निकला जूता चप्पल, अध्यक्ष भागे, विधायकगण भागे, एएमए भागे, अधिकारी भागे!

निकला जूता चप्पल, अध्यक्ष भागे, विधायकगण भागे, एएमए भागे, अधिकारी भागे!

निकला जूता चप्पल, अध्यक्ष भागे, विधायकगण भागे, एएमए भागे, अधिकारी भागे!

-जब जूता चप्पल निकलने लगा तो अध्यक्ष संजय चौधरी को यह कहना पड़ा कि वह अपने सामने अधिकारी को जूता चप्पल नहीं खाने देगें


-अध्यक्ष के वादा खिलाफी और अकेले खाने की प्रवृत्ति से उग्र हुए जिला पंचायत सदस्य, जिले को होना पड़ा पूरे प्रदेश में शर्मसार


-जिसको वादा निभाना नहीं आता, उसके बाद भी अगर सदस्य भरोसा करते हैं, तो गलती अध्यक्ष की नहीं बल्कि सदस्यों की मानी जाएगी


-यह पहली बार हुआ, जब उपस्थित 34 सदस्यों में से एक भी सदस्य ने जिला पंचायत अध्यक्ष का बचाव नहीं किया, सभी ने भ्रष्टाचारी बताया

-भाजपा के प्रमुख यशंकात सिंह, अनिल दूबे, केके सिंह और अभिषेक कुमार ने भी भाजपा के अध्यक्ष के पक्ष में एक भी शब्द नहीं बोले


-अलबत्ता सपा के विधायक राजेंद्र चौधरी और कविंद्र चौधरी अवष्य भाजपा के अध्यक्ष का बचाव करते रहें, विधायक दूधराम पूरे समय तक मौन रहे

-खलीलाबाद बनते-बनते रह गया जिला पंचायत की बैठक, 16 महिला जिला पंचायत सदस्यों के सामने जिला पंचायत अध्यक्ष और एएमए को होना पड़ा अपमानित

-अध्यक्ष के वादा खिलाफी और अकेले खाने की प्रवृत्ति ने जिले को पूरे प्रदेश में होना पड़ा शर्मसार

-कार्रवाई रजिस्टर पर अडिग रहे सदस्य, क्यों कि उसी में जिला पंचायत का भ्रष्टाचार का राज छिपा हुआ, अंत तक कार्रवाई रजिस्टर सदन में नहीं लाया गया

