ऐन मौके पर सिजेरियन के लिए बोल रहा है डॉक्टर तो तुरंत करें ये काम, नहीं होगी परेशानी

ऐन मौके पर सिजेरियन के लिए बोल रहा है डॉक्टर तो तुरंत करें ये काम, नहीं होगी परेशानी

ऐन मौके पर सिजेरियन के लिए बोल रहा है डॉक्टर तो तुरंत करें ये काम, नहीं होगी परेशानी

महिलाओं के साथ ऐसा होता है कि डॉक्टर शुरू से नॉर्मल डिलीवरी की बात करते हैं लेकिन ऐन मौके पर सिजेरिययन डिलीवरी का फैसला लेते हैं.

घर के बड़े-बुजुर्ग अक्सर कहते हैं कि नॉर्मस डिलीवरी महिला और बच्चे दोनों के लिए बहुत अच्छा होता है. नॉर्मल डिलीवरी में महिला का शरीर जल्दी रिकवर हो जाता है. लेकिन सिजेरियन में कई तरह की परेशानी होती है. लेकिन कहते हैं हर बार जो आप सोचते हैं वैसा हो यह मुमकिन नहीं होता है. कई महिलाओं के साथ ऐसा होता है कि डॉक्टर शुरू से नॉर्मल डिलीवरी की बात करते हैं लेकिन ऐन मौके पर सिजेरिययन डिलीवरी का फैसला लेते हैं. आज हम इस आर्टिकल में विस्तार से जानेंगे कि आखिर किन कारणों से डॉक्टर को यह फैसला लेना पड़ता है. 

किन परिस्थितियों में डॉक्टर को लेना पड़ता है ये फैसला

दरअसल, जब गर्भ में पल रहे बच्चे और मां को किसी भी तरह का खतरा होता है तो डॉक्टर यह फैसला लेते हैं कि सिजेरियन ऑपरेशन के जरिए ही बच्चा को बाहर निकालना पड़ेगा. इस स्थिति में एमरजेंसी में सिजरेयिन ऑपरेशन का फैसला लेना पड़ता है. कई बार यह बहुत जल्दी में फैसला किया जाता है. कई बार ऐसा भी होता है कि डॉक्टरों के पास इसके अलावा कोई विकल्प भी नहीं होता है. 

जब नॉर्मल के जरिए बच्चा बाहर निकलता है तो शरीर जल्दी रिकवर करता है. 5 में से लगभग 2 महिला का अचानक सिजरेयिन की सलाह दी जाती है. जिसे एमरजेंसी सिजेरियन कहा जाता है. इसमें शिशु के लिए खतरा नहीं है. जब मां और बच्चे दोनों के लिए कुछ खतरा होता है तब यह सलाह दी जाती है. इसमें कॉम्प्लिकेशन होते हैं जैसे काफी ज्यादा ब्लीडिंग और  गंभीर प्री-क्‍लेंप्सिया. इसमें एमेरजेंसी सिजेरियन का फैसला लेना पड़ सकता है. 

हेल्थलाइन के मुताबिक एमरजेंसी में सी-सेक्शन में मां और बच्चे के स्वास्थ्य का जोखिम रहता है. नॉर्मल डिलीवरी करवाने से पहले सी-सेक्शन का फैसला लिया जाता है. डिलीवरी करवाने के 30 मिनट से पहले सी-सेक्शन का फैसला किया जाता है. यानि डिलवरी करवाने के 30 मिनट के अंदर यह फैसला लिया जाता है कि बच्चे को किस तरीके से गर्भ से बाहर निकालना है. 

सिजेरियन ऑपरेशन में लगभग से 30 से 60 मिनट का वक्त लगता है. हालांकि बेबी के साथ मैटरनिटी वार्ड में बेबी के साथ लौटने  में घंटे लग सकते हैं. एमरजेंसी की स्थिति एपिड्यूरल या स्‍पाइनल ब्‍लॉक का समय नहीं मिलता है. ऐसी स्थिति में जनरल एनेस्थीसिया दी जाती है. 

खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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