फर्जी पटटा कर देश के सबसे अमीर बने हर्रैया के दो लेखपाल
- Posted By: Tejyug News LIVE
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- Updated: 18 January, 2025 16:31
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फर्जी पटटा कर देश के सबसे अमीर बने हर्रैया के दो लेखपाल
-ना पत्रावली और ना किसी अधिकारी का आदेश, फिर भी कर दिया, 3200 बीघा जमीन का 600 लोगों के नाम पटटा, सभी पटटा पत्रावली को गायब कर दिया
-सरकारी जमीन बस्ती जिले की और फर्जी आदेश अयोध्या के सहायक अभिलेख अधिकारी का बनाया
-रिटायर काशी प्रसाद गुप्त और विजय कुमार लेखपाल ने मिलकर फर्जी पटटा करके इतना पैसा कमाया, जितना चारों तहसीलों के एसडीएम, तहसीलदार, नायबतहसीलदार और राजस्व निरीक्षक ने पिछले 20 साल में भी नहीं कमाया होगा
-एक ने 300 तो दूसरे ने 250 से अधिक फर्जी पटटा किया, ऐसे लोगों के नाम पटटा किया, जो सीतारामपुर ग्राम पंचायत के निवासी ही नहीं, गोंडा और अयोध्या जनपदों के लोगों के नाम पटटा किया
-किसी से एक पटटा करने का दस लाख तो किसी से पांच लाख लिया, सभी की दाखिल खारिज भी करवा दिया, आनलाइन खतौनी के बजाए हाथ से लिखा खतौनी जारी कर दिया
-दोनों लेखपालों ने मिलकर अयोध्या और बस्ती बार्डर की इस कीमती जमीन का पटटा कैंप लगाकर किया, अधिकांश पटटा प्रापर्टी डीलर को किया
-इन दोनों लेखपालों ने बस्ती के अंतिम गांव सीतारामपुर की सरकारी जमीनों को अरबों रुपये में बेचा
-यह मामला बस्ती और अयोध्या मंडल के कमिशनर और दोनों जनपदों के डीएम के संज्ञान में भी, जांच को कमेटी भी बनी
-सरकारी जमीनों को भूमाफिया और दलालों के चंगुल से छुड़ाने के लिए सीतारामपुर के पूर्व प्रधान सुंदेष्वर प्रसाद मिश्र को चुप रहने के लिए 50 लाख नकद और 25 पटटा का आफर भी दिया गया
बस्ती। क्या आप लोगों को मालूम हैं, कि आप के जिले में काशी प्रसाद गुप्त और विजय कुमार नामक हर्रैया के दो ऐसे लेखपाल हैं, जिनकी गिनतीे जिले और प्रदेश में ही नहीं बल्कि देश के सबसे अमीर लेखपालों में होती हैं। इनमें काशी प्रसाद 24 के अप्रैल में रिटायर हो चुके हैं, और दूसरा अभी कार्यरत है। इन दोनों ने मिलकर विक्रमजोत ब्लॉक के जिले के सबसे अंंितम गांव सीतारामपुर की 3200 बीघा सरकारी जमीन का लगभग 500 से अधिक लोगों के नाम फर्जी पटटा कर दिया। एक-एक पटआ का पांच से दस लाख लिया। उसका अमलदरामद भी करा दिया, मंहगे दोमों में जमीनंे बेची भी जा रही है। हैरान करने वाली बात यह है, यह सभी फर्जी पटटाधारक सीतारामपुर के नहीं बल्कि गोंडा और अयोध्या के लोग हैं। इन दोंनों ने दलालों के साथ मिलकर अनेक प्रापर्टी डीलर के नाम एक तरह से अरबों की जमीन को बेच दिया। एक-एक पटटे को पांच से दस लाख में लेखपालों ने बेचा। चूंकि यह गांव अयोध्या और बस्ती के बार्डर का है, इस लिए यहां की जमीनों की कीमत एक बीघा की लगभग पांच से दस करोड़ से अधिक है। इन दोनों लेखपालों की कमाई का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता हैं, कि फर्जीवाड़े का विरोध करने वाले इसी गांव के पूर्व प्रधान सुदरेष्वर प्रसाद मिश्र को चुप रहने की कीमत 50 लाख नकद और करोड़ों रुपये के 25 पटटा करने का आफर दिया जा चुका है। विरोध करने पर प्रेम कुमार सिंह उर्फ अलीट सिंह,, अरुण निषाद, मारकंडेय, बहादुर, राजकिशोर निवासी छतौना के द्वारा पूर्व प्रधान और उनके बेटे को जान से मार डालने की धमकी भी दी जा चुकी हैं, कहा कि अगर मांझा की राजनीति करनी है, तो विरोध करना बंद करो, अगर नहीं किया तो रात में किसी भी समय खोजकर पिता-पुत्र दोनों को जान से मार डालेंगे। लिखा कि यहां के निषाद