसद प्रधान परेशान हैं, कहते हैं, कि हम लोग गांव का विकास करें, कि बीडीओ का सचिव का करें

-परिवार रजिस्टर के नकल से लेकर जन्म-मृत्यु प्रमाण-पत्र बनाने तक में सचिव बखरा मांगती, प्रधानों ने सचिव ललिता मौर्या को हटाने की मांग की

बस्ती। आखिर प्रमुखों और बीडीओ को महिला सचिव ही क्यों इतनी चहेती बन जाते है। आखिर इनमें कौन सी ऐसी योग्यता होती है, जिससे यह बीडीओ और प्रमुख की चहेती बन जाती है। सदर ब्लॉक की महिला सचिव इस मामले में सबसे अधिक अपने आप को लकी मान रही है। बीडीओ साहब ईमानदारी से काम करने वाले को अपना चहेता बनाइए, बेईमानी करने वालों को अगर चहेता बनाएगें तो अगुंली उठेगी ही। जाहिर सी बात हैं, जिस बीडीओ और प्रमुख का आर्षीवाद महिला सचिवों पर रहेगा उस महिला सचिव की समझो लाटरी ही निकल गई। सवाल उठ रहा हैं, कि आखिर छितही नरसिंह और जोगिया कलस्टर के लगभग 19 ग्राम पंचायतों के प्रधानों के बीच सचिव ललिता मौर्या को लेकर ही क्यों विवाद छिड़ा हुआ? क्यों इन दोनों कलस्टर के प्रधानों ने विकास करना बंद कर दिया? क्यों इन ग्राम पंचायतों के सारे रजिस्टर को महिला सचिव अपने पास रखती है? जब कि सारे रजिस्टर पंचायत भवन में इस लिए रखा जाता, ताकि जरुरममंदों को प्रमाण-पत्र समय से उपलब्ध कराया जा सके। जब से ललिता मौर्या छितही नरसिंह कलस्टर की सचिव बनी है, तब से इस कलस्टर के आठ ग्राम पंचायतों के अनेक जरुरतमंदों को परिवार रजिस्टर की नकल से लेकर अन्य प्रमाण-पत्रों के लिए कई-कई दिन तक इंतजार करना पड़ता, जब सचिव पंचायत भवन जाएगीं ही नहीं तो कौन नकल देगा।

महिला सचिव को हम लोगों के पीछे लगा दिया गया, ताकि विकास कार्य बाधित हो। बता दे कि कुछ दिन पहले इन दोनों कलस्टर के अधिकांष प्रधानों ने प्रमुख का जमकर विरोध किया था, प्रधानों का कहना है, कि उसी विरोध का खामियाजा उन्हें गांव के विकास के रुप में भुगतना पड़ रहा है। प्रधानों का कहना है, कि ऐसा लगता है, कि ललिता मौर्या को विरोध करने वाले प्रधानों को सबक सिखाने के लिए ही उन्हें छितही नरसिंह कलस्टर दिया गया। प्रधानों का कहना है, कि महिला सचिव के मनमानी के चलते उनके गांवों में पिछले लगभग दो माह से कोई भी विकास नहीं हुआ। कई प्रधानों ने कहा कि अगर कोई प्रधान किसी को परिवार रजिस्टर का नकल नहीं दे सकता या समय से नहीं दिलवा सकता तो उसके प्रधान होने का क्या लाभ। कहते हैं, कि ऐसा लगता कि पूरा ब्लॉक छतही नरसिंह और जोगिया कलस्टर के नगरा, देवरिया, समसपुर, बरसावं, सिकरा हकीम, रेवली, करियार राउत, गौरा नया, बनगवां प्रथम, सिकरा पठान, भुवनी, दौलतपुर, ओरई, नंदनगर, सूसीपार एवं चिलवनिया के पीछे पड़ गया, अधिकांष प्रधानों का कहना है, कि हम लोग मानकनुसार काम करना चाहते हैं, क्यों कि गांव में सबसे अधिक जबावदेही प्रधानों की ही बनती है, बीडीओ और सचिव तो अपना बखरा लेकर चले जाएगें, लेकिन जबाव तो प्रधानों को ही देना पड़ता हैं। सवाल के लहजे में कहते हैं, कि अगर गांव का विकास नहीं होगा तो गांव वाले क्यों भाजपा को वोट देगें। जो हालात बन रहें हैं, उसे देख कहा जा सकता है, कि बीडीओ और प्रमुख के खिलाफ एक बार फिर प्रधान मुखर होने वाले है। अगर ऐसा हुआ तो एक बार फिर प्रमुख की बदनामी होगी। फिर इन्हें एक बार मिनरल वाटर उठाकर कसम खाना पड़ेगा। ललिता मौर्या के कामकाज पर भी अनेक प्रधान अगुंली उड़ा रहे है। कहते हैं, कि जब यह कोई गांव जाएगी ही नहीं तो गांव की समस्या कैसे दूर होगी। प्रधान काम कैसे करेगें। इनमें कई ऐसे प्रधान भी हॅै, जो 60-40 के अनुपात के अनुसार ही काम करना चाहते हैं, लेकिन उन्हें वह भी करने नहीं दिया जा रहा है, और इसके लिए पूरी तरह बीडीओ को ही जिम्मेदार माना जा रहा है। ऐसा लगता मानो बीडीओ साहब को विवादों के बीच में रहना पसंद है। प्रमुखजी अगर आप चाहते हैं, कि आप और बीडीओ के खिलाफ आवाज का स्वर ना उठे तो ललिता मौर्या प्रेम छोड़ना पड़ेगा, और इन्हें किसी और कलस्टर में भेजना पड़ेगा। प्रधानों को सबक सिखाने के बजाए उन्हें अपना बनाना होगा, तभी गांव और ब्लॉक का विकास होगा। इतना ही नहीं जो प्रधान वाकई 60-40 के अनुपात विकास करना चाहते हैं, उन्हें बढ़ावा दीजिए, और जो अनुपात को तोड़ निजी लाभ लेना चाहते हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई करवाइए।

Comments

Leave A Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *