35 अरब के घोटाले में फंसे योगीजी के चहेते अधिकारी
- Posted By: Tejyug News LIVE
- राज्य
- Updated: 26 June, 2025 20:37
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35 अरब के घोटाले में फंसे योगीजी के चहेते अधिकारी!
-घोटाले का खुलासा बस्ती में सहायक सूचना निदेशक रहे डा. एमडी सिंह ने किया
-केंद्रीय वित्त विभाग ने यूपी के लोकायुक्त के पास जांच के लिए भेजा
-पूर्व सूचना निर्देशक शिषिर सिंह के खिलाफ लोकायुक्त और आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने की जांच आईटी करेगा
-मुख्यमंत्री के अति चहेते और दिल के करीब रहे पूर्व सूचना निदेशक ने अपने आठ साल के कार्यकाल में किया 35 अरब का घोटाला, घोटाले का गवाह बने रिटायर एमडी सिंह
-बिना आरओ के चैनल वाले को किया गया अरबों का भुगतान, नीचे से पत्रावली बनती ही नहीं थी, छोटे अखबारों के चिज्ञापन का भुगतान नहीं हो रहा
-जिन एजेंसी और चैनल वाले ने एडवांस में कमीशन दिया, उसे बिना पत्रावली के एडवांस भुगतान कर दिया जाता
-आउटसोर्सिगं वाले के हवाले कर दिया गया था, पूरा सूचना विभाग ताकि घोटाले का कोई विरोध न कर सके
-एक साजिश के तहत सारे कार्य आउटसोर्सिग एजेसियों के जरिए कराए गए प्रचार प्रसार से लेकर विज्ञापन तक सारे कार्य एजेंसी वाले करते, सारे महत्वपूर्ण पर अपने चेलों को बैठाया
बस्ती। एक चैनल रिपोर्ट के अनुसार मुख्यमंत्री के दिल के सबसे करीब आठ साल तक सूचना निदेशक रहे शिषिर सिंह पर 35 करोड़ का घोटाला करने का आरोप लगा है। यह आरोप किसी और ने नहीं बल्कि बस्ती में सहायक सूचना निदेशक के पद पर रहे डा. एमडी सिंह ने लगाया। आज से तीन माह पहले केंद्रीय वित्त विभाग को इन्होंने एक पत्र लिखा, जिसमें 35 अरब के घोटाले का जिक्र करते हुए इसकी जांच कराने की मांग की। तीन माह बाद केंद्रीय वित्त विभाग ने यूपी के लोकायुक्त को मामले की छानबीन और जांच का जिम्मा सौंपा। साथ ही आयकर विभाग को भी पूर्व सूचना निदेशक के आय से अधिक संपत्ति की जांच करने को कहा। एक चैनल को दिए गए साक्षात्कार में एमडी सिंह ने ऐसा खुलासा किया, जिससे पूरे प्रदेश में भूचाल आ गया। घोटाले का खुलासा अगर किसी अन्य विभाग का होता तो उतना शोर नहीं मचता, जितना सूचना विभाग में होने पर मचा। चूंकि घोटाला मुख्यमंत्री के अपने विभाग में हुआ तो शोर मचना ही था। नौ चरणों में चैनल को दिए गए साक्षात्कार में घोटाले की एक-एक बिंदु को विस्तार से बताया गया। कोई सोच भी नहीं सकता कि मुख्यमंत्री के विभाग में उनके सबसे प्रिय अधिकारी इतना बड़ा घोटाला भी कर सकतें हैं। मुख्यमंत्री का प्रिय विभाग होने के कारण इसका बजट हर साल बढ़ता गया, अंदाजा लगाइए कि जिस विभाग का बजट कभी दो-तीन करोड़ रहा हो वह आज 35 अरब हो गया। ऐसा भी नहीं कि इतने बड़े बजट से जनहित का कोई कार्य हुआ हो, सारा बजट मीडिया को मैनेज करने और सरकार की योजनाओं का प्रचार प्रसार करने पर खर्च हुआ। सारा घोटाला प्रचार-प्रसार करने और आउटसोर्सिग एजेंसी के जरिए किया गया। घोटाले का खुलासा न हो इसका विष्ेाश ध्यान रखा गया। अपने चेलों को आउटसोंर्सिगं के जरिए प्रभार दिया गया। बाहर के लोगों को भरकर इतना बड़े घोटाले का अंजाम दिया गया। इसके लिए कहा जा रहा है, कि पूर्व सूचना निदेशक ने अपनी प्राइवेट टीम बना रखा था। एक तरह से सूचना विभाग को प्राइवेट कंपनियों की तरह आठ साल तक चलाया गया। एक तरफ छोटे अखबार वाले विज्ञापन का भुगतान पाने के लिए तरस जा रहे हैं, और दूसरी तरह उन एजेसियों को एडवांस में करोड़ों का भुगतान कर दिया जाता रहा है, जो एडवांस में कमीशन देते थे। कहने का मतलब एडवांस दीजिए और एडवांस ले जाइए। अधिकतर उन चैनलों को भुगतान किया गया, जिन्होंने सरकार का साथ दिया। सरकार का विरोध करने वाले वैसे तो गिनती के हैं, लेकिन जो भी है, वे एक आरओ के लिए तरस गए। कहा कि अगर सरकारी कर्मियों को प्रभार दिया गया होता तो उन पर कर्मचारी आचार संहिता के उल्लघंन के आरोप में कार्रवाई हो सकती थी, इसी लिए सारे जिम्मेदार वाले पद का प्रभार आउटसांर्सिगं वाले को दिया गया, जिस पर कोई आचार संहिता लागू नहीं होता। बाहर वालों पर इतना भरोसा किया गया कि उनसेे ही कार्यो का सत्यापन भी करवाया गया। फर्जी भुगतान करने का आलम यह रहा कि भुगतान की पत्रावली ही नहीं बनती थी, और करोड़ो का भुगतान हो जाता था। टीसी बनाकर भुगतान कर दिया जाता था। विभाग के अधिकारी सारे नियम कानून को ताक पर रखकर काम करते रहे। एमडी सिंह का दावा हैं, कि नार्को और लाइ टेस्ट कराने के बाद सारे राज अपने आप ही खुल जाएगें। चैनल वालों से सबसे अधिक कमीशन लिया गया और उन्हीं को ही सबसे अधिक भुगतान भी किया गया। वैसे तो तीन दर्जन एजेंसी सूचीवद्व है, लेकिन काम सिर्फ एक दर्जन से ही लिया जाता रहा। साक्षात्कार में एमडी सिंह ने कहा कि कल्पना से परे खेल हुआ। अंदाजा तक नहीं लगाया जा सकता। कहा कि योगीजी के नाक के नीचे इतना बड़ा घोटाला हो गया और अभी तक न तो जांच हुई और न एफआईआर ही लिखवाया गया। जिस चैनल को साक्षात्कार दिया गया, उस चैनल ने इससे पहले भी सूचना विभाग के घोटाले का उजागर कर चुके है। अब आप समझ ही गए होगें कि चैनल वाले क्यों रात दिन योगी और मोदी का गुणगान गाते रहते है। इसी को कहते हैं, गोदी मीडिया का कमाल।
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