बड़े पैमाने पर कच्ची शराब का कारोबार करते हैं, और पैसे वाले है। इसकी शिकायत एसपी से करते हुए एफआईआर दर्ज कराने की मांग की गई। डीएम/जिला रिकार्ड अधिकारी को लिखे पत्र में कहा गया कि ग्राम सीतारामपुर मांझा तहत रिकार्ड आपरेशन कई सालों से हैं, मुकदमा की सुनवाई में कई फर्जी काल्पनिक पटटे को अमलदरामद खतौनी पर अनुचित लाभ लेकर कर दिया गया था, जिसे एसडीएम ने निरस्त कर दिया था, लेकिन पुनः सर्वे लेखपाल विजय कुमार एवं रिटायर लेखपाल काशी प्रसाद दोनों ने एक साजिश के तहत भूमाफिया से लाखों रुपया लिया और काल्पनिक पटटा का हवाला देकर बैकडेट में पटटा की तारीख दिखाकर खतौनी पर फर्जी अमलदरामद कर दिया। पत्र में फर्जी अमलदरामद को निरस्त करने के साथ दंडात्मक कार्रवाई करने की मांग की। इस पर डीएम ने एसडीएम हर्रैया को सात दिन में रिपोर्ट भेजने को कहा, इसी परिप्रेक्ष्य में एसडीएम ने सात सदस्यीय टीम का गठन किया, टीम ने अपनी रिपोर्ट सीआरओ को सौंप दी है। उधर सुदेष्वर प्रसाद मिश्र और इनके पुत्र वेद प्रकाश मिश्र ने मुख्यमंत्री को लिखा कि सीतारामपुर, बस्ती का सीमा क्षेत्र सरजू नदी के दक्षिण अयोध्या जनपद से सटा हुआ है। जिसके चलते यहां की जमीने काफी कीमती हो गई है। मौजा, उक्त रिकार्ड आपरेशन अयोध्या में है। रिकार्ड आपरेषन गांव के पूर्व लेखपाल काशीप्रसाद गुप्त एवं वर्तमान लेखपाल विजय कुमार दोनों भूमाफिया से मिलकर फर्जी एंटीडेटेड खतौनी में पटटा अमलदरामद किया। जांचोपरांत 150 फर्जी पटटा निरस्त भी हो चुका है। चुनचुन कर पुनः फर्जी पटटा अमलदरामद खतौनी पर किया गया। लिखा कि वह इस गांव में 20 साल तक प्रधान रहा। कहा कि हर्रैया तहसील का रेगुलर लेखपाल कृष्णमुरारी भी फर्जीवाड़े में शामिल है। यह भी दिसंबर में रिटायर हो चुके है। जो फर्जी प्रपत्र 6 बनाकर फर्जी अमलदरामद में योगदान दे रहे है। लिखा कि वर्तमान प्रधान अगर कोई पटटा किया है, उसकी भी जांच आवष्यक है। इस गांव का जिले पर कोई भी अभिलेख उपलब्ध नहीं है। लिखा कि सीतारामपुर मांझा की खतौनी पर जरिए आपरेशन के लेखपाल के द्वारा फर्जी अमलदरामद खतौनी पर की गई है। उसे निरस्त करना भी जरुरी हैं, दोषियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने की मांग पिता-पुत्र दोनों ने की है। अब आप समझ गए होगें कि यूंही नहीं हर्रैया तहसील क्षेत्र को राजस्व अधिकारियों और कर्मियों के लिए स्वर्ग कहा जाता है। रिपोर्टर ने मांगा सुविधा शुल्क, एसडीएम भी जिम्मेदार
अगर किसी तहसील में फर्जी पटटा होता हैं, या फिर सरकारी जमीनों को लेखपाल की मिली भगत से भूमाफियों के नाम होता है, तो इसके लिए एसडीएम और उनकी टीम को ही जिम्मेदार माना जाएगा। हर्रैया तहसील में अरबों रुपये का फर्जी पटटा दो लेखपाल मिलकर कर देते हैं, और तहसील प्रशासन देखता रहता है। इनसे अधिक जिम्मेदारी तो सीतारामपुर के सुदेंष्वर और उनका पुत्र वेद प्रकाश मिश्र निभा रहा हैं, जो कम से कम सरकारी जमीन की लड़ाई तो लड़ रहे हैं। यह दोनों पिता-पुत्र जिस तरह जान की परवाह किए बिना भूमाफियों से लड़ रहे हैं, उसके लिए यह दोनों बधाई के पात्र है। हर्रैया के मीडिया और संभ्रात लोगों को भी ऐसे लोगों के मदद के लिए आगे आना चाहिए। इन दोनों की शिकायत हर्रैया के चैनल वाले रिपोर्टर से भी है। इनका कहना हैं, जब हमने यहां के कुछ रिपोर्टर से कहा कि आप लोग हमारी लड़ाई में मदद करिए, पर कहने लगे कि हम लोग तभी मदद करेगें जब हम लोगों को सुविधा शुल्क मिलेगा। एक तरह से दोनों भ्रष्ट लेखपालों, भूमाफियों एवं पत्रकारों में कोई फर्क नहीं रह गया।
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