Chhathi Maiya: छठी मैया कौन है, छठ पर्व में क्यों होती है पूजा, यहां जानिए पूरी कहानी
- Posted By: Tejyug News LIVE
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- Updated: 7 November, 2024 10:49
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Chhathi Maiya: छठी मैया कौन है, छठ पर्व में क्यों होती है पूजा, यहां जानिए पूरी कहानी
Chhathi Maiya Puja: छठ (Chhath) महापर्व चल रहा है और घर से लेकर घाट तक चारों ओर छठी मैया के गीत सुनाई दे रहे हैं. मान्यता है कि संतान की रक्षा के लिए इनकी पूजा होती है. जानें आखिर छठी मैया कौन हैं?
Chhathi Maiya Puja: छठ महापर्व की शुरुआत हो चुकी है और चारों ओर माहौल छठमय हो चुका है. छठ में सूर्य उपासना के साथ ही छठी मैया की पूजा का भी विधान है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर छठी मैया कौन हैं और छठ में इनकी पूजा करने के पीछ का क्या कारण है.
देवी षष्ठी को लोकभाषा में छठी मैया कहा जाता है. ये ऋषि कश्यप और अदिति की मानस पुत्री के रूप में जानी जाती हैं. साथ ही यह सूर्य देव की बहन भी है. इनका एक नाम देवसेना भी है. ऐसी मान्यता है कि देवी षष्ठी संतान की रक्षा करती हैं. सूर्य देव (Surya Dev) की कृपा पाने और इन्हीं माता को प्रसन्न करने के लिए छठ का कठिन व्रत किया जाता है.
पौराणिक कथाओं में देवी षष्ठी को ब्रह्मदेव की मानस पुत्री के रूप में भी दर्शाया गया है. पौराणिक मान्यता के अनुसार, जब ब्रह्मदेव ने पृथ्वी के साथ प्रकृति का निर्माण किया तो देवी प्रकृति ने स्वयं को छह रूपों में विभाजित किया. पृथ्वी के विभाजित छठ रूपों के छठे अंश को ही छठी मैया कहा जाता है. कहा जाता है कि छठ पूजा में इनकी पूजा करने से मां प्रसन्न होकर साधक को संतान को सुख और आरोग्यता का आशीर्वाद देती है.
छठी मैया की कथा (Chhathi Maiya Katha in Hindi)
पौराणिक कथाओं के मुताबिक, प्रियंवद नामक राजा सभी चीजों से संपन्न था, लेकिन संतान न होने के कारण वह दुखी रहता था. संतान प्राप्ति की कामना के लिए महर्षि कश्यप ने पुत्रेष्टि यज्ञ कराया. महर्षि ने राजा और उसकी पत्नी को यज्ञ की आहूति के लिए बनाई खीर खाने को दी, जिसके बाद रानी मालिनी गर्भवती हुई और उसे पुत्र की प्राप्ति हुई.
लेकिन नवजात मरा हुआ पैदा हुआ, जिसके बाद राजा और भी दुखी हो गया. राजा प्रियंवद जब नवजात पुत्र के शरीर को लेकर श्मशान पहुंचे और पुत्र के साथ अपने प्राण भी त्यागने लगे, तभी अचानक वहां एक देवी प्रकट हुई.
देवी ने कहा मैं ब्रह्मदेव की मानस पुत्री देवसेना हूं. प्रकृति के छठे अंश से प्रकट होने के कारण मैं देवी षष्ठी (Devi Shasthi) कहलाती हूं. देवी ने राजा से कहा- हे राजन! तुम मेरी पूजा करो और दूसरों को भी मेरी पूजा के लिए प्रेरित करो. इससे तुम्हें स्वस्थ पुत्र की प्राप्ति होगी.
इसके बाद राजा ने व्रत रखकर षष्ठी देवी की पूजा की और राजा को एक सुंदर-स्वस्थ पुत्र की प्राप्ति हुई. कहा जाता है कि इस बाद से ही छठ पूजा के प्रचलन की शुरुआत हुई.
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