क्या दिल्ली में विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए वोटर लिस्ट में नाम होना जरूरी?

क्या दिल्ली में विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए वोटर लिस्ट में नाम होना जरूरी?

क्या दिल्ली में विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए वोटर लिस्ट में नाम होना जरूरी?           दिल्ली के किसी भी क्षेत्र में मतदाता सूची में नाम अभी तक दर्ज न होने के कारण पटपड़गंज से आप प्रत्याशी अवध ओझा का चुनाव लड़ना कानूनी दांव पेंच में फंस गया है. इसको लेकर सोमवार को आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेस को संबोधित किया है. उन्होंने दिल्ली चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल उठाए हैं. 

ऐसे में सवाल यह उठता है कि दिल्ली में विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए शर्तें क्या-क्या हैं, जिस पर खरा उतरना सभी प्रत्याशी के लिए जरूरी होता है. 

ऐसे समझें मामला 

दरअसल, भारतीय राजनीति व्यवस्था त्रिस्तरीय चुनाव के तहत संचालित है. ये स्तर हैं- केंद्र, राज्य और स्थानीय निकाय. तीनों स्तर पर राजनीतिक प्रतिनिधियों का चयन चुनाव के माध्यम से होता है. केंद्र में सरकार गठन के लिए लोकसभा चुनाव, राज्य में सरकार बनाने के लिए विधानसभा चुनाव और लोकल बॉडी के लिए जिला पंचायत चुनाव या शहरी निकाय चुनाव कराए जाते हैं. इन्हीं चुनावों के जरिए हर स्तर पर प्रतिनिधि चुने जाते हैं. 

लोकसभा चुनाव राष्ट्रीय स्तर पर होता है. यही वजह है कि लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए प्रत्याशी का भारत का नागरिक होना जरूरी है. जबकि विधानसभा का चुनाव लड़ने के लिए प्रत्याशी का भारतीय नागरिक होने के साथ संबंधित राज्य के किसी भी क्षेत्र से मतदाता सूची में नाम होना चाहिए.

अवध ओझा का मामला यहीं पर आकर फंस गया. मतदाता सूची में उनका नाम अभी तक ग्रेटर नोएडा से है. उन्होंने ग्रेटर नोएडा से वोट ट्रांसफर करने के लिए आवेदन किया था, लेकिन अंतिम तिथि को लेकर विवाद होने से उनका नाम दिल्ली के किसी क्षेत्र से मतदाता सूची में अभी तक दर्ज नहीं हो पाया है. यही वजह है कि उनकी उम्मीदवारी को लेकर सवाल उठ खड़े हुए हैं. चर्चा इस बात की है कि क्या अवध ओझा बतौर आप प्रत्याशी पटपड़गंज से चुनाव लड़ पाएंगे?             विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए क्या हैं नियम?

 किसी भी राज्य से विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए प्रत्याशी का भारतीय नागरिक होना जरूरी है.

 प्रत्याशी की न्यूनतम आयु 25 साल से कम नहीं होना चाहिए.

 मानसिसक स्तर पर उम्मीदवार का स्वस्थ होना जरूरी.

 जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के अनुसार प्रत्याशी जहां से चुनाव लडना चाहता है, उसे उस राज्य के किसी भी विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से मतदाता होना चाहिए. 

 प्रत्याशी का भारत सरकार या किसी राज्य सरकार के अधीन भारतीय संघ के मंत्री के अलावा किसी भी लाभ के पद पर नहीं होना चाहिए.

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