बस्ती। जिले के प्रथम नागरिक को बैठक में अगर उसके ही सदस्यों के द्वारा अपमानित किया जाता हैं, उनकी मौजूदगी में सदस्य जूता चप्पल निकालते हैं, गालियों की बौझार करते हैं, की चोर और बेईमान तक कहते हैं, तो ऐसे जिला पंचायत अध्यक्ष को एक मिनट देरी किए बिना त्वरित यहि कहकर इस्तीफा दे देना चाहिए था, मेरा कार्यकाल पूरा हो चुका और हम्हें जो करना था, हमने कर दिया, अब आप लोग गिल्लम चौधरी को अध्यक्ष बना दिजिए, से पद की गरिमा भी रह जाती और सदन अपमानित होने से बच जाता। मीडिया बार-बार कहती और सुझाव देती आ रही है, कि जो अध्यक्ष सदस्यों को बार-बार धोखा देता आ रहा हो, अगर सदस्य ऐसे अध्यक्ष पर भरोसा करते हैं, तो गलती अध्यक्ष की नहीं बल्कि सदस्यों की मानी जाएगी। सदस्यों को यह सोचना चाहिए कि जो अध्यक्ष उन लोगों का नहीं हो सका, जिन लोगों ने इन्हें कुर्सी पर बैठाया, वह सदस्यों का कैसे हो सकता हैं? वादा खिलाफी और धोखा देना कोई अध्यक्ष से सीखे। इन्हें अच्छी तरह मालूम था, कि 15 फरवरी को होने वाली जिला पंचायत बोर्ड की बैठक हंगामेदार होगी। इसका सबसे बड़ा कारण इनके द्वारा सदस्यों को काम का दिए गए वादे से मुकर जाना। बैठक में हंगामा करने की रणनीति पहले से ही बन गई थी। इसकी तैयारी भी उसी हिसाब से की गई थी। लोगों को इस बात की हैेरानी हो रही थी, कि सदस्य बार-बार क्यों पलटी मारते हैं, यह लोग कभी अध्यक्ष के साथ हो जाते हैं, तो कभी उनके विरोध में उतर आतें हेै। आखिर यह लोग चाहते क्या हैं? कभी तो उखाड़ फेकने की बाते करते हैं, और कभी स्वंय जाकर इनका समर्थन करते है। सदस्यों के बिकने और पल्टी मारने की कमजोरी को अध्यक्ष अभी तक इस्तेमाल करते आ रहें है। गलती इस्तेमाल करने वाले की नहीं बल्कि इस्तेमाल होने वालों की मानी जाएगी। जिस दिन सदस्यों को यह बात समझ में आ जाएगी कि वह लोग 43 हैं, और अध्यक्ष अकेले हैं, तो षायद कभी भी अध्यक्ष सदस्यों का हक मारने और उनके साथ वादाखिलाफी करने की नहीं सोचेंगे। दिक्क्त यह हैं, कि सदस्यों को तब गुस्सा आता हैं, और अध्यक्ष सबसे बड़ा भ्रष्टाचारी तब दिखाई देता हैं, जब इन लोगों का हित टकराता है। कहना गलत नहीं होगा, कि ना तो अध्यक्ष को कुर्सी पर बैठाने वालों ने और ना ही सदस्यों ने जनहित के बारे में कभी सोचा, सभी ने अपने फायदे के लिए इनका साथ दिया। अगर क्षेत्र हित और जनहित के बारे में सोचे होते तो आज जूता चप्पल निकालने की नौबत नहीं आती, और ना ही अध्यक्ष यह कहते कि सदन चले या ना चले लेकिन मेरे रहते कोई अधिकारी जूता चप्पल से मार नहीं खा सकता। जूता चप्पल निकाल नेना ही बहुत बड़ी बात हैं, अगर कहीं एक चप्पल चल जाता तो पता नही  क्या हो जाता? असल में सदस्यों ने कभी भी अपनी ताकत का ठीक से आंकलन ही नहीं किया, वरना एक सदस्य, 43 सदस्यों को पिछले चार सालों से अपनी उंगली पर ना नचातें। यह भी सही हैं, कि जिले के प्रथम नागरिक की अकेले खाने और धोखा देने की प्रवृत्ति के चलते आज जिले को पूरे प्रदेश में शर्मसार होना पड़ा। बैठक में अनेक जिला स्तर के अधिकारी भी मौजूद रहे हैं, अगर इनके सामने जिले की दिशा के बाद सबसे बड़ी सदन में भ्रष्टाचार को लेकर इस तरह का हंगामा देखने को मिलेगा तो जाहिर सी बात हैं, उनका भी मनोबल बढ़ेगा। इस बैठक में सीएमओ भी मौजूद रहे। यह तो गनीमत रहा कि जिला खलीलाबाद बनते-बनते रह गया, सिर्फ जूता चप्पल