योगीजी चिल्लाते रहिए, डीएलए और डीआई सुनने वाले नहीं!

योगीजी चिल्लाते रहिए, डीएलए और डीआई सुनने वाले नहीं!

योगीजी चिल्लाते रहिए, डीएलए और डीआई सुनने वाले नहीं!

-सीएम के चाहने से क्या होगा जब तक डीएलए और डीआई नहीं चाहेगें तक तक न नकली दवाएं बननी बंद होगा और न कारोबार ही रुकेगा

-जब औषधि आयुक्त और डीएलए जनता के फोन का जबाव नहीं देगें, उनसे मिलेंगे नही ंतब तक कैसे गोपनीय सूचना मिलेगी

बस्ती। मुख्यमंत्री तो चाहते हैं, कि प्रदेश में खाद्य पदार्थो में मिलावट और नकली दवाओं के बनने और उसका कारोबार समाप्त हो, लेकिन जब तक एफएसडीए के लोग नहीं चाहेंगे कैसे समाप्त होगा? इस सवाल को योगीजी ने यूंही नहीं उठाया, और यूंही नहीं इसे सामाजिक अपराध बताया। सीएम ने जोर देकर कहा कि नकली दवाओं के नेटवर्क और इस गंभीर अपराध में षामिल व्यक्तियों के खिलाफ न सिर्फ कड़ी कार्रवाई की जाए बल्कि उन्हें चिन्हिृत करके उनका फोटो सार्वजनिक स्थानों पर चस्पा किया जाए, ताकि ऐसे अपराधियों को जनता पहचान सके, जो पैसे के लिए नकली दवाओं का कारोबार करते है। कारोबार में वह नर्सिगं होम के मालिक और मेडिकल स्टोर्स के संचालक भी आते हैं, जिनके मेडिकल स्टोर से नकली दवाएं बेची जाती है। जाहिर सी बात है, कि जब तक डाक्टर नकली दवा लिखेगा नही ंतब तक मेडिकल स्टोर वाला बेचेगा नहीं। अगर ऐसे लोगों का फोटो लगने लगे, तो पूरा शहर फोटो से ही पट जाएगा। क्यों कि इस कारोबार में एक दो नहीं बल्कि असंख्य नर्सिगं होम और मेडिकल स्टोर्स सामाजिक अपराध कर रहे है। मुख्यमंत्री ने सबसे अधिक जोर नकली दवाओं के नेटवर्क को समाप्त करने पर दिया, देखना है, कि मीटिगं से वापस आने के बाद डीएलए और डीआई पर सीएम के फरमान का कितना असर पड़ेगा। असर इस लिए नहीं पड़ेगा क्यों कि यह लोग खुद नकली दवाओं का कारोबार करने वालों के नेटवर्क का हिस्सा जो होते है। नेटवर्क भी इतना मजबूत होता है, कि उसे भेद पाना आसान नहीं होता। जब तक डीएलए और डीआई ईमानदारी नहीं दिखाएगें तब तक बस्ती सहित अन्य जनपदों से नकली दवाओं का कारोबार समाप्त नहीं हो सकता, कारोबार समाप्त होने का मतलब डीएलए और डीआई का भोजन पानी बंद होना। इस लिए यह कभी नहीं चाहेगें कि नेटवर्क समाप्त हो। आयुक्त औषधि को भी जनता से जुड़ना होगा, नहीं तो उन्हें कोई गोपनीय जानकारी नहीं मिल पाएगी। दो दिन से मीडिया आयुक्त से बात करने और उन्हें गोपनीय जानकारी देने का का प्रयास कर रही है, लेकिन रिस्पांस ही नहीं मिल रहा है। अगर आयुक्त औषधि का ऐसा रर्वैया रहेगा तो डीएलए और डीआई का कैसा होगा, इसे आसानी से समझा जा सकता है। नकली दवाओं का नेटवर्क तभी समाप्त होगा, जब आयुक्त, डीएलए और डीआई का नेटवर्क मजबूत होगा, और यह मजबूती सिर्फ एक आम आदमी की गोपनीय सूचना ही दे सकती है। दवा संघ के पदाधिकारियों को भी अपनी भूमिका ईमानदारी से निभानी होगी, नकली दवाओं का कारोगार करने वालों का साथ देने के बजाए इन्हें नकली दवाओं का कारोबार करने वाले नेटवर्क को समाप्त करने में योगीजी का सहयोग करना चाहिए। रही बात मीडिया कि तो इन्हें भी अपने पेशे के प्रति ईमानदारी दिखानी होगी। क्यों कि आज भी आम जनता मीडिया पर ही सबसे अधिक भरोसा करती है। सिर्फ ब्रेकिगं न्यूज चलाने से कुछ नहीं होगा, नेटवर्क को समाप्त करने के लिए सीरीज चलानी होगी। अंदर तक जाना होगा। खबरों का फालोअप करना होगा, क्यों कि जनता ब्रेकिगं न्यूज से अधिक फालोअप यानि घटना के बाद क्या हुआ, कैसे हुआ और क्यों हुआ? के बारे में अधिक पढ़ना, जानना और सुनना चाहती है। पूरे मीडिया जगत को नकली दवाओं के कारोबार को लेकर अभियान चलाना होगा, और उन लोगों को एक्सपोज करना होगा, जो पैसे के लिए किसी गरीब मरीज की जान ले लेतें है।

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