सूदखोरों का ब्याज चुकाते-चुकाते कर्जदार का जीवन ही समाप्त हो जाता!

सूदखोरों का ब्याज चुकाते-चुकाते कर्जदार का जीवन ही समाप्त हो जाता!

सूदखोरों का ब्याज चुकाते-चुकाते कर्जदार का जीवन ही समाप्त हो जाता!

बस्ती। वैसे पूरे जिले में भारी ब्याज पर पैसा देने का धंधा खूब फलफूल रहा है। सूदखोर इस धंधे को कमाई का सुरक्षित जरिया मान रहे है। न पुलिस का खतरा और न कोर्ट कचहरी का झंझट, करोड़पति बनने का इससे बढ़िया और क्या कारोबार हो सकता है? सवाल उठ रहा है, कि क्यों नहीं आज तक किसी सूदखोर ने पैसा वापसी न होने पर आत्महत्या किया? क्यों कर्ज लेने वाला ही आत्महत्या कर रहा है?

सूदखोरों के मकड़जाल में फंसने के बाद इससे बाहर आना किसी भी कर्जदार के लिए आसान नहीं होता, कर्जा चुकता करने के बाद भी वह पूरी तरह आजाद नहीं हो पाता, कभी उसे चेक बाउंस होने का डर दिखाकर पीड़ित किया जाता तो कभी उसे जमीन या घर के दस्तावेज वापस करने के लिए परेशान किया जाता है। कहने का मतलब इन सूदखोंरों से तभी छुटकारा मिलेगा जब जीवन समाप्त हो जाएगा, जीवन समाप्त हो जाने के बाद भी जमीन और घर का कागजात नहीं मिलेगा, गहने के मिलने की तो बात ही छोड़ दीजिए। ब्याज पर पैसा लेने वाले यह नहीं सोचते कि उन्हें आसानी से मिलने वाली या उधारी उनके लिए स्थाई सिरदर्द या मौत का कारण भी बन सकता है। चौकाने वाली बात यह हैं, कि पुलिस के पास ऐसी कोई योजना नहीं जिससे सूदखोरों से निपटा जा सके। यह भी सूदखोरों का साथ देने लगते है, ताकि मलाई काट सके। आखिर कर्जदार जाए तो जाए कहां? कौन हैं, जो उन्हें सूदखोरों से निजात दिला सके। लाखों का कर्ज करोड़ों में चुकाने के बाद भी धमकियां झेलनी पड़ती। तमाम लोग सूदखोरों से परेशान होकर या तो आत्महत्या कर लिया या फिर अज्ञातवास में चले गए। इस तरह के प्रकरण से सूदखोरी के काले कारोबार पर ही सवाल उठ रहे है। सूदखोरों के गिरफत में गरीब या मजबूर आदमी ही नहीं फंसता बल्कि कई बड़े-बड़े व्यापारी भी फंस चुके है। इन्हें रोकने में पुलिस और प्रशासन भी नाकाम रही। जरुरतमंद लोगों की मजबूरी का फायदा उठाकर सूदखोरी का अवैध कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है। ऐसे लोग जो बैंक से कर्ज नहीं ले सकते या बैंक की कागजी कोरम से बचना चाहते हैं, वही सबसे अधिक सूदखोरों के चगुंल में फंसें हुए है। ऐसे लोगों को ब्याज का कारोबार करने वाले 10-25 फीसद ब्याज पर पैसा उधार देते है। उधार में ली गई राशि का ब्याज ही इतना अधिक हो जाता है, कि कई बार मूलधन से पांच गुना चुकाने के बाद भी कर्ज तो दूर की बात ब्याज ही खत्म नहीं होता। यही वजह है, कि ब्याज चुकाते-चुकाते कर्ज लेने वाले का जीवन ही समाप्त हो जाता, और तो और कई बार तो कर्ज एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक चला जाता है। आसानी से उधार मिलने के चक्कर में कई बार सीधे-साधे लोग गुंडे से कर्ज लेकर फंस जाते है। इसके बाद कर्ज लेना वाला भले ही पूरे पैसे चुका दें, लेकिन गुंडों का आंतक समाप्त नहीं होता। व्यक्ति से मनमाफिक वसूली करते रहते हैं, सूदखोर कई बार तो कर्ज लेने वाले की संपत्ति या वाहन को भी हथिया लेते है। कई मामले ऐसे भी सामने आए जब सूदखोरों ने उनके ही घर से बेदखल कर दिया। अधिकतर सूदखोर ब्याज पर पैसा लेने वालों से ब्लैंक चेक पर हस्ताक्षर करवाकर अपने पास रख लेते है। कई बार तो कर्ज चुकाने के बाद भी चेक वापस नहीं करते। मुकदमा करने की धमकी देकर चूसते रहते है। गहने और दस्तावेज भी नहीं लौटाते। अब आप लोग समझ गए होगें कि सूदखोरों से कर्ज लेने का मतलब आत्महत्या करने के बराबर होता है। इन सूदखोरों से जितना हो सके बचिए, जमीन घर एवं गहना बेच कर अपना काम चला लीजिए लेकिन सूदखोरों के चगुंल में मत फंसिए, वरना पैसा, इज्जत और जान तीनों चली जाएगीे।

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