ही निकला, अगर कहीं चल जाता तो खलीलाबाद वाली कहानी दोहराई जाती। कहने का मतलब जिसने जूता चप्पल निकालकर मारने की बात कहीं और जिसके लिए कही गई, दोनों को ईमानदार नहीं कहा जा सकता है। यह पहली बार हुआ, जब उपस्थित 34 सदस्यों में से एक भी सदस्य ने जिला पंचायत अध्यक्ष का बचाव नहीं किया, सभी ने विरोध किया, यहां तक कि भाजपा के ब्लॉक प्रमुख यशंकात सिंह, अनिल दूबे, केके सिंह और अभिषेक कुमार ने भी भाजपा के अध्यक्ष के पक्ष में एक भी शब्द नहीं बोले, इससे पता चलता हैं, कि भाजपा वाले भी इनकी कार्यशैली से कितना नाराज है। इन लोगों ने भले ही नहीं अपने अध्यख का बचाव किया लेकिन सपा के विधायक राजेंद्र चौधरी और कविंद्र चौधरी अवष्य भाजपा के अध्यक्ष का बचाव करते रहें, विधायक दूधराम पूरे समय तक मौन रहे। 16 महिला जिला पंचायत सदस्यों के सामने जिला पंचायत अध्यक्ष और एएमए को जिस तरह अपमानित होना  पड़ा, उसे लेकर महिलांए भी हैरान रही। कुछ महिलाओं ने कहा कि अगर अध्यक्ष अकेले ना खाते तो यह नौबत नहीं आती। सदस्य कार्रवाई रजिस्टर सामने लाने और कार्रवाई लिखने पर अडिग रहे, यह जानते हुए भी कि कार्रवाई रजिस्टर में ही जिला पंचायत के भ्रष्टाचार का राज छिपा हुआ, मांगते रहे, अंत तक कार्रवाई रजिस्टर सदस्यों के सामने नहीं लाया गया, कहा गया कि हम सदस्यों को पिछले चार सालों से यही कहा जा रहा है, कि बाद में कार्रवाई रजिस्टर दिखा दिया जाएगा, लेकिन आज तक कार्रवाई रजिस्टर को नहीं दिखाया गया और ना ही सामने लाया गया। जब इसे लेकर हंगामा होने लगा तो एक-एक करके सभी भाग खड़े हुए। जिस तरह भाजपा के अध्यक्ष का बचाव सपा के विधायक राजेंद्र चौधरी और कविंद्र चौधरी ने किया, उसे देख हैरानी हुई, एक तरह से एएमए का कार्य सपा विधायक राजेंद्र चौधरी ने किया। देखा जाए एएमए ने आग में घी डालने का काम किया। जिला पंचायत के अब तक इतिहास रहा कि बैठक का संचालन एएमए की करते आए, लेकिन यह पहला मौका हैं, जब संचालन सहायक अभियंता को करना पड़ा। एएमए की हठधर्मिता और अंहकारी प्रवृत्ति ने मामले को इतना गंभीर बना दिया कि सदस्यों को जूता चप्पल तक निकालना पड़ा। सदस्यों ने इन्हें हटाने की भी मांग की है। लगभग 22 मिनट तक गालियों कर बौझार और जूता चप्पल से मारने की बातें ही होती रही। किसी भी भाजपा के जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए इससे बड़ी शर्म की और क्या बात होगी, कि उनके पार्टी का एक भी सदस्य उनके बचाव में सामने नहीं आया, आए भी तो सपा के। यह बैठक दो-तीन मामलों में हमेशा याद किया जाएगा, पहला गाली गलौज, जूता चप्पल निकलना और एएमए के स्थान पर सहायक अभियंता का संचालन करना। यह बैठक नई परम्पराओं के कारण भी जाना जाएगा। सहायक अभियंता को बीच बचाव करने के लिए सबसे अधिक मेहनत करनी पड़ी। वह भी एएमए विजय प्रकाश वर्मा के कारण। गिल्लम चौधरी ने कहा कि जब पुरानी कार्रवाई की पुष्टि ही नहीं हुई तो नई की कैसे होगी। कहा कि इन लोगों ने मिलकर पहले जिला पंचायत भवन का नवीनीकरण कराने में 40-50 लाख खर्चा किया, और अभी कुछ दिन बीता भी नहीं था, अच्छे खासे भवन को 11 लाख में तोड़ दिया, और अब नये भवन के लिए एक करोड़ खर्च करने जा रहे है। बताया कि जिस तरह जिला पंचायत में लूट मची हुई हैं, उस तरह जिले के किसी भी विभाग में नहीं मची।

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