निकल गई एमआईएस की सारी हेकड़ी, बन गए भीगी बिल्ली, कोई नेता काम नहीं आया!

निकल गई एमआईएस की सारी हेकड़ी, बन गए भीगी बिल्ली, कोई नेता काम नहीं आया!

निकल गई एमआईएस की सारी हेकड़ी, बन गए भीगी बिल्ली, कोई नेता काम नहीं आया!

-गौर बीआरसी क्षेत्र के गुरुजी से पंगा लेना एमआईएस शेलेष कुमार अग्रहरि को मंहगा पड़ा

-गुरुजी लोगों के विरोध के चलते बीएसए इनका आईडी और पासवर्ड वापस लिया, गौर बीआरसी पर जाने की लगाई रोक

-बीएसए ने उन हजारों गुरुजी लोगों का वेतन बहाल करने का भी आदेश दिया, जिनका वेतन किन्हीं कारणों से रुका हुआ था, इसे लेकर जिलाध्यक्ष उदयभान शुक्ल की अगुवाई में एक प्रतिनिधि मंडल बीएसए से मिला

-कल तक जो अपने आपको हरीष द्विवेदी, महेश शुक्ल और विवेकानंद मिश्र का फोटो दिखाकर गुरुजी लोगों को प्रताड़ित कर रहा था, आज भीखी बिल्ली बने घूम रहंे

-गुरुजी लोग अगर यही विरोध दो साल पहले किए होते तो ना जाने कितने गुरुजी प्रताड़ित और रोने से बच जाती

बस्ती। गौर बीआरसी के आउटसोर्सिगं वाले एमआईएस शेलेष कुमार अग्रहरि उन लोगों के लिए एक सबक हैं, जो नेताओं के दम पर नौकरी कर रहे है। नेताओं के दम पर नौकरी करने वाले यह भूल जाते हैं, कि नेता आज हैं, कल नहीं रहेगें, लेकिन गुरुजी और बीएसए वहीं रहेगें, जहां पर आज वह विराजमान है। 14-15 हजार का मानदेय पाने वाला एमआईएस अगर एक लाख का वेतन पाने वाले सरकारी गुरुजी को दिषा-निर्देश और उन्हें प्रताड़ित करेगें तो उनका हर्ष वही होगा, जो आज गौर के एमआईएस का हुआ। अगर इनका व्यवहार और आचरण गुरुजी लोगों के प्रति अच्छा होता तो आज इन्हें बदनामी ना झेलनी पड़ती। जिस एमआईएस का व्यवहार महिला शिक्षकों के प्रति अच्छा ना हो और जो महिलाओं की इज्जत करना ना जानता हो, उसके साथ वही होना चाहिए जो बीएसए ने किया। गुरुजी लोगों ने एमआईएस के घमंड को एक तरह से चकनाचूर कर दिया। अगर इन्हें वाकई एक अच्छा इंसान बनना है, तो सबसे पहले इन्हें गुरुजी लोगों की इज्जत करनी सीखनी होगी, महिला शिक्षकों का सम्मान करना सीखना होगा। वरना अब यह अधिक दिन तक नौकरी नहीं कर पाएगें, क्यों कि जिन नेताओं के बल पर यह अभी तक नौकरी कर रहे थे, और यह कह रहे थे, कि जानते नहीं मैं कितना पावरफुल हूं, चाहूं तो मिनटों में निलंबित करवा सकता हूं। जो एमआईएस अपने बास को नेताओं से अपमानित करवा सकता हैं, उसे आज समझ में आ गया होगा कि बास तो बास ही होता है, और नेता-नेता होता, वह कभी बास की जगह नहीं ले सकता। ऐसे लोगों को जब तक 10-15 हजार की नौकरी नहीं मिलती, तब तक यह बहुत अच्छे होते हैं, लेकिन जैसे ही इन्हें नौकरी मिल जाती है, यह अपने आपको भी भूल जाते है। यह भी सही है, कि इन्हें जो आउटसोर्सिगं की नौकरी मिली होगी, वह उन नेताओं के दम पर मिली होगी, जिसके दम पर यह गुरुजी लोगों को अपमानित करते थे। यह तो गौर के गुरुजी लोगों की भलमानस रही वरना आज यह किसी नेता के आगे पीछे घूमते हुए मिलते। आरएसएस के एक बड़े सेवक ने कहा कि कोई भी आरएसएस का सेवक इस तरह का व्यवहार नहीं कर सकता, वह भूखों मर जाएगा, लेकिन आचरण और व्यवहार पर कभी दाग नहीं लगने देगा। गौर बीआरसी के एमआईएस की उतनी गलती नहीं मानी जाएगी, जितनी उन सैकड़ों गुरुजी लोगों की मानी जाएगी, जो अभी तक ना जाने क्यों अपमान सहन करते रहे। गुरुजी लोग जब बीएसए की दादागिरी बर्दास्त नहीं कर सकते तो इन लोगों के सामने एक एमआईएस कि क्या हैसियत। बीएसए अनूप कुमार तिवारी के द्वारा जो कार्रवाई एमआईएस के खिलाफ की गई, उससे गौर बीआरसी के लगभग सभी लोग खुष हैं, और वह इसके लिए अपने नेता उदयभान शुक्ल और बीएसए को धन्यवाद दे रहे है। एमआईएस का बीएसए के द्वारा आईडी और पासवर्ड लेकर दूसरे को देना और बीआरसी पर जाने पर रोक लगाने से यह साबित होता हैं, कि विभाग के लोग इनके व्यवहार से कितना दुखी और पीड़ित रहे होगंे।


शिक्षक नेता उदयभान षुक्ल की अगुवाई में शुक्रवार को एक प्रतिनिधि मंडल बीएसए से मिला और उनसे एमआईएस के खिलाफ कार्रवाई करने और हजारों शिक्षकों का आईडी फिडिगं में शिथिलता बरतने पर रुके वेतन को निर्गत कराने की मांग की। इस पर उन्होंने त्वरित सबसे पहले एमआईएस पर कार्रवाई किया और उसके बाद वेतन बहाली का आदेश दिया। कहा गया कि जूनियर हाईस्कूल के हेडमास्टर के खाते से 800 रुपया टेबलेट डाटा क्रयकरने के लिए खाते से काट लिया गया, जबकि टेबलेट दिया ही नहीं गया। धनराशि को वापस कराने का आष्वासन बीएसए ने दिया। इस मौके पर अखिलेश मिश्र, महेश कुमार, राजकुमार सिंह, रीता शुक्ला, चंद्रभान चौरसिया, भैया राम, देवेंद्र वर्मा, राम भरत वर्मा, विनोद यादव, नरेंद्र दुबे, गौतम, अनूप कुमार चौधरी और दिनेश वर्मा सहित अनेक शिक्षक मौजूद रहे